शिवराज मंत्रिमंडल विस्तार: आज शाम हो सकता है मंत्रियों के विभागों का बंटवारा

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TIO भोपाल

मंत्रियों को विभागों के वितरण की खींचतान केंद्रीय नेतृत्व तक पहुंच गई है। दिल्ली में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने देर शाम केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात कर इस बारे में बात की। देर रात को भाजपा के केंद्रीय संगठन के साथ भी उनकी चर्चा हुई। बताया जा रहा है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया खेमे से सात कैबिनेट मंत्री बने नेताओं को कुछ अहम विभाग चाहिए।

सिंधिया ने अपनी बात भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीए संतोष के समक्ष रखी, इसी के बाद मुख्यमंत्री की उक्त दोनों नेताओं के साथ बात हुई। शिवराज सिंह के सोमवार को भोपाल लौटने का कार्यक्रम है। ऐसा घटनाक्रम पहली बार है, जब विभागों की मशक्कत चलते चार दिन हो गए और मंत्री बिना विभाग के हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह (CM Shivraj Singh Chouhan) ने शीर्ष नेतृत्व के साथ मैराथन बैठकों में मंत्रिमंडल सहयोगियों के विभागों का फैसला कर लिया है. पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और अमित शाह (Amit Shah) के साथ हुई बैठकों में पोर्टफोलियो फायनल किए गए. हालांकि, विभागों के बंटवारे का ऐलान मुख्यमंत्री भोपाल में खुद सोमवार शाम को कर सकते हैं. अपने व्यस्त दौरे और विभागों के बंटवारे की माथापच्ची के बीच मुख्यमंत्री शिवराज सिंह पार्टी के वयोवृद्ध नेता लाल कृष्ण आडवाणी और उपराष्ट्रपति एम वैंकेया नायडू से भी मिले.

पार्टी से जुड़े वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि सोमवार की शाम तक विभागों का आवंटन हो जाएगा। भाजपा के सामने यह मुश्किल भी है कि सिंधिया खेमे के साथ कांग्रेस से भाजपा में लौटे हरदीप डंग, बिसाहूलाल सिंह और एंदल सिंह कंसाना को भी विभाग देने हैं। ये तीनों कैबिनेट मंत्री बने हैं। बहरहाल, मुख्यमंत्री सोमवार को राष्ट्रपति व उप राष्ट्रपति के साथ केंद्रीय सदानंद गौड़ा से मिलेंगे।

सीएम की छवि खराब हो रही : विश्नोई
मंत्री नहीं बनाए जाने से नाराज व एक दिन पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को पत्र लिखने वाले पूर्व मंत्री व विधायक अजय विश्नोई ने फिर पार्टी की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए हैं। विभाग बंटवारे के मामले में मुख्यमंत्री के दिल्ली दौरे पर विश्नोई ने कहा कि ऐसा पहले कभी नहीं हुआ कि विभागों के लिए दिल्ली जाना पड़े। इससे उनकी छवि खराब हुई है। वैसे भी सिंधिया समर्थकों व कांग्रेस से भाजपा में आने वाले नेता जो मंत्री बन गए हैं, उन्हें उप चुनाव तक बिना विभाग के ही रहना चाहिए। अगर उन्हें विभाग दे भी दिए तो वे छह माह तक क्या काम करेंगे? अभी भी विभाग को पांच मंत्री व मुख्यमंत्री देख रहे हैं। इसलिए उन्हें बिना विभाग का मंत्री रहना चाहिए।