कभी तेरा,कभी मेरा, ये माफिया बहुत हसीन है…

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राघवेनदर

मध्यप्रदेश में इन दिनों जय बाबा गुरुदेव के नारे की तरह ‘कलयुग जाएगा, सतयुग आएगा’… की तर्ज पर
 ‘शुद्ध के लिए युद्ध’ और माफियाओं के खिलाफ कमलनाथ सरकार का यलगार का आगाज खूब सुर्खियों में है। इस तरह की मुहिम पर  मशहूर गायक स्वर्गीय जगजीत सिंह और उनकी पत्नी चित्रा सिंह द्वारा गाई गजल याद आ रही है। उस दौर के जवान और अब बूढे हो रही पूरी जमात को याद होगी- ये तेरा घर ये मेरा घर, किसी को देखना हो गर तो पहले आ के मांग ले तेरी नजर मेरी नजर। इसमें एक लाईन ये भी है कि ये घर बहुत हसीन है।

जावेद अख्तर की लिखी हुई यह गजल को फिल्म साथ – साथ में लिया गया था। यहां जब जब भी ‘घर’ आए पाठक माईबाप से दरख्वासत है कि वे उसे “माफिया” समझें। इसके साथ ही हम कमलनाथ और उनकी सरकार का घर को दुरुस्त करने के लिए इंदौर से शुरू किए अभियान पर इस्तकबाल करते हैं। मगर  तेरा माफिया है कार्रवाई और हमारा है तो अनदेखी हुई तो फिर माफिया कभी काबू में नही आने वाला। अब यहीं से शुरू होती है सरकार की मंशा और उसकी ईमानदारी को कसौटी पर कसने की बात। कसौटी सोने की शुद्धता परख करने के लिए अक्सर सराफे में सुनार लोग इस्तेमाल करते थे। अब माफिया के मुद्दे पर जनता की कसौटी पर सरकार है।

कमलनाथ सरकार ने इंदौर के जीतू सोनी के घर दफ्तर होटल पर बुलडोजर चला दिए। क्योंकि सोनी सरकार की कसौटी पर खरा नहीं उतरा। जीतू ने अखबार की आड़ में माफियागिरी की और उसके चलते हनीगिरी करने वालों पर खबर छापी। मगर हम सोनी के साथ सरकार को भी बधाई देंगे कि उसने इस खबरगिरी की आड़ में माफियाओं के खिलाफ अभियान का ऐलान कर दिया। हम सबको उम्मीद है कि हनी – मनी से लेकर भू माफिया,शराब-सट्टा, जुआ, रेत, तबादला, ड्रग माफिया, शिक्षा माफिया, अस्पताल और हवाला माफिया आदि आदि जो नाम हमसे छूट गए हों पाठक उन्हें हमारी अज्ञानता समझ माफ करें और अपने गांव,कस्बे,मुहल्ले, नगर, शहर की तासीर के हिसाब से उनमें घटा बढ़ी कर लें। प्रदेश में चंबल इलाका नकली दवा दूध मावा घी के साथ शिक्षा माफिया के लिए बदनाम है। सरकार ने रक्षाबंधन से दीवाली के बीच दूध मावा के खिलाफ शुद्ध का अभियान चलाया था। कुछ गिरफ्तारियां भी हुईं मगर वह बंद नहीं हुआ। इस मुद्दे पर थोड़ी सी हलचल मंदसौर नीमच क्षेत्र में इक्का दुक्का व्यापारियों पर रासुका की कार्यवाही भी हुई। इस दरम्यान आरोप लगे कि भाजपा से जुड़े माफियाओं पर सरकार ने कार्यवाही की और जो सत्ता से जुड़े माफिया सुरक्षित हैं।

