शिवराज भाजपा में आने वालों के लिए खोलेंगे दरवाजे

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शशी कुमार केसवानी, वरिष्ठ पत्रकार व लेखक
मध्यप्रदेश की जमीनी हकीकत

मध्यप्रदेश में हाल ही में हुए उपचुनावों में कई मंत्रियों को हार का सामना करना पड़ा है। उनका उत्साह बढ़ाने के लिए साथ ही साथ भाजपा में अन्य लोगों को लाने के लिए एक अलग तरह का शिवराज ने प्रयोग शुरू कर दिया है कि हारे हुए मंत्रियों को निगम मंडलों का अध्यक्ष व अन्य जगहों पर पद देने का मन बनाकर यह साबित कर दिया है कि अगर अब भी कोई कांग्रेस या अन्य पार्टियों से भाजपा में आने चाहे तो भाजपा उसे पूरा मान-सम्मान और पद भी देगी। अभी तक यह परंपरा चली आ रही थी कि दूसरी पार्टी से आने वालों को आसानी से पद नहीं दिया जाता था पर भाजपा के नए नियमों से यह साबित हो गया है कि पार्टी का विस्तार अभी और किया जाएगा। हालांकि इसका एक नुकसान भाजपा को यह भी भुगतना पड़ेगा जो भाजपा में लोग सालों से जुड़े हुए है वो इस बात से थोड़े निराश नजर आ रहे है।

हमारी तो कई भाजपा के पुराने महारथियों से बात हुई उनका कहना था भाजपा में नए लोगों को स्वागत होना चाहिए पर पुराने कार्यकर्ताओं व नेताओं का सम्मान भी जरूरी है नहीं तो पार्टी को बगावत भी ­ोलनी पड़ेगी। पिछले लंबे समय से भाजपा में दूसरी पार्टियों से आने वाले लोगों की मात्रा बहुत बड़ी हुई है, जिसके लिए कई बड़े नेता ही कहते है। भाजपा कांग्रेस को समाप्त करते-करते खुद ही कांग्रेसमय हो गई है, जो नहीं होना चाहिए।


हालांकि हाल ही चुनाव में हारे लोगों को किसी न किसी रूप में उन्हें कोई पद तो देना ही पड़ेगा इसलिए शिवराज सरकार हारे मंत्रियों को निगम-मंडलों में जगह देने के साथ ही उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा भी दे सकती है। बताया गया है कि इमरती देवी को महिला वित्त एवं विकास निगम और दंडोतिया को हाउसिंग बोर्ड में जगह मिल सकती है। हालांकि, इसके लिए पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पार्टी स्तर पर चर्चा करेंगे, इसके बाद ही आखिरी निर्णय लिया जाएगा।  दूसरी तरफ, बसपा विधायक रामबाई एक बार फिर अपने बयानों को लेकर चर्चा में आ गई हैं। दरअसल, उन्होंने संकेत दिया है कि वह अगला चुनाव भाजपा से लड़ सकती हैं। उन्होंने कहा कि मैं अगला चुनाव भाजपा से लडूंगी। रामबाई ने मंत्रिमंडल में शामिल होने को लेकर कहा कि सबको पता है कि मंत्री पद तो नहीं मिलेगा, लेकिन भूपेंद्र सिंह और नरोत्तम मिश्रा की जुबान पर भरोसा है, निगम-मंडल मिल सकता है। मंत्री का दर्जा भी रहेगा।


हालांकि शिवराज और सिंधिया ने उपचुनाव में इमरती देवी को जिताने के लिए पूरी ताकत ­ोंक दी थी, लेकिन फिर भी इमरती देवी अपने समधी से चुनाव हार गई थी। जबकि पूरा चुनाव को इमरती देवी ने एक अलग मोड़ दे दिया था। आइटम वाले बयान पर कमलनाथ को परेशानी का सामना करना पड़ा था। जवाब में इमरती देवी ने भी कमलनाथ के घर की महिलाओं के लिए आइटम शब्द का उपयोग किया था लेकिन चुनाव वहीं से बदल गया था।
एंदल सिंह कंसाना ने राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया है, जिसे अभी मंजूरी मिलना बाकी है। वहीं, इमरती देवी और गिर्राज ने अभी इस्तीफा नहीं दिया है। सूत्रों ने बताया है कि पुनर्वास का मामला तय होने के बाद ही ये दोनों नेता अपना इस्तीफा राज्यपाल को भेजेंगे। बताया गया है कि उपचुनाव में जीत हासिल करने वाले नारायण पटेल और सुमित्रा देवी कास्डेकर को भी निगम-मंडल अथवा आयोग में बैठाया जा सकता है।
 
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने  दिल्ली में संसद की दो कमेटियों की बैठक में हिस्सा लिया। इसके बाद उन्होंने केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, धर्मेंद प्रधान और राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया से मुलाकात की। बताया गया है कि जल्द ही शर्मा अपनी टीम की घोषणा कर सकते हैं। गौरतलब है कि पांच प्रदेश महामंत्रियों का एलान हो चुका है। अब प्रदेश उपाध्यक्ष, प्रदेश मंत्री समेत अन्य पदों को भरा जाना बाकी है। वहीं, प्रदेश महामंत्री की तरह उपाध्यक्ष के पद को लेकर भी खींचतान जारी है। आने वाले दिनों में भाजपा के पुराने दिग्गजों को तेवर कुछ अलग देखने को मिलेंगे अभी लेकिन तूफान से पहले की शांति है। लेकिन शिवराज भाजपा वालों को आसानी से मैनेज कर लेते है।
 
वहीं कांग्रेस के अंदर ही अंदर घमासान मचा हुआ है चुनाव हारने के बाद प्रदेश अध्यक्ष को बदलने की मांग जोर पकड़ती जा रही है। लेकिन ऐसा दूसरा कोई कांग्रेस में चेहरा नहीं है जो पार्टी भी चला सके और पैसा भी लगा सके। कमलनाथ की दिक्कत यह रही कि अपने आसपास के लोगों से ही धोखा खा बैठे सही जानकारी न मिलने की वजह से चुनाव में ऐसा हश्र हुआ हमसे हुई बात में उन्होंने बताया कि कांग्रेस के अंदर कुछ कमियां रही थी जो जमीनी तौर पर पहले नजर नहीं आ रही थी अब महसूस हो रही है। लेकिन आने वाले पंचायत और निकाय चुनाव की जोरों से तैयारी करेंगे।