अलीगढ़। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के छात्रसंघ हॉल में लगी मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर को लेकर उपजा विवाद थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। सांसद सतीश गौतम के एएमयू कुलपति को पत्र लिखने से जहां भूचाल आ गया है, तो वहीं संघ कार्यकर्ता आमिर रशीद ने एलान किया है कि जो भी छात्र संघ भवन से जिन्ना की तस्वीर निकाल कर देगा, उसे 51000 का इनाम दिया जाएगा।
Take a picture of Jinnah and get a reward of 51 thousand
जिन्ना की तस्वीर लाने वाले को मिलेगा 51 हजार रुपये
संघ विचारक आमिर राशिद ने कहा कि देश का मुसलमान मोहम्मद अली जिन्ना से घृणा करता है। आमिर ने कहा कि जो भी छात्र मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर लाकर देगा, उसको 51 हजार रुपए देंगे। साथ ही एक और ऐलान किया कि जो भी छात्र वीर सावरकर, शिवाजी महारज, केशवराव हेडगेवार की तस्वीर छात्र संघ के कार्यालय में लगाएगा, उसे एक लाख रुपये का इनाम दिया जाएगा।आमिर ने कहा कि इससे उन्हें भारतीय संस्कृति व भारतीय शूर वीरों की गाथा का पता चलेगा और उनसे प्रेरणा लेंगे, जिससे उनका राष्ट्रवाद भी मजबूत होगा।
नरसंहार के जिम्मेदार हैं जिन्ना
आमिर ने कहा कि इतिहास को परिवर्तित करने की जरूरत नहीं है। जनमानस की भावना यही है कि जिन्ना की तस्वीर छात्रसंघ कार्यालय से तत्काल हटाई जाए। आमिर ने कहा कि देश की आजादी में जिन्ना का योगदान रहा होगा, लेकिन वर्तमान समय में वह हत्यारे हैं। लाखों बेगुनाह लोगों की जान के जिम्मेदार हैं।
बंटवारे के बाद लाखों लोगों की जान चली गई थी और उस नरसंहार के जिम्मेदार जिन्ना हैं। छात्र संघ कार्यालय से जिन्ना की फोटो हटाने के लिए अध्यादेश लाने की जरूरत नहीं है। जिन्ना की आइडियोलॉजी का छात्रसंघ समर्थन कर रहा है, तभी तीन दिन से छात्र संघ कार्यालय से जिन्ना की तस्वीर नहीं हटाई गई।
राष्ट्रवादी मुसलमान जिन्ना से करता है नफरत
उन्होंने कहा कि छात्रसंघ पदाधिकारियों का जिन्ना प्रेम जागा हुआ है और जिन्ना प्रेम की वजह से ही मन्नान वानी जैसे छात्र एएमयू से निकल रहे हैं। आमिर ने बताया कि जिन्ना की तस्वीर हटाने वाले को 51 हजार रुपये देकर पुरस्कृत करेंगे और उस तस्वीर को बीच चौराहे पर रखकर जलाएंगे।
उन्होंने कहा कि यह आरएसएस की तरफ से नहीं है, लेकिन जो राष्ट्रवादी मुसलमान है, वह जिन्ना से नफरत करता है। आमिर ने बताया कि एएमयू में कुछ रूढ़िवादी मुसलमान है, जो अपनी आइडियोलॉजी से बाहर निकलना नहीं चाहते। यह मुस्लिम समाज को पीछे की ओर ले जा रहे हैं।