राघवेंद्र सिंह
मार्च 2020 मध्य प्रदेश भारतीय जनता पार्टी कार्यालय में विधायक दल की बैठक हो रही थी। कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत के बाद माहौल बहुत गहमागहमी भरा था। भाजपा विधायकों ने तीन बार के मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान को चौथी दफा सरकार की कमान सौंपने के लिए चुना। बहुत से नेताओं को इस बात की उम्मीद नहीं थी। इसलिए माहौल तनावपूर्ण था। लेकिन विधायक दल के नेता चुने जाने के बाद शिवराज सिंह चौहान ने कहा अबकी बार उनकी सरकार बहुत बदली-बदली होगी।
उनका इशारा कठोर प्रशासन की तरफ था। वैसे भी भाजपा गुड गवर्नेंस देने का वादा कर चुकी थी। तब कम लोग मानते थे मुलायम मामा से सख्त शिवराज होना बहुत कठिन होगा। मगर तमाम अनुमान और अटकलों को खारिज करते हुए मामा कठोर होने लगे हैं। उपचुनाव के नतीजों के बाद पिछले कुछ फैसलों पर नजर डाले तो सच में सरकार बदले-बदले से नजर आते हैं। सख्त होते शिवराज सिंह की कहानी शुरू होती है कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद के अतिक्रमण के आरोप पर बने कॉलेज पर जेसीबी से कार्रवाई करने की। इसके बाद मसूद पर जो गैर जमानती मुकदमे दर्ज किए गए उनसे भी पता चलता है कि अब थाने से लेकर जिला अदालत और हाईकोर्ट जमानत के लिए चक्कर काटने पड़ेंगे।
विधायक मसूद ने इस्लामिक आतंकवाद के मुद्दे पर फ्रांस को भारत सरकार के समर्थन के खिलाफ आवाज बुलंद की थी। इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी फ्रांस की आलोचना करने को कहा था। मसूद के शिक्षण संस्थान को अदालत से स्टे मिला हुआ था। कानूनी दांवपेच से बचते हुए सरकार ने कथित कब्जे वाली जमीन पर कॉलेज का निर्माण तोड़ा। आमतौर से शिवराज सिंह इस तरह की कार्रवाई समझते हैं। लेकिन सरकार बदले बदले से हैं अतिक्रमण को तोड़ा गया और उसके बाद लव जिहाद जैसे संवेदनशील मुद्दे पर भी पूरे देश में आक्रमक रुख अख्तियार करते हुए राज्य में पहले से मौजूद कानून को और कठोर बनाने का निर्णय लिया।
हालांकि इस मामले में उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार कानून बनाकर अमल करने में आगे निकल गई है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कहते हैं धार्मिक आजादी का मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि लड़कियों को बहला-फुसलाकर प्रेम जाल में फंसा कर शादी की जाए और फिर उनका धर्म बदलवा दिया जाए। यह कोई भी और कहीं भी करे सहन नहीं किया जाएगा। हम कानून में सख्ती ला रहे हैं और उस पर कठोरता से काम भी किया जाएगा।
कानून व्यवस्था के मामले में प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में गुंडों के खिलाफ चलाया गया अभियान भी सरकार के सख्त होते तेवर की निशानी है। भाजपा नेता गोपी कृष्ण नेमा के घर हमले के बाद सरकार एक्शन में आई और गुंडों के खिलाफ अभियान चल पड़ा। इसी तरह भोपाल की रेलवे स्टेशन से सटी हुई करोड़ों रुपए की भूमि ईरानी डेरे से मुक्त कराई गई। हालांकि 1 दिन पहले कब्जा हटाने गए पुलिस प्रशासन के अमले को अतिक्रमण करने वाले हमलावर हुए ईरानियों के विरोध के कारण बैरंग लौटना पड़ा था। लेकिन दूसरे दिन ही प्रशासन ने पूरी तैयारी की और कड़ाई के साथ कब्जे हटा दिए गए।
