राज जमाते ही बामियान में फिर तालिबान का कहर, अल्पसंख्यक नेता की मूर्ति तोड़ी; बुद्ध प्रतिमाओं को भी बम से उड़ाया था

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TIO NEW DELHI

अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी को लेकर जो डर था, वह अब सच होने लगा है। तालिबान ने अपना असली रंग दिखाना शुरू कर दिया है और अब उसकी हाल की एक हरकत से बामियान का वह कांड याद आ गया, जिसमें आतंकी संगठन ने भगवान बुद्ध की प्रतिमा को बम से उड़ाकर तहस-नहस कर दिया था। तालिबान ने बामियान में मारे गए हजारा नेता अब्दुल अली मजारी की प्रतिमा को ध्वस्त कर दिया है। इस घटना से तालिबान ने अपने पिछले कार्यकाल के दौरान बामियान स्थित बुद्ध भगवान की मूर्तियों के विनाश की एक निष्ठुर याद की झलक दिखा दी है। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, ह्यूमन राइट एक्टिविस्ट सलीम जावेद ने ट्वीट किया कि …तो तालिबान ने बामियान में मारे गए हजारा नेता अब्दुल अली मजारी की प्रतिमा को उड़ा दिया है। पिछली बार तालिबानियों उन्हें मार डाला था, बामियान स्थित बुद्ध की विशाल मूर्तियों और सभी ऐतिहासिक और पुरातात्विक स्थलों को उड़ा दिया था। बता दें कि 20 साल पहले के अपने राज में तालिबान बर्बर सजाओं और क्रूर शासन के लिए कुख्यात है।

गौरतलब है कि हजारा नेता अब्दुल अली मजारी एक हजारा नेता था, जिन्हें 1995 में तालिबान ने मार डाला था। तालिबान वर्षों से हजारा समुदाय पर बार-बार हमला करता रहा है। हजारा अल्पसंख्यक समूह है, जो मुख्य रूप से अफगानिस्तान के पहाड़ी मध्य क्षेत्र में केंद्रित है, जिसे हजराजत के नाम से जाना जाता है। हजारों को मंगोल साम्राज्य के संस्थापक चंगेज खान और मंगोल सैनिकों के वंशज कहा जाता है।

दरअसल, बामियान के बुद्ध चौथी और पांचवीं शताब्दी में बनी बुद्ध की दो खडी मूर्तियां थीं, जो अफगानिस्तान के के बामियान में स्थित थी। साल 2002 में अफगानिस्तान के जिहादी संगठन तालिबान के नेता मुल्ला मोहम्मद उमर के कहने पर डाइनामाइट से उड़ा दिया गया था। ये मूर्तियां चीन और दक्षिण एशिया के बीच एक प्राचीन व्यापार मार्ग पर स्थित थीं. काबुल से करीब 200 किलोमीटर दूर उत्तर-पश्चिम में बामियान घाटी एक बौद्ध केंद्र थी। छठी शताब्दी में कई बौद्ध संयासी इस घाटी में रहते थे। कहा जाता है कि बौद्ध संयासियों के साथ ही केंद्रीय अफगानिस्तान के पहाड़ी इलाकों में बौद्ध कला और संस्कृति आई। लाल रेतीले पत्थर की बड़ी बड़ी चट्टानों में रहने लायक गुफाएं बनाई गईं। बुद्ध की वो मूर्तियां भी इसी पत्थर से बनाई गई थीं।

साथ ही हजारा समुदाय के सूत्रों ने यह भी पुष्टि की है कि अफगानिस्तान की लेडी गवर्नर सलीमा मजारी को अब तालिबान ने हिरासत में ले लिया है। अफगानिस्तान की सलीमा मजारी बल्ख प्रांत की चारकिंत ज़िले की महिला गर्वनर हैं, जो बीते कुछ दिनों से तालिबान से लोहा लेने के लिए अपनी सेना बना रही थीं। हजारा के एक समूह ने ट्वीट किया कि हजारा समुदाय के सूत्रों ने पुष्टि की है कि सलीमा मजारी अब तालिबान की हिरासत में हैं। वह चारकिंत, बल्ख की राज्यपाल हैं।

बता दें कि यह घटना ऐसे वक्त में सामने आई है, जब तालिबान ने सभी अफगान सरकारी अधिकारियों के लिए “सामान्य माफी” की घोषणा की और उनसे काम पर लौटने का आग्रह किया, जिसमें शरिया कानून के अनुरूप महिलाएं भी शामिल थीं। अफगानिस्तान में तालिबान के राज को मान्यता देने के मसले पर भारत इस बार ‘देखो और इंतजार करो’ की रणनीति पर काम कर रहा है। 1996 से 2001 के दौरान तालिबान के राज को मान्यता देने वाले भारत ने इस बार अन्य लोकतांत्रिक देशों के साथ जाने का फैसला लिया है। भारत सरकार के एक सूत्र का कहना है कि तालिबान के नेताओं के रवैये को कुछ दिनों तक देखने और दुनिया के अन्य लोकतांत्रिक देशों के फैसले के आधार पर कुछ विचार किया जाएगा। पूरे मामले की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने कहा, ‘हम तालिबान को मान्यता देने वाले देशों में आगे नहीं रहेंगे। लेकिन डेमोक्रेटिक ब्लॉक के साथ जाएंगे और मौजूदा हालात की समीक्षा करते हुए ही कोई फैसला लेंगे।’वैश्विक राजनीति की समझ रखने वालों का कहना है कि क्वाड संगठन या फिर अन्य पश्चिमी देशों के फैसले के आधार पर भारत कोई निर्णय ले सकता है। तालिबान को मान्यता देने को लेकर भारत की ओर से आतंकवाद को बढ़ावा न देने और नागरिकों के साथ अच्छा बर्ताव रखने की मांग की जा सकती है। इन शर्तों के आधार पर ही तालिबान के राज को मान्यता देने पर विचार किया जाएगा। फिलहाल तालिबान ने अफगानिस्तान में औपचारिक तौर पर अपने शासन का ऐलान नहीं किया है और न ही किसी तरह की व्यवस्था अभी तैयार हुई है। लेकिन रूस, चीन, तुर्की और ईरान जैसे देशों ने उसका समर्थन करना शुरू कर दिया है।

तालिबान ने अफगानिस्तान में महिला न्यूज एंकर्स को बैन कर दिया है। तालिबान का यह फैसला उसके महिलाओं को आजादी देने के दावे के 24 घंटे के अंदर ही सामने आ गया है। तालिबान ने मंगलवार को ही कहा था कि वह महिलाओं पर दबाव नहीं बनाएगा। साथ ही महिलाओं से सरकार में शामिल होने की अपील भी की थी।

अफगानिस्तान में अब तालिबान सरकार बनाने की तैयारी में है। इस चरमपंथी संगठन का सह-संस्थापक और राजनीतिक प्रमुख मुल्ला बरादर दोहा से कंधार लौट आया है। तालिबान के शासन में वह अफगानिस्तान का राष्ट्रपति हो सकता है।

अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद तालिबान प्रवक्ता और तालिबानी संस्कृति परिषद का प्रमुख जबीउल्लाह मुजाहिद मंगलवार को पहली बार दुनिया के सामने आया। जबीउल्लाह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर तालिबानी शासन का रोडमैप रखा और कहा, ‘हम किसी के प्रति नफरत की भावना नहीं रखेंगे। हमें बाहरी या अंदरूनी दुश्मन नहीं चाहिए। साथ ही कहा कि अफगानिस्तान की जमीन से किसी देश पर हमला नहीं होने देंगे।’