नई दिल्ली। देश में इलेक्ट्रॉनिक मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए सरकार एक खास रणनीति पर काम कर रही है जिसके तहत चरणबद्ध तरीके से शुल्क ढांचे में बदलाव कर कंपनियों को निवेश के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। फिलहाल आयातित इलेक्ट्रॉनिक सामान और पुर्जो पर कस्टम ड्यूटी में वृद्धि कर देश में इनके निर्माण को प्रोत्साहन किया जाएगा। एक बार मैन्यूफैक्चरिंग का अपेक्षित स्तर प्राप्त करने के बाद आयात शुल्क घटाने का सिलसिला शुरू किया जा सकता है।
Special Strategy to Speed Up Domestic Electronic Manufacturing
मैन्यूफैक्चरिंग को चरणबद्ध तरीके से प्रोत्साहन देने की यह रणनीति सरकार की नई इलेक्ट्रॉनिक नीति का भी हिस्सा होगी। नई नीति का मसौदा अगले एक-दो महीने में सार्वजनिक चर्चा के लिए जारी किए जाने की उम्मीद है। इस साल की दूसरी छमाही में इसे फाइनल किए जाने की उम्मीद है। सरकार का इरादा न केवल चीन बल्कि ताईवान, दक्षिण कोरिया और जापान की इलेक्ट्रॉनिक उपकरण व कलपुर्जे बनाने वाली कंपनियों को भारत में लाना है।
हालांकि सरकार का इरादा पहले से ही स्पष्ट है। इसी के तहत सरकार ने बजट में कुछ इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों और कलपुर्जो पर सीमा शुल्क की दर बढ़ाने का एलान भी किया था। बढ़ी हुई दरें पहली अप्रैल से लागू भी हो गई हैं। इनमें मोबाइल फोन और टेलीविजन के अलावा मोबाइल एसेसरीज और कलपुर्जें भी हैं।
मोबाइल फोन पर सीमा शुल्क की दर 15 फीसद से बढ़ाकर 20 फीसद और इसके कुछ पार्ट्स पर ड्यूटी को 7.5 और 10 फीसद से बढ़ाकर 15 फीसद किया गया है। मोबाइल चार्जर और एडॉप्टर पर अभी तक सीमा शुल्क नहीं लगता था। लेकिन अब इन पर 10 फीसद की दर से शुल्क लगेगा। इसी तरह एलसीडी, एलईडी और ओएलईडी टेलीविजन पैनल पर भी सीमा शुल्क की दर को 7.5 और 10 से बढ़ाकर 15 फीसद कर दिया गया है।
इलेक्ट्रॉनिक व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि ड्यूटी बढ़ाने के पीछे सरकार का मकसद इन उत्पादों के देश में निर्माण को बढ़ावा देना है। इसी मकसद को पूरा करने के लिए सरकार जल्दी ही कुछ और इलेक्ट्रॉनिक व मोबाइल उत्पादों पर ड्यूटी में वृद्धि कर सकती है। सूत्र बताते हैं कि देश में मैन्यूफैक्चरिंग को प्रोत्साहित करने की यह प्रक्रिया अगले सात-आठ साल तक चलेगी। माना जा रहा है कि साल 2025 तक ऐसी स्थिति आ सकती है जब इन उत्पादों पर सीमा शुल्क की दर को वापस शून्य पर लाया जा सकेगा।
वैसे सरकार घरेलू स्तर पर इलेक्ट्रॉनिक व मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग को निरंतर प्रोत्साहित कर रही है। इस क्षेत्र में होने वाले निवेश में 2017 में 27 फीसद की वृद्धि हुई है। 2016 में इस क्षेत्र में 1.43 लाख करोड़ रुपये का निवेश हुआ था। यह 2017 में 1.57 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। साल 2014 में इस क्षेत्र में मात्र 11000 करोड़ रुपये का निवेश हुआ था। इस क्षेत्र में मोडिफाइड स्पेशल इंसेंटिव पैकेज स्कीम और इलेक्ट्रॉनिक मैन्यूफैक्चरिंग क्लस्टर कार्यक्रम ने उल्लेखनीय भूमिका निभायी है।