इस दौरान भारी पुलिस बल के साथ जेसीबी और बुलडोजर भी अभियान में शामिल थे। उम्मीद की जा रही है कि दोबारा इस बेशकीमती जमीन पर कब्जा ना हो उसके इंतजाम भी लगे हाथ कर दिए जाएंगे। इसी बीच भ्रष्टाचार को लेकर भी ग्वालियर में एक बड़ी कार्यवाही हुई। प्रदीप वर्मा 6 साल से सब इंजीनियर सिटी प्लानर के पद पर जमे हुए थे। इनके खिलाफ लोकायुक्त में 11 मामले लंबित है। यह श्रीमान एक मामले में 50 लाख रुपए की रिश्वत मांग रहे थे।
दस लाख रुपए पहली किस्त में ले लिए थे 48 लाख के लिए मोलभाव हो रहा था। मामला 25 लाख रुपए में तय हुआ। यह सूचना मुख्यमंत्री निवास पर पहुंची और फिर इस दुस्साहसी सभी प्लानर को रंगे हाथ पकड़ने की योजना बनती है। मतलब यह संदेश साफ तौर पर दिया जा रहा है कि बेईमान अफसरों की खबर सीएम तक पहुंची तो कड़ी कार्रवाई होगी।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कहते भी हैं कि इस बार गुड गवर्नेंस देने के मामले में कोई लापरवाही सहन नही की जाएगी। जनता खुश है उस की अपेक्षा की बस ऐसे ही कठोर कार्रवाई होती है।
बीरबल की खिचड़ी हो गई है प्रदेश भाजपा
मध्य प्रदेश भाजपा के पदाधिकारियों की घोषणा लगता है टलती जा रही है। प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा की लाख कोशिशों के बाद भी प्रदेश कार्यसमिति का एलान नहीं हो पा रहा है। ऐसा लग रहा है कार्यसमिति से भरी मटकी लटकी हुई है और उसे पकाने के लिए नीचे मोमबत्ती जल रही है। चिंता की बात यह है कि इस लेटलतीफी से विष्णु दत्त शर्मा की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है। अपने समर्थकों को तारीख पर तारीख दे रहे पदाधिकारियों की सूची भोपाल से दिल्ली के बीच हवा में झूल रही है। इसके पीछे मंत्रिमंडल विस्तार का भी एक पैच फंसा हुआ है। कुछ लोग चाहते हैं कैबिनेट विस्तार के बाद भाजपा संगठन की टीम बने।
अब दिक्कत यह है कि कब विस्तार होगा और कब पदाधिकारी घोषित होंगे..? पूरे मामले में एक दो कहावत है एक साथ लागू हो रही है। कब मरेगी सासु और कब आएंगे आंसू या फिर ना नौ मन तेल होगा ना राधा नाचेगी… क्योंकि मंत्री मंडल विस्तार के लिए अभी किसी को जल्दी नहीं है। ऐसा लगता है विष्णु दत्त शर्मा के पैरों में पत्थर बांध दिए गए और कहां जा रहा है संगठन को तेजी से चलाइए। देखते हैं कब नौ मन तेल होगा और कब राधा नाचेगी…
किसानों को लेकर शांति हैं प्रदेश में
पंजाब- हरियाणा में किसान नए कृषि कानून को लेकर दिल्ली घेर रहे हैं और प्रदेश के किसान शांतिपूर्वक खेत में काम कर रहे हैं। इसके पीछे किसानों की लापरवाही है यह सरकार का प्रबंधन। कांग्रेसी किसान नेता दिल्ली में लगे हैं और भाजपा के किसान नेता शांति से तमाशा देख रहे हैं। लेकिन आने वाले दिनों में किसान आंदोलन प्रदेश में भी फेल सकता है। एक चर्चा यह भी है कि हरियाणा और पंजाब की भाजपा इकाई किसानों को नए कानून के बारे में समझाने में विफल रही। हमारा मानना है विफलता तो यहां भी है जिस दिन कांग्रेसी किसान नेता हरियाणा पंजाब की तरह यहां सक्रिय होंगे मुश्किलें यहां भी दिखाई देंगी।