TIO भोपाल
नवरात्र के पहले दिन रविवार सुबह से देवी मंदिरों में माता के दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ लग गई। मैहर में मां शारदा देवी के मंदिर में सुबह महाआरती हुई। इसके साथ ही माता का महाश्रृंगार किया गया। उधर रतलाम के कालका माता मंदिर में सुबह से ही भक्तों की भारी भीड़ लगी है। इस दौरान महिलाओं ने मंदिर परिसर में गरबा भी खेला और मां की आराधना की। इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहां सुबह के समय 4 से 6 बजे की बीच ही गरबे होते हैं। गरबे के लिए महिलाएं तैयार होकर रात 3 बजे ही मंदिर में आना शुरू हो जाती है। पुलिस प्रशासन की ओर से यहां व्यवस्था की गई है।
मां शारदा करती हैं इच्छा की पूर्ति
मां शारदा शक्तिपीठासन के प्रधान पुजारी देवी प्रसाद महाराज हैं। इनका कहना है कि मां के दर्शनार्थ पधारे श्रद्धालुजन को इस स्थान पर विद्या, धन, संतान संबंधी इच्छाओं की पूर्ति होती है। लेकिन इस स्थान का उपयोग किसी अनिष्ट संकल्प के लिए नहीं किया जा सकता। ऐसी मान्यता है कि माता वैष्णवी है तथा सात्विक शारदा सरस्वती का साक्षात स्वरूप हैं। जो अध्यात्मिक क्षेत्र में बुद्धि, विद्या व ज्ञान की प्रदायनी देवी मानी जाती है। मां शारदा मंदिर पिरामिड आकार की पहाड़ी पर स्थित है। जहां पहुंचने के लिए 1052 सीढ़ियां निर्मित हैं। पहाड़ी की ऊंचाई लगभग 557 फीट है।
अनन्य भक्त थे आल्हा
मां के अनन्य भक्त महोबा के महापराक्रमी सेनापति आल्हा का अखाड़ा भी मां शारदा मंदिर पहाड़ी के समीप स्थित है। ऐसी मान्यता है कि घोर कलयुग में भी मां शारदा द्वारा आल्हा की भक्ति तथा तपस्या से प्रसन्न् हो उन्हें अमरत्व प्रदान किया गया। मां शारदा मंदिर प्रांगण में स्थित फूलमती माता का मंदिर आल्हा की कुल देवी का है। जहां विश्वास किया जाता है कि प्रतिदिवस ब्रह्म मुहूर्त में स्वयं आल्हा द्वारा मां की पूजा अर्चना की जाती है। मां शारदा मंदिर के उत्तर दिशा में एक किलोमीटर में आल्हा अखाड़ा स्थित है। जहां पर परमवीर आल्हा का भव्य मंदिर, शिव जी का प्राचीन मंदिर, नव ग्रह वाटिका व नक्षत्र उद्यान व आल्हा ताल है। मंदिर समिति द्वारा दर्शनार्थियों के हितार्थ यहां पर एक धर्मशाला का भी निर्माण कराया गया है। समिति द्वारा यहां पर मंदिरों की सेवा का कार्य डॉ. बाबा रामगोपालदास को दिया गया है।