स्मृति शेष : क्रिश्चियन कॉलेज, इतिहास और फिल्मों के जानकार डॉ स्वरूप वाजपेयी कवि-शायर भी थे 

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क्रिकेट का प्रामाणिक दस्तावेज है उनकी किताब
‘इंदौर क्रिकेट स्वर्णिम दौर बजरिए होलकर टीम’
                                                                                                         🔹कीर्ति राणा
क्रिश्चियन कॉलेज में इतिहास  के विभागाध्यक्ष रहे डॉ स्वरूप वाजपेयी का लंबी बीमारी के बाद रविवार की शाम निधन हो गया । कुछ समय पहले उन्हें कैंसर की पुष्टि हुई थी। कवि-शायर डा वाजपेयी इतिहास के जानकार तो थे ही इंदौर के रियासत कालीन इतिहास और क्रिकेट के चलते-फिरते दस्तावेज थे।उनके द्वारा पिछले साल लिखी गई किताब  ‘इंदौर क्रिकेट स्वर्णिम दौर बजरिए होलकर टीम’ इंदौर के क्रिकेट इतिहास का प्रामाणिक दस्तावेज मानी जाती है।वे इराक (इंदौर रायटर्स क्लब) की रविवारीय बैठक के नियमित सदस्य रहे हैं।उनकी शवयात्रा सोमवार की सुबह सदर बाजार स्थित निवास से निकलेगी, अंतिम संस्कार रामबाग मुक्तिधाम पर होगा।
कवि सरोज कुमार ने उनके निधन को शहर की क्षति बताते हुए कहा डॉ वाजपेयी क्रिश्चियन कॉलेज से बेहद लगाव था। कॉलेज भवन के चप्पे चप्पे से तो वाकिफ थे ही बीते 50 सालों में कॉलेज का किन किन छात्रों ने नाम रोशन किया यह भी जानकारी रखते थे। साहित्यकार ममता कालिया, रमेश बक्षी हों या चंद्रकांत देवताले इनके किस्से ही नहीं कॉलेज की स्मारिका तक उनके पास सुरक्षित थी। वे जब इराक की गोष्ठियों में नियमित आने लगे तब ही हमें यह भी पता चला कि वे कवि-गीतकार-गजलकार भी हैं। छह-आठ महीने पहले उनका एक काव्य संग्रह भी इराक की बैठक में लोकार्पित किया गया था।
फिल्मों खासकर मुगले आजम जैसी महान फिल्म से लेकर क्रिश्चियन कॉलेज के स्टूडेंट रहे पार्श्वगायक किशोर कुमार से जुड़े किस्से और नईदुनिया में छपे लेख काफी रोचक अंदाज में सुनाते थे। ऐसे ही एक बार उन्होंने इंदौरी क्रिकेट के स्वर्णिम काल के रोचक किस्से सुनाते हुए यह रहस्योदघाटन किया था कि रियासत काल से खेले जाने वाले क्रिकेट को होल्कर रियासत में मिली ऊंचाई ऐतिहासिक है।होल्कर महाराजाओं में यशवंतराव द्वितीय का क्रिकेट प्रेम इस हद तक था कि बाकी रियासतों के महाराजाओं की अपेक्षा टीम का कप्तान बनने की अपेक्षा विभिन्न राज्यों के सीके नायडू सहित श्रेष्ठ खिलाड़ियों को राज्याश्रय दिया, कर्नल सीके (कोट्टारी कंकैया) नायडू को कप्तानी सौंपी ।होल्करों की इस दूरदृष्टि का ही परिणाम रहा कि भारतीय टेस्ट टीम का पहला कप्तान इंदौर से होने का रिकार्ड दर्ज है।
