कोलंबो। श्री लंका में चल रहा राजनीतिक घमासान भारत के लिए भी खतरे की घंटी है। राष्ट्रपति सिरीसेना ने प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को बर्खास्त कर उनकी जगह पर महिंदा राजपक्षे को देश का नया पीएम नियुक्त कर दिया। हालांकि, विक्रमसिंघे ने बहुमत होने का दावा किया है और रविवार को स्पीकर ने उनकी बर्खास्तगी को असंवैधानिक बताते हुए उन्हें फिर से पीएम नियुक्त कर दिया। सिरीसेना ने 16 नवंबर तक संसद को भंग कर दिया ताकि इस वक्त में राजपक्षे अपने लिए बहुमत का जुगाड़ कर सकें। हालांकि, स्पीकर जयसूर्या ने उनके इस फैसले पर सवाल उठाते हुए इसे असंवैधानिक करार दिया।
Tension created in India for political frugality in Sri Lanka!
श्री लंका में इस वक्त राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के बीच संघर्ष
श्री लंका में राजनीतिक पदों की ताकत भारत से अलग है। भारत में राष्ट्रपति का पद संवैधानिक और प्रतीकात्मक है, लेकिन श्री लंका में राष्ट्रपति की ताकत असीमित होती है। इस टापू देश में कैबिनेट का प्रमुख प्रधानमंत्री हकीकत में राष्ट्रपति के डेप्युटी के तौर पर काम करता है। फिलहाल वहां पर संघर्ष राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के बीच चल रहा है। सिरीसेना और महिंदा राजपक्षे के पास इस वक्त 95 सीट हैं और यह बहुमत से कम है। विक्रमसिंघे के पास 106 सीट हैं और यह बहुमत से सिर्फ 7 सीट कम है।
पुराने समीकरण, नई राजनीति
सिरीसेना और राजपक्षे का रिश्ता नया नहीं है और दोनों लंबे समय तक राजनीतिक सहयोगी रह चुके है। सिरीसेना राजपक्षे की कैबिनेट में हेल्थ मिनिस्टर थे। बाद में मतभेद बढ़ने के बाद सिरीसेना ने अपनी अलग पार्टी बनाई और 2015 में राजपक्षे को सत्ता से बेदखल करने में कामयाब रहे। विक्रमसिंघे के साथ सिरीसेना के राजनीतिक मतभेद रहे हैं, लेकिन दोनों ने राजपक्षे को हटाने के लिए हाथ मिलाने का फैसला किया। विक्रमसिंघे और सिरीसेना के बीच के मतभेद सत्ता में आने के बाद बहुत साफ नजर आने लगे। आर्थिक सुधार, पॉलिसी निर्माण और गृहयुद्ध के दौरान सैन्य अधिकारियों के मानवाधिकार उल्लंघन मामले की जांच को लेकर दोनों शीर्ष नेताओं के बीच मतभेद लगातार बढ़ते ही गए।
भारत के लिए है बुरी खबर?
श्री लंका भारत के लिए अहम सहयोगी देश रहा है, लेकिन राजपक्षे का झुकाव चीन की तरफ अधिक है। राजपक्षे के 2 बार के कार्यकाल में चीन ने श्री लंका में इन्फास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट में भारी निवेश किया था। विक्रमसिंघे सरकार ने बढ़ते कर्ज को देखते हुए चीन के कई प्रॉजेक्ट पर रोक लगा दी और भारत की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया। हालांकि, अगले साल होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में राजपक्षे का जीतना तय माना जा रहा है। उम्मीद की जा रही है कि कानून में परिवर्तन कर राजपक्षे की सत्ता में वापसी का रास्ता साफ किया जा सकता है। श्री लंका में 2 बार ही राष्ट्रपति बनने की अधिकतम सीमा तय है, लेकिन अर्थव्यवस्था में सुस्ती को देखते हुए इसमें बदलाव किया जा सकता है।