@ राकेश अचल
दुनिया में हम और हमारा भारत हर मामले में सबसे अलहदा है .अगर हम अलहदा न होते तो भला अफगान मामले पर गुफ्तगू होती और हमारा पुराना दोस्त रसिया हमें न्यौता न देता ? खैर जाने दीजिये .आज बात करते हैं देश के सबसे अलग मिनिस्टर की.ऐसे मिनिस्टर की जो केवल ‘थेंक्यू मिनिस्टर’ नहीं हैं बल्कि ‘रेस्क्यू मिनिस्टर’ भी है .
देश में मिनिस्टरों की कम नहीं है.,हर सूबे में एक से बढ़कर एक मिनिस्टर मिल जायेंगे आपको,लेकिन हमारे मिनिस्टर जैसा कोई नहीं मिलेगा .दरअसल हमारे घरेलू मिनिस्टर को सूबे में संकटमोचक मिनिस्टर माना जाता है. माना क्या जाता है ,वे हैं ही संकट मोचक .जब-जब सूबे की सरकार पर संकट आया संकटमोचक हाजिर हो गए और छोटे से छोटा तथा बड़े से बड़ा संकट छू-मंतर हो गया .
एक जमाना था जब सूबे में हमारी जिज्जी का राज था,लेकिन उन्होंने इन संकटमोचक मिनिस्टर की प्रतिभा को नहीं पहचाना और मिनिस्टर नहीं बनाया .जिज्जी की सरकार पर जब संकट आया तब उनके पास कोई संकटमोचक मिनिस्टर था ही नहीं ,नतीजा जग जाहिर है.जिज्जी की सरकार चली गयी .लेकिन जिज्जी के उत्तर्राधिकारियों ने संकटमोचक मिनिस्टर की प्रतिभा को न सिर्फ पहचाना बल्कि उसका पूरा सम्मान भी किया .
हमारे सूबे के संकटमोचक मिनिस्टर का दूसरा नाम टिनोपाल मिनिस्टर भी है .एक जमाना था जब कपड़ों की झक्क सफाई का दूसरा नाम ही टिनोपाल माना जाता था ,हमारे संकटमोचक मिनिस्टर ने हर चीफ मिनिस्टर के साथ अपनी ड्यूटी पूरी निष्ठा के साथ निभाई इसलिए उन्हें हर चीफ मिनिस्टर ने अपना ‘थेंक्यू मिनिस्टर’ भी मान लिया .सूबे में ‘लो- कमान’ से लेकर ‘हाईकमान’ तक की सारी ‘ थेंक्यू सर्विस’ इन्हीं टिनोपाल मिनिस्टर के जिम्मