राकेश दुबे
Someone else is riding on a camel
अब सवाल था ऊंट पर बैठे कौन ? कब्जा हटवाने वालों में सब थे मचके भाई से लेकर सिपाही राजा महाराजा सेठ जी सब | युवराज पशोपेश में |बाहर सलाह की, घर में सलाह की | और आखिर सेठ को ऊंट पर बैठा दिया | सेठ बूढ़े थे ऊंट जवान था | एक पुराना महाराजा जवान था, उसे यह पसंद नहीं आया तो उसे युवराज ने कहीं और भेज दिया | ऊंट अपनी गति से चलता है, सवार को उसकी गति से तालमेल बैठा कर मचकना होता है | बूढ़ा सेठ मचक नहीं सकता था मचकता तो उसे दर्द होने लगता | इधर शिकायत होने लगी ऊंट ठीक नहीं चल रहा है, शिकायत करने वाला ऊंट की सवारी कर चुका था | युवराज ने पूछा ऐसा क्यों हो रहा है ? लोगों ने कहा सवार के मचकने से ऊंट समझता है किधर जाना है | युवराज ने फैसला किया सवार वही रहेगा, शिकायत करने वाले को मचकने का अनुभव है तो मचके | तब से मचके भाई मचक रहे है, सवार अपनी जगह और मचके भाई अपनी जगह | मध्यप्रदेश के वर्तमान सन्दर्भ से इस कहानी को जोड़ना गलत है, पर सुधार के लिए समझना जरूरी है |
मध्यप्रदेश के मंत्रियों का मंदसौर गोलीकांड, नर्मदा किनारे पौधारोपण और सिंहस्थ में हुए घोटाले के मामले में शिवराज सरकार को क्लीन चिट देने पर मचा घमासान अभी थम नहीं रहा है, और इस कहानी के आसपास ही घूम रहा । कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने एक बार फिर तल्खी दिखाई है। उन्होंने कहा कि मंदसौर गोलीकांड पर किसी को क्लीनचिट नहीं दिया गया है। उन्होंने ये भी कहा कि कांग्रेस सरकार में भाजपा के नुमाइंदे बैठे हुए हैं। कुछ अधिकारी कर्मचारी खुद को बचाने के लिए मंत्रियों से ऐसा कहलवा रहे हैं। वहीं दिग्विजय सिंह की डांट के बाद अब जयवर्धन सिंह ने भी सफाई दी है। उन्होंने मीडिया से कहा कि अभी उनके विभाग में सिंहस्थ घोटाले का मामला आया नहीं है, जब आएगा तो उसकी निष्पक्षता से जांच की जाएगी। वहीं, वन मंत्री उमंग सिंघार के चिट्ठी लिखने के सवाल पर दिग्विजय सिंह जवाब देने से बचते रहे।