नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गोरक्षा के नाम पर देश के अलग-अलग हिस्सों में हुई हत्याओं पर मंगलवार को गाइडलाइंस जारी किया है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि भीड़तंत्र की इजाजत नहीं दी जा सकती है। शीर्ष अदालत ने संसद से इस मामले में कानून बनाने और सरकारों को संविधान के अनुसार काम करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई भी अपने आप में कानून नहीं हो सकता है। शांति स्थापित करना सरकार का दायित्व है। अदालत ने साथ ही कहा कि सरकार पीड़ितों को मुआवजा दे। शीर्ष अदालत ने कहा कि 4 हफ्तों में केंद्र और राज्य सरकार अदालत के आदेश को लागू करें। कोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई अगस्त में करेगा।
Suko told the government that the murders being done in the name of ‘Goraksha’ – make laws in Parliament, compensation to victims
सीजेआई दीपक मिश्रा, जस्टिस ए. एम. खानविलकर और जस्टिस धनंजय वाई. चन्द्रचूड़ की पीठ ने इस बारे में गाइडलाइंस जारी किए। इससे पहले गोरक्षा के नाम पर हो रही हिंसा पर अंकुश लगाने के न्यायिक आदेश पर अमल नहीं करने के कारण राजस्थान, हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकार के खिलाफ अवमानना कार्यवाही के लिए याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने इन सरकारों से जवाब मांगा था। महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी ने यह अवमानना याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया है कि इन 3 राज्यों ने शीर्ष अदालत के पिछले साल 6 सितंबर के आदेश का अनुपालन नहीं किया है।
तीनों राज्यों को नोटिस जारी किए और उन्हें 3 अप्रैल तक जवाब देने का निर्देश दिया था। गांधी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता इन्दिरा जयसिंह ने कहा था कि शीर्ष अदालत के आदेश के बावजूद इन राज्यों के विभिन्न हिस्सों में अभी भी गोरक्षा के नाम पर हिंसक घटनाएं हो रही हैं। इस पर पीठ ने कहा कि वह इस अवमानना याचिका पर गांधी की मुख्य याचिका के साथ सुनवाई करेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 6 सितंबर को सभी राज्यों को गोरक्षा के नाम पर हिंसक घटनाओं की रोकथाम के लिए एक सप्ताह के भीतर हर जिले में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को नोडल अधिकारी नियुक्त करने सहित कठोर उपाय करने का निर्देश दिया था। बेंच ने इस तरह के हिंसक कृत्यों को हर कीमत पर रोकने पर जोर देते हुए राज्यों को प्रत्येक जिले में एक समर्पित कार्यबल गठित करने और राज्यों के मुख्य सचिवों को गोरक्षा के नाम पर हिंसा की रोकथाम के लिए की गई कार्रवाई के विवरण के साथ स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था।