नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हिंदुत्व किसी और की आस्था को खत्म करने की बात नहीं करता। यह व्यक्ति के अंदर से निकली आस्था है और इसका यह स्वरूप सदियों से रहा है जो दूसरे को प्रभावित नहीं करता। ना ही दूसरे के आड़े आता है। भगवान जगन्नाथ मंदिर के प्रशासन से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को यह टिप्पणी की। इस मंदिर में हिंदुओं के अलावा किसी भी दूसरे धर्म के लोगों के प्रवेश पर मनाही है।
Temple management should consider the permission of worship of every caste and religion: Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल दाखिल कर जगन्नाथ मंदिर परिसर में कुप्रबंधन और सेवकों के गलत आचरण का आरोप लगाया गया है। गुरुवार को इसी मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में सवाल उठा कि क्या किसी धर्म विशेष को मानने वाले शख्स को दूसरे धर्म के धार्मिक स्थल पर प्रवेश की इजाजत दी जा सकती है, खासकर जिस धार्मिक स्थल की परंपरा ऐसी रही हो और धार्मिक स्थल के बाहर यह लिखा हो कि गैर धर्म के व्यक्ति का प्रवेश निषेध है।
ड्रेस कोड और अंडरटेकिंग का सुझाव
सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान टिप्पणी की कि मंदिर मैनेजमेंट को इस बात पर विचार करना चाहिए कि अन्य धर्म के लोगों को विशेष ड्रेस कोड और उचित अंडरटेकिंग देने के बाद मंदिर में दर्शन की इजाजत दी जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान भगवत गीता का भी जिक्र किया। बेंच ने सुझाव दिया कि इस पर विचार किया जाए कि जो लोग अंडरटेकिंग देने और मंदिर की परंपरा का पालन करने को तैयार हैं, उन्हें मंदिर में जाने दिया जाए। यह सुझाव केंद्र और राज्य सरकार को भी दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव देने को कहा है कि क्या किसी धार्मिक स्थल जहां दूसरे धर्म के लोगों का प्रवेश वर्जित हो, वहां दूसरे धर्म के लोगों के प्रवेश की अनुमति दी जा सकती है या नहीं। अगली सुनवाई 5 सितंबर को होगी।
जगन्नाथ मंदिर का मामला इन वजहों से है कोर्ट में
याचिकाकर्ता मृणालिनी पधी ने कहा है कि जगन्नाथ मंदिर में श्रद्धालुओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वहां के सेवक श्रद्धालुओं को प्रताड़ित करते हैं। यही नहीं मंदिर परिसर में हाइजीन और अवैध कब्जे का मसला भी उठाया गया है। कोर्ट मामले में केंद्र, उड़ीसा सरकार और मंदिर मैनेजमेंट कमिटी को नोटिस जारी कर चुका है। मंदिर में कथित तौर पर श्रद्धालुओं के शोषण के मामले को गंभीरता से लेते हुए कोर्ट ने 8 जून को तमाम निर्देश जारी किए थे।