प्रहसन से प्रेरणा नहीं मिलती साहब

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राकेश अचल

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी को उनके सलाहकार लगातार हास्यास्पद स्थितियों में डालते रहते हैं ।प्रधानमंत्री जी को लोकप्रिय बनाने के लिए उनके सलाहकारों के जो भी प्रयास हो रहे हैं वे बेहद घटिया और शर्मनाक हैं ।हाल ही में महाबलीपुरम में एक समुद्र तट पर प्रधानमंत्री जी को कचरा बीनते दिखाकर सलाहकारों ने उन्हें दुनिया बाहर में हँसी का पात्र बना दिया ।

देश में जो भी नायक होते हैं उनका आचरण हमेशा से प्रेरणास्पद रहा है।महात्मा गांधी हों या और कोई सबका निजी आचरण जनता को प्रेरित करता रहा है लेकिन निजी आचरण की कभी कोई शार्ट फिल्म नहीं बनी या बनाई गयी लेकिन भारत में ये सब हो रहा है और पूरी बेशर्मी के साथ हो रहा है ,और शायद इसीलिए इस प्रयास की हंसी उड़ाई जा रही है ।वक्तिगत आचरण तभी सन्देश बनता है जब उसमें हकीकत हो अभिनय नहीं ।

माननीय प्रधानमंत्री जी ने जब लाल किले से देश में शौचालयों का मुद्दा उठाया था तब सबको अच्छा लगा।उन्होंने जब स्वच्छता अभियान की बात कही तब भी लगा की उन्होंने एक जरूरी मुद्दे को छुआ है।लेकिन इन दोनों कामों के लिए जिस तरह से सतही प्रदर्शन किये गए वे हास्यास्पद ही रहे। माननीय प्रधानमंत्री जी की योजना के तहत गांव-गांव में शौचालय बनते देख मुझे भी अच्छा लगा लेकिन सब कुछ ईमानदारी से नहीं हुआ फलस्वरूप हमारे मध्यप्रदेश में ही खुले में शौच के जानलेवा हादसे सामने आये ।यानि शौचालय बनाने के सिस्टम में से बेईमानी का खात्मा नहीं हो सका ।देश में स्वच्छता के लिए मई प्रधानमंत्री के आव्हान का पहला प्रशंसक हूँ लेकिन दुर्भाग्य ये है की इस अभियान के नाम पर देश भर में स्थानीय निकायों में लूट के लावा कुछ नहीं हुआ।अचरा फेंकने की जनता की आदत तो सुधरी नहीं ऊपर से कचरा संग्रहण और निष्पादन के इंतजाम किये बिना मशीनरी और कचरा पेटियां खरीदने के नाम पर लूट मच गयी ।

प्रधानमंत्री श्री मोदी से उनके सलाहकार कचरा बीनने की शर्त फिल्म बनवाने के बजाय यदि प्रधानमंत्री के निजी जीवन में स्वच्छता के लिए किये जाने वाले उपक्रमों का प्रचार करते तो मुमकिन है की उनका अधिक असर होता लेकिन नहीं लोगों ने प्र्धानमंत्र से सफाई का अभिनय करा दिया ।इस मामले में कहूंगा की प्रधान जी बहुत सीधे हैं ,चाहे जब और चाहे जहाँ सलाहकारों के कहने पर कैमरे के सामने खड़े हो जाते हैं ,न लजाते हैं न शर्माते हैं और अभिनय करते  जाते हैं ।प्रधान जी की चाहे माँ से भेंट हो चाहे कोई दूसरा वाक्य सलाहकारों ने सबको ‘ईवेंट’में तब्दील कर दिया है ।

मैने अनेक प्रधानमंत्रियों के निजी आचरणों को देखा है लेकिन वे बिना किसी प्रचार के चर्चित और प्रेरक बने ।जिमके बारे में नहीं देखा उनके बारे में सुना।महात्मा गांधी इसका सबसे बड़ा उदाहरण है ।उन्होंने अपनी वेशभूषा किसी डिजायनर के कहने पर तय नहीं की बल्कि उसके पीछे घटनाएं कारक  बनीं ।वे दुनियां में गए लेकिन उन्होंने परिधान प्रयोग नहीं किये ।देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू को किसी प्रचार के जरिये बच्चों का चाचा नहीं बनाया गया क्योंकि तब तो आज की तरह किराये पर मिलने वाला मीडिया था ही नहीं। लालबहादुर शास्त्री की सादगी किसी प्रचार की मोहताज नहीं रही ।पोषकबाजी में इंदिरागांधी का कोई जोड़ न था लेकिन वे प्रहसनों से बचती रहीं हालांकि उनके आसपास भी ठीक वैसे ही सलाहकारों की नतमस्तक फ़ौज थी जैसी की आज मोदी जी के आसपास है ।

इंदिरा गांधी के बाद के प्रधानमंत्रियों को तो पूरे देश ने देखा है ।छह माह के प्रधानमंत्री चंद्रशेखर से लेकर दस साल के प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह हों या श्री अटलबिहारी बाजपेयी किसी को लोकप्रियता के लिए किसी प्रहसन की या शार्ट फिल्म की जरूरत नहीं पड़ी और सबने अपने-अपने तरीके से देश के जन मानस को प्रभावित किया ।सार्वजनिक जीवन में नायक रहे बाबू जय प्रकाशनारायण रहे हों या आचार्य बिनोवा भावे सबका निजी आचरण बिना किसी प्रहसन के प्रेरणास्पद बना ।मोदी जी का जीवन तो चमत्कारिक घटनाओं से भरा  पड़ा है इसके सहारे वे वैसे ही लोकप्रिय हो रहे थे लेकिन चाटुकार सलाहकारों ने उन्हें हंसी का पात्र बना दिया और दुर्भाग्य की बात ये है की ये सिलसिला रुक नहीं रहा है ।मोदी जी को लोकप्रिय बनाने के लिए बनाई जाने वाली हर शर्त फिल्म की बखिया अपने आप उधड़ रही है। इस पर विराम लगाया जाना चाहिए ,यही समय की मांग है ।

देश जानता है की मोदी जी जमीन से जुड़े राजनीतिज्ञ हैं और उन्हें जमीन से ही जुड़े रना चाहिए।मोदी जी को हवा-हवाई बनाने वाले उनके सलाहकार उनके शुभचिंतक नहीं अपितु शत्रु हैं ।देश को इस समय स्वच्छता की महती आवश्यकता है,मै जब कभी विदेश यात्रा से वापस लौटता हूँ तो दिल्ली या मुम्बई के हवाई अड्डे से बाहर निकलते ही परेशान हो जाता हूँ क्योंकि हमारे यहां सार्वजनिक रास्ते ही गंदगी के पर्याय बने दिखाई देते हैं ।दिल्ली तो देश की राजधानी है अभी वहीं प्रधानमंत्री के स्वच्छता अभियान का असर नहीं हुआ है , देश तो बहुत बड़ी बात है। स्वच्छता के लिए मोदी जी प्रहसन के बजाय अपने संगठन से जुड़े करोड़ों  कार्यकताओं को ही प्रभावित कर लें तो बहुत बड़ा काम हो सकता है ।मुझे उम्मीद है की मोदी जी के सलाहकारों में कोई एक तो रीढ़ वाला होगा जो उन्हें इस तरह के प्रहसनों में शामिल होने से आग्रह पूर्वक  रोकेगा ।मै पुन: मोदी जी के स्वच्छता मिशन के प्रति अपना  समर्थन व्यक्त करता हूँ ।