नई दिल्ली/भोपाल। एट्रोसिटी एक्ट में संशोधन के खिलाफ अनारक्षित वर्ग के 114 संगठनों द्वारा मप्र, राजस्थान समेत पूरे देश में बुलाए गए भारत बंद का असर नजर आने लगा है। इस बंद के दौरान बिहार के कई शहरों में प्रदर्शन हुए हैं। बिहार के बेगूसराय में लोगों के साथ दुर्व्यवहार की सूचना है वहीं सीतामढ़ी और आरा में प्रदर्शनकारियों ने एक ट्रेन को भी रोक लिया है। माकामा में भी प्रदर्शनकारियों ने हाईवे पर 20 किमी लंबा जाम लगा दिया है।
Support of the Bharat bandh of the upper castes, impacts in many states, including MPs, on protesters roads
एससी, एसटी एक्ट में संशोधन कर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने वाले सरकार के कदम के विरोध में सवर्ण लामबंद हो रहे हैं। सवर्णों का कहना है कि इस एक्ट में बिना जांच के दंड का प्रावधान है और अधिकांश मामलों में इसका दुरुपयोग होता आया है। मध्य प्रदेश में इसे सपाक्स समाज संस्था ने समर्थन दिया है। प्रदेश भर में करीब 35 संगठन समर्थन में आए हैं।
संगठनों का दावा है कि बंद के दौरान सुबह 10 से शाम 4 बजे तक प्रदेशभर में व्यापारिक प्रतिष्ठान, पेट्रोल पंप सहित बाजार बंद रहेंगे। दूध सप्लाई समेत रोजमर्रा की जरूरत की वस्तुओं को बंद से बाहर रखा है। कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस मुख्यालय ने जिलों में करीब साढ़े 10 हजार अतिरिक्त पुलिस बल भेजा है। अधिकतर जिलों में धारा 144 लगा दी है और धरना-प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी जा रही है।
उप्र में आगरा-मथुरा व आसपास के जिलों में बंद को लेकर विशेष सरगर्मी है। यहां से हजारों लोग मध्य प्रदेश के लिए कूच कर सकते हैं। ब्राह्माण और क्षत्रिय संगठन इसकी अगुआई में जुटे हैं। कुछ ब्राह्मामण विधायक भी बिना सामने आए आंदोलन को हवा दे रहे हैं। भारतीय नागरिक परिषद के अध्यक्ष चंद्र प्रकाश अग्निहोत्री ने कहा कि भाजपा बताए कि बिना जांच केगिरफ्तारी को क्या वह सही मानती है। पदोन्नतियों में आरक्षण का विरोध कर रही सर्वजन हिताय संरक्षण समिति ने अपने आंदोलन में एससी, एसटी एक्ट के विरोध को भी शामिल किया है। समिति ने 28 सितंबर को लखनऊ में बड़ा सम्मेलन आयोजित किया है।
यह था सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट के फैसले में कहा गया था कि एससी-एसटी एक्ट से जुड़े मामले में किसी भी व्यक्ति पर मुकदमा दर्ज होने से पहले उसके खिलाफ लगाए गए आरोपों की जांच होनी चाहिए। एससी-एसटी संगठनों ने फैसले का विरोध करते हुए दो अप्रैल को भारत बंद का आह्वान किया था, जिसमें काफी हिंसा भी हुई। विपक्ष और भाजपा के सहयोगी दलों ने इस पर सरकार से दखल देने की मांग की। केंद्र सरकार ने अध्यादेश लाकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया और अब स्थिति पूर्ववत हो गई है। मतलब, बिना जांच के भी मुकदमा दायर करने और गिरफ्तारी का रास्ता साफ हो गया है। लेकिन अब यह मुद्दा केंद्र सरकार के लिए मुसीबत बन गया है।
लोकसभा में 131 सीटें आरक्षित
लोकसभा में (84 एससी और 47 एसटी) सदस्यों के लिए कुल 131 सीटें आरक्षित हैं। इनमें से 67 भाजपा के हैं। जाहिर है भाजपा ने इस वर्ग की नाराजगी मोल लेने के बजाय सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलटना उचित समझा।
भाजपा में विरोध के स्वर
केंद्रीय मंत्री कलराज मिश्र ने कानून पर निजी राय रखते हुए कहा कि जमीन पर एससी-एसटी एक्ट का दुरुपयोग हो रहा है। इससे लोगों के अंदर असमानता का भाव पैदा हो रहा है। अधिकारी भी डर रहे हैं कि अगर मुकदमा दर्ज नहीं हुआ तो कार्रवाई हो जाएगी। हालांकि, इन बयानों पर सफाई देते हुए केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता मंत्री विजय सांपला ने कहा कि किसी व्यक्ति की निजी राय मायने नहीं रखती है। बयान उनकी निजी राय हो सकती है। संसद में सभी ने कानून के समर्थन में वोट किया।
भारत बंद का प्रमुख केंद्र मध्यप्रदेश
देशभर में एक्ट में हुए बदलाव का विरोध सबसे ज्यादा मध्यप्रदेश में दिख रहा है. इसलिये माना जा रहा है कि प्रदेश ही आंदोलन का केंद्र है. मध्यप्रदेश से ही एक्ट के विरोध में आवाज उठी है. प्रदेशभर में लगातार रैली और विरोध प्रदर्शन ने इस मुद्दे को हवा दी है. इसी के चलते प्रदेश सरकार सतर्क है.