यहीं से शुरू होती है तेरे मेरे माफिया की कहानी।

मुख्यमंत्री कमलनाथ पूरे प्रदेश और यहां की राजनीति को ठीक से नहीं समझते होंगे ऐसा हम तो नहीं मानते। उनके बारे में कहा जाता है कि केन्द्र की राजनीति में पारंगत नाथ सूबे की सियासत को छिन्दवाड़ा के इतर कम ही जानते हैं। ऐसा सही भी हो लेकिन मुख्यमंत्री बनने के बाद उनके पास हर शख्स की कुन्डली जरूर होगी। हनीकांड को उछालने वाले जीतू सोनी पर तो कार्यवाही मुकम्मल हो रही है लेकिन हनी में फंसे माफियाओं पर सरकार का बुलडोजर नहीं चला है। इस मुद्दे पर सरकार की नीयत जनता की कसौटी पर है। क्योंकि हनी में फंसाने वाली पांच महिलाओं के बाद किसी और का नाम अभी तक सामने नहीं आया है। जबकि इस गिरोह में चालीस महिलाओं की शरीक होने की खबर है। इसी तरह डेढ़ सौ हनी का स्वाद लेकर सरकारी घोटाला करने वाले अफसर, मंत्री, पूर्व मंत्री सांसद आदि के नाम आ रहे हैं। घोटालों के इन घरों पर सरकार के बुलडोजर और उनकी कठोर कार्यवाही की प्रतीक्षा है। सबको पता है अकेले हनी माफिया में ही करोड़ों के लेन देन औऱ अरबों रुपए के फर्जी कामकाज जिनमें ठेके और भुगतान शामिल हैं दस साल से हो रहे थे। अब यहां मेरे के बजाए भाजपा से जुड़े माफियाओं पर कार्यवाही शुरू हो चुकी है। इंदौर के बाद भोपाल में भाजपा के घनश्याम राजपूत के रोहित नगर घोटाले की जांच उसके अवैध कब्जों पर तोड़ने की कार्यवाही के साथ रातीबड़ क्षेत्र में भाजपा नेताओं में कृष्कांत चौरसिया के साक्षी ढाबे और नेचर कार्टेज पर बुलडोजर चलना शुरू हो गए हैं। संगठित अपराध को खत्म करने की इस पहल का शुरुआती दौर में भाजपा के नेता पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय औऱ भोपाल में पूर्व विधायक ध्रुवनारायण सिंह ने स्वागत किया है। लेकिन कांग्रेस से जुड़े माफियाओं को बचाया गया तो कल के दिन ये स्वागत आलोचना और विरोध में बदल जाएगा। सबको पता है कांग्रेस अपने माफियाओं पर हथौड़ा चलाने से पहले कई बार सोचेगी और हो सकता है निशाना अपनों पर लगाएं और टपक दूसरे जाएं।
भोपाल झील के माफियाओं पर एक्शन कब ?
भोपाल की झीलों खासतौर से बड़ी झील के किनारे जिला प्रशासन ने करीब ढाई सौ अतिक्रमण चिन्हित किए हैं। हैरत की बात ये है कि इनमें से ज्यादातर झील की मुनारों के अन्दर पाए गए हैं। इनमें एक चिकित्सालय के भीतर तो बारिश का पानी तक भर जाता है। ये माफिया सरकार किसी की भी हो सबको अपनी जेब में रखकर घूमता है। यही वजह है कि पच्चीस साल पहले दिग्विजय सिंह के कार्यकाल में पनपे ये माफिया अब महिषासुर हो गए हैं। इनका अब तक बाल बांका नहीं हुआ है। मगर कमलनाथ सरकार में उम्मीद की जा रही है कि माफियाओं के अब अच्छे दिन खत्म हुए। झीलों में अतिक्रमण हटाने के साथ पहाड़ियों और वनों को काटने वाले माफियाओं व उनके मास्टरमाइंड खतरे में हैं।
कभी कांग्रेस में रहे आरटीआई एक्टिविस्ट अजय दुबे और इंदौर में कांग्रेस के नेता डाक्टर आनंद राय व्यापमं से लेकर रेत माफियाओं पर लंबे समय से कठोर एक्शन की मांग कर रहे हैं। कई बार इनके तीखे और कटाक्ष पूर्ण हमले सरकार को बेनकाब करते हैं।
नरेन्द्र तोमर के आने से हलचल…
भाजपा में प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव को लेकर भोपाल से दिल्ली तक दांव पेंच और जोड़ जुगाड़ जारी है। इस बीच केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के भोपाल आने की खबरों से भाजपा में अध्यक्ष को लेकर गहमागहमी बढ़ गई है। तोमर एक तरह से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमित शाह के करीबी होने के कारण उनके प्रतिनिधि माने जा रहे हैं। पिछले दिनों पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की यात्रा भी अध्यक्ष चयन के मामले में महत्वपूर्ण मानी जा रही है। धारा 370 उसके बाद एनआरसी और कैब में उलझी भाजपा ने प्रदेश के नेताओं को दो विकल्प दिए हैं। एक तो आम सहमति से कोई नेता तय कर लें अगर यह नहीं हो सका तो फिर हाईकमान अपने हिसाब से निर्णय करेगा। अनुमान है कि वर्तमान अध्यक्ष राकेश सिंह की ताजपोशी नहीं होती है तो उन्हें केन्द्र में स्थान मिल सकता है। दूसरी तरफ राममाधव और उनकी टीम रायशुमारी कर चुकी है। अब प्रदेश के नेताओं में सहमति नहीं हुई तो दिल्ली अपना फैसला लागू कर देगी। इसके बाद सूबे के नेताओं की धड़कनें तेज हो गई हैं।
लेखक IND24 के प्रबंध संपादक हैं