भारतीय क्रिकेट में इंदौर की अहमियत को अपनी ताजा किताब ‘इंदौर क्रिकेट स्वर्णिम दौर बजरिए होलकर टीम’ में लिखने वाले क्रिश्चियन कॉलेज में विभागाध्यक्ष रहे डॉ स्वरूप वाजपेयी ने कई रोचक रहस्योदघाटन भी किए हैं।’इराक’ की साप्ताहिक बैठक में इस किताब की रचना प्रक्रिया की रोचक जानकारी देते हुए वाजपेयी ने बताया था मैंने तो पहले डॉ हरबंस सिंह के निर्देशन में ‘खेलों के विकास में होल्कर शासकों की प्रेरणा और योगदान : कुश्ती और क्रिकेट के विशेष संदर्भ में’ शोध प्रबंध लिखने का निर्णय लिया था।शोध प्रबंध के लिए हिंदी में सामग्री जुटाई और तीन चेप्टर लिख डाले तभी अंग्रेजी के एक प्राध्यापक-पत्रकार-क्रिकेट प्रेमी मित्र को ये चैप्टर बेहद पसंद आ गए।मुझे भी यह भय सताने लगा कि ऐसा न हो कि मेरी थीसिस पूरी होने से पहले वो इस सारी सामग्री के आधार पर अंग्रेजी में किताब लिख डालें।बस तभी ठान लिया कि थीसिस के साथ ही होल्कर महाराजाओं के क्रिकेट प्रेम पर हिंदी में किताब भी लिख दी जाए। जानकारी जुटाने के दौरान यह भी पता चला कि होल्कर महाराजाओं ने टीम तैयार की, नायडू को कप्तानी सौंपी लेकिन पटियाला नरेश भूपेंद्र सिंह, बड़ोदा नरेश दत्ताजीराव गायकवाड़, आलीराजपुर महाराजा की तरह टीम के कप्तान नहीं बने।टीम के श्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए इंग्लैंट से किट मंगवाने, मुंबई, कोलकाता से ड्रेस सिलवाने जैसी दरियादिली भी यशवंतराव द्वितीय ने अपने शासन काल (14साल) दिखाई।अब अगली किताब होल्कर महाराजाओं के कुश्ती प्रेम पर लिखने वाला हूं।
क्रिकेट समीक्षक-वरिष्ठ पत्रकार अशोक कुमट ने उनकी इस किताब की प्रस्तावना में लिखा है आज का युवा क्रिकेट प्रेमी तो है लेकिन कर्नल सीके नायडू, मुश्ताक अली, सीएस नायडू, चंदू सरवटे, हीरालाल गायकवाड़, मेजर एमएम जगदाले जैसे धाकड़ क्रिकेटरों को नहीं जानता।युवा पीढ़ी को तो यह भी नहीं पता कि क्लब क्रिकेट को इंदौर में विकसित करने में जीआर पंडित ने उज्जैन के एक क्रिकेट टूर्नामेंट में टीम ले जाने के लिए अपनी साइकिल बेच कर पैसे जुटाए थे।तथ्यों और मय रिकार्ड के स्वरूप बाजपेयी ने पहली बार ऐसे किस्सों को एक दस्तावेज के रूप में प्रस्तुत किया है। संजय जगदाले के मुताबिक वाजपेयी द्वारा रचित ‘इंदौर क्रिकेट स्वर्णिम दौर बजरिए होलकर टीम’ यह पुस्तक भावी पीढ़ी के लिए इंदौर के क्रिकेट इतिहास का महत्वपूर्ण दस्तावेज होगा।
डॉ वाजपेयी के मित्र विश्वावसु शर्मा बताते हैं क्रिकेट के आंकड़ों के संबंध में उनकी जानकारी यदि बेमिसाल है तो इसका कारण है उनका बचपन से ही ऐसी सारी जानकारी वाली कतरनों को अपने रजिस्टर में सुरक्षित रखना।कई दोस्त तो उनके इस शौक का तब मजाक उड़ाया करते थे।इसी शौक ने उन्हें क्रिकेट के प्रामाणिक लेखक और सांख्यिकीय विद के रूप में प्रतिष्ठित कर दिया।