मुख्य सचिव का दौरा रद्द
आज होने वाले इस आंदोलन को देखते हुए मुख्य सचिव बसंत प्रताप सिंह ने अपना शहडोल दौरा 5 सितंबर को निरस्त कर दिया. उन्होंने वीडियो कांफ्रेंस के जरिए सभी जिलों के कलेक्टर और पुलिस अधीक्षकों से बात कर आज होने वाले बंद को लेकर समझाइश दी. उन्होंने कहा कि भारत बंद के आव्हान को लेकर सभी सतर्क रहें. कोई भी अधिकारी-कर्मचारी ऐसे किसी आंदोलन में शामिल न हों.
खंडवा में मुख्यमंत्री शिवराज का कार्यक्रम
आंदोलन के इस माहौल में भी आज मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खंडवा में कार्यक्रम करेंगे. बीते दिनों मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में जूता फेंकने की घटना के बाद सीएम का सुरक्षा अमला भी अपनी पूरी तैयारी के साथ तैनात है. खंडवा में प्रशासन को सुरक्षा में कोई भी लापरवाही न बरतने की हिदायत दी गई है. वहीं चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा बल तैनात है.
राजधानी में 3 हजार पुलिसकर्मी तैनात
इस आंदोलन का केंद्र प्रदेश को माना जा रहा है ऐसे में प्रदेश की राजधानी भोपाल में प्रशासन कोई भी ठील नहीं बरतना चाहता है. सोशल मीडिया पर होने वाली गतिविधियों के साथ ही भोपाल के संवेदनशील इलाकों में विशेष सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है. हाइवे पर लगातार पेट्रोलिंग की जा रही है. पुलिस कंट्रोल रूम से शहरभर की मॉनिटरिंग की जा रही है. एहतियातन अधिकांश सीबीएससी और एमपी बोर्ड स्कूलों की भी छुट्टी कर दी गई है.
इंदौर में सुबह से ही दिख रहा असर
सपाक्स संगठनों का कहना है कि हम अपने हितों की लड़ाई लड़ेंगे. बंद के मद्देनजर प्रशासन अलर्ट है और शहर की हर गतिविधियों पर नजर बनाए हुए है. शहर सुबह से ही बंद का असर नजर आ रहा है. शहर के संयोगितागंज, छावनी मंडी, दवा और कपड़ा बाजार बंद हैं. वहीं बताया जा रहा है कि सपाक्स के कार्यकर्ता धीरे-धीरे कलेक्ट्रट के पास एकत्रित हो रहे हैं. इस बंद से बाजार में अरबों रुपये का नुकसान होगा लेकिन इसके बावजूद भी शहर के 10 बड़े व्यापारी संगठन व अन्य संगठन मिलाकर लगभग 40 संगठनों ने बंद का समर्थन किया है.
ग्वालियर में 30 हजार से ज्यादा सश्त्र लाइसेंस
ग्वालियर चंबल संभाग में 2 अप्रैल को हुए आंदोलन के दौरान भड़की हिंसा को देखते हुए यहां प्रशासन की तैयारियां कई दिनों से चल रही थीं. इसी के चलते 30 हजार से भी अधिक शस्त्र लाइसेंस निरस्त कर दिए गए हैं. सुबह से ही बंद का असर ग्वालियर शहर में दिखाई दे रहा है. सुरक्षा के मद्देनजर चप्पे-चप्पे सुरक्षा कर्मी तैनात हैं रात से ही डायल 100 व अन्य पुलिस वाहन पेट्रोलिंग कर रहे हैं. धारा 144 लागू होने बावजूद भी सपाक्स कलेक्टर को ज्ञापन सौंपने की बात कह रहा है. वहीं भिंड, मुरैना, श्योपुर, दतिया और शिवपुरी से प्राइवेट बसें बंद हैं.