नई दिल्ली
भाजपा के वरिष्ठ नेता और मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में वित्त मंत्री का कार्यभार संभालने वाले अरुण जेटली का निधन हो गया है। उन्होंने आज दोपहर दिल्ली एम्स में 12 बजकर सात मिनट पर आखिरी सांस ली। जेटली एम्स में पिछले कई दिनों से भर्ती थे। बता दें कि नौ अगस्त को सांस लेने में आ ही दिक्कत के बाद 66 साल के जेटली एम्स में भर्ती कराया गया था। खराब स्वास्थ्य के कारण ही जेटली ने 2019 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा था।
अरुण जेटली के निधन पर सोशल मीडिया गमगीन हो गया है। जेटली के निधन पर बीजेपी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने श्रद्धांजलि देते हुए ट्वीट किया, ‘भारतीय राजनीति के लिए अकल्पनीय नुकसान!’ अरुण जेटली, एक ऐसा शख्स जो कईयों के लिए मार्गदर्शक था, एक ऐसा शख्स जिसे सूर्य के नीचे यानी धरती की पूरी जानकारी थी। वह अब हमारे साथ नहीं है। उनका जीवन वास्तव में एक प्रेरणा था। ॐ शांति!’
वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जेटली के बेटे और पत्नी से बात की और शोक जताया। पीएम मोदी ने ट्वीट करके कहा कि उन्होंने सबसे मूल्यवान मित्र खो दिया। बता दें कि पीएम मोदी फिलहाल यूएई के दौरे पर हैं। वहीं जेटली के निधन पर मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज ने कहाः भाजपा को खड़ा करने में जेटली का योगदान अतुलनीय रहा। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जेटली के निधन पर शोक जताया।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहाः जेटली का सभी पार्टियों में सम्मान था। उनके निधन की खबर सुनकर काफी दुःख हुआ। भारतीय राजनीति में उनके योगदान को याद किया जाएगा। उनकी पत्नी, बच्चों, दोस्तों और प्रशंसकों के प्रति मेरी संवेदना है।
गृहमंत्री अमित शाह ने जेटली के निधन को निजी क्षति बताया। उन्होंने ट्वीट करके कहा- ‘अरुण जेटली जी के निधन से अत्यंत दुःखी हूँ, जेटली जी का जाना मेरे लिये एक व्यक्तिगत क्षति है। उनके रूप में मैंने न सिर्फ संगठन का एक वरिष्ठ नेता खोया है बल्कि परिवार का एक ऐसा अभिन्न सदस्य भी खोया है जिनका साथ और मार्गदर्शन मुझे वर्षो तक प्राप्त होता रहा।’
खुशमिजाज व्यक्तित्व वाले जेटली जी से मिलना और उनसे विचार विमर्श करना सभी के लिए एक सुखद अनुभव होता था। आज उनके जाने से देश की राजनीति और भारतीय जनता पार्टी में एक ऐसी रिक्तता आयी है जिसकी भरपाई होना जल्दी संभव नहीं है।
उन्होंने आगे ट्वीट किया, ‘अपने अद्वितीय अनुभव और विरले क्षमता से अरुण जी ने संगठन और सरकार में विभिन्न दायित्वों का निर्वाह किया। एक प्रखर वक्ता और समर्पित कार्यकर्ता अरुण जी ने देश के वित्त मंत्री, रक्षा मंत्री और राज्य सभा में नेता विपक्ष जैसे महत्वपूर्ण पदों को पूरी कुशलता से निभाया।’
अमित शाह ने एक और ट्वीट में कहा, ‘मोदी सरकार के 2014-19 के कार्यकाल के दौरान देश के वित्त मंत्री के रूप में उन्होंने अपनी अमिट छाप छोड़ी और मोदी जी की गरीब कल्याण की परिकल्पनाओं को जमीन पर उतारा और हिन्दुस्तान को विश्व की सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था के रूप में प्रतिष्ठित किया।’
जेटली ने लिया था नोटबंदी, जीएसटी से लेकर बैंकों के विलय तक का कठिन फैसला
मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में वित्त मंत्री रहे अरुण जेटली ने कई ऐसे फैसले लिए, जिनको आम आदमी हमेशा याद रखेगा। एम्स में 12 बजकर सात मिनट पर उन्होंने आखिरी सांस ली है। वित्तीय तौर पर देश में कालेधन, भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए यह जेटली की पहल थी, कि सरकार इतने कठिन फैसले ले सकी।
नोटबंदी, जीएसटी, डिजिटल ट्रांजेक्शन, एसबीआई और बैंक ऑफ बड़ौदा में कई बैंकों का विलय आदि कुछ ऐसे फैसले थे, जिनको लेने के लिए एक मजबूत इच्छाशक्ति होने की जरूरत चाहिए होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि इनका असर सीधे तौर पर देश के प्रत्येक व्यक्ति पर पड़ा था।
राज्यसभा से थे सांसद
नोटबंदी का लिया था फैसला
500 और 1000 रुपये के नोटों के बंद होने के दस दिन बाद वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार के इस फैसले की वजह से अब बैंक सस्ते दर पर कर्ज दे सकेंगे। साथ ही समानांतर अर्थव्यवस्था से मुक्ति मिलेगी। एक कार्यक्रम में शिरकत करने के दौरान जेटली ने कहा कि जहां तक फैसले को लागू करने की बात है तो उन्हें नहीं लगता कि मौजूदा व्यवस्था से बेहतर कुछ और किया जा सकता था।
बताया था उपलब्धि
डिजिटल बैंकिंग
जीएसटी और ई-वे बिल
वहीं वस्तुओं के एक राज्य से दूसरे राज्य में लाने-जाने के लिए ई-वे बिल एक अप्रैल 2018 से लागू किया गया था। इससे कारोबारियों को सामान ले जाने पर राज्यों के नाके पर चेकिंग कराने की आवश्यकता नहीं पड़ती है।
बैंकों का विलय
इनसॉल्वेंसी एवं बैंकरप्सी कोड
जनधन खाता योजना
कैश ट्रांसफर स्कीम
देश में गरीबों को फायदा पहुंचाने के लिए कई योजनाओं के तहत सब्सिडी दी जा रही थी। इसमें भ्रष्टाचार की बड़ी शिकायतें थीं। तत्कालीन मनमोहन सरकार ने सब्सिडी में हो रहे भ्रष्टाचार को रोकने के लिए लाभार्थियों को सीधे बैंक खाते में सब्सिडी का पैसा देने की योजना बनाई थी। इस योजना को लागू भी किया गया, लेकिन इसके मनमाफिक परिणाम नहीं मिले। 2014 में मोदी सरकार बनने के बाद अरुण जेटली के नेतृत्व में इस योजना को कड़ाई से लागू किया गया। आज सभी योजना की सब्सिडी सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में ट्रांसफर की जाती है।