सर्वे ने संघ और भाजपा को डाला चिंता, कैसे करें 200 पार

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भोपाल। भाजपा अब पूरी ताकत के साथ मप्र में फोकस करने लगी है। पिछले दिनों हुए सर्वे की रिपोर्टों के आधार पर पार्टी और संघ को स्थिति चिंता दिख रही है। जबकि लक्ष्य था अब की बार 200 पार पर इतरे सारे सर्वे और कांग्रेस की बढ़ती ताकत और एससी/एसटी एक्ट से परेशान भाजपा नेता अब बैठकें करके इस समस्या का हल निकालने की कोशिश कर रहे हैं। बैठकों में एक मुद्दा और सामने आ रहा है पुराने चेहरों से नाराज हो चुके हैं, इसलिए नए लाएं जाएं वह भी ऐसे लोग जिनके ऊपर कोई दाग न हो। तभी मप्र में वापसी का आसार बन पाएगा।
Survey cares for the union and the BJP, how do 200 cross
मध्यप्रदेश में एससी/एसटी एक्ट के खिलाफ बने माहौल ने भारतीय जनता पार्टी की चिंता बढ़ा दी है। चिंता की वजह है सामान्य वर्ग की नाराजगी। सामान्य वर्ग के संगठनों द्वारा बुलाए बंद की सफलता ने पार्टी को सोचने पर विवश कर दिया हैं। पार्टी नेताओं का मानना है कि यदि समय रहते सामान्य वर्ग की नाराजगी दूर नहीं की गई तो ‘अब की बार दो सौ पार” के लक्ष्य की प्राप्ति में कठिनाई आ सकती है। पार्टी नेता इसी चिंता में जुटे हैं कि किसी भी सूरत में सामान्य वर्ग की नाराजगी दूर करने वाला फॉमूर्ला लाया जाए।

एक तरफ 200 पार का नारा है और दूसरी तरफ संघ की चिंता बिल्कुल इसके उलट है। संघ के सर्वे में स्थितियां इसके बिल्कुल उलट बताई जा रही हैं। मौजूदा 95 से ज्यादा विधायकों की स्थिति चिंताजनक बताई गई है। इसके साथ ही 2019 के लोकसभा चुनाव में 29 सीटें जीतने के लक्ष्य को लेकर भी चचार्एं जारी हैं।

इस बीच एससी/एसटी एक्ट के खिलाफ बने माहौल ने पार्टी नेताओं की चिंताएं बढ़ा दी है। अब तक सामान्य वर्ग को भाजपा का वोटबैंक माना जाता था। एट्रोसिटी एक्ट को लेकर क्या यह वर्ग भाजपा के साथ ही रहेगा, यह पार्टी की चिंता की वजह है। पार्टी पहले से ही एंटीइनकमबेंसी के हालात का सामना कर रही है। दबी जुबान में भाजपा के नेता ही स्वीकार कर रहे हैं कि केंद्र सरकार ने बैठे बिठाए मुसीबत खड़ी कर दी है।

हम विकास के एजेण्डे पर वोट मांगेंगे- भाजपा
भारतीय जनता पार्टी के मुख्य प्रवक्ता डॉ. दीपक विजयवर्गीय कहते हैं कि पार्टी अपने विकास और उपलब्धियों के एजेंडे को लेकर विधानसभा चुनाव मैदान में उतर रही है। विकास के एजेंडे पर ही हम जनता से संवाद करेंगे। पिछले विधानसभा चुनाव में भी हमने कांग्रेस की कई सीटें जीती थी, इस बार भी 60 से ज्यादा कांग्रेस की सीटों को चिन्हित किया गया है, जहां हम ज्यादा ताकत के साथ अपनी उपलब्धियों को ले जाएंगे और घर-घर जाकर उनका प्रचार-प्रसार करेंगे।