हाउडी मोदी की तुलना नेहरू- इंदिरा से करने पर ट्रोल हुए शशि थरूर, बाद में दी सफाई

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नई दिल्ली

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर अक्सर अपने बयानों के कारण चर्चा में रहते हैं। अब वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ह्यूस्टन में हुए स्वागत की तुलना पंडित जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी के स्वागत से करके फंस गए हैं। रविवार को प्रधानमंत्री मोदी ने ह्यूस्टन में हाउडी मोदी कार्यक्रम को संबोधित किया था। वहीं थरूर ने तुलना करते हुए एक तस्वीर ट्वीट की।

तस्वीर ट्वीट करते हुए थरूर ने कहा, ‘1954 में अमेरिका में नेहरू और इंदिया गांधी। देखिए बिना विशेष जनसंपर्क अभियान, एनआरआई भीड़ प्रबंधन और बढ़ा-चढ़ाकर किए जा रहे मीडिया प्रचार के बड़ी संख्या में अमेरिकी जनता उन्हें देखने के लिए आई थी।’ इस ट्वीट के बाद वह सोशल मीडिया पर ट्रोल होने लगे और बाद में उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि यह तस्वीर अमेरिका की नहीं बल्कि सोवियत संघ के दौरे की है।

यूजर्स के निशाने पर आए शशि थरूर

आसिफ अजाकिया नाम के शख्स ने कहा, ‘लो जी शशि थरूर जी। गल ही मूक गई। ये मॉस्को है।’ ज्योति नाम की यूजर ने दो तस्वीरें पोस्ट करते हुए लिखा, ‘आलसी लोगों के लिए यह पुरानी तस्वीर है। पंडित नेहरू और इंदिरा गांधी की यह तस्वीर वर्ष 1956 के मॉस्को दौरे की है।’ आर जगन्नाथ नाम के यूजर ने लिखा, ‘यह मॉस्को है। यह पूरी तरह से व्यवस्थित विज्ञापन है।’

जितेंद्र प्रताप सिंह नाम के शख्स ने लिखा, ‘पहली बात यह कि यह तस्वीर अमेरिका की नहीं बल्कि वर्ष 1956 के मॉस्को दौरे की है। यह कांग्रेस की असली संस्कृति को दिखाती है। 1954 में इंदिरा गांधी किसी भी पद पर नहीं थीं, फिर किस हैसियत से नेहरू उन्हें इस तरह रैली में लेकर निकले?’ अरविंद लोढा ने लिखा, ‘कांग्रेस नेता शशि थरूर ने अपने वंशवादी नेता राहुल गांधी के पद्चिह्नों पर चलकर 1956 के यूएसएसआर की तस्वीर पोस्ट करके दावा किया है कि यह 1954 के अमेरिका की है। उस दौरान यूएसएसआर के लोग राज कपूर जी के कारण भारतीयों के लिए पागल रहते थे न कि नेहरू-इंदिरा की वजह से।’ कुछ लोगों ने उनके इंदिरा गांधी का नाम गलत लिखने की ओर भी ध्यान आकर्षित किया।

ट्रोन होने के बाद हुआ गलती का अहसास

ट्विटर पर काफी ट्रोल होने के बाद शशि थरूर को अपनी गलती का अहसास हुआ। जिसके बाद गलती सुधारते हुए उन्होंने दूसरा ट्वीट किया, ‘मुझे बताया गया है कि जो तस्वीर मुझे फॉरवर्ड की गई है वह संभवत: उनके अमेरिका दौरे की नहीं बल्कि सोवियत संघ दौरे की है। यदि ऐसा भी है तो इससे मेरा संदेश नहीं बदल जाता। हकीकत यही है कि पूर्व प्रधानमंत्रियों की विदेशों में लोकप्रियता रही है। जब नरेंद्र मोदी सम्मानित होते हैं तो भारत का प्रधानमंत्री सम्मानित होता है। यह सम्मान भारत के लिए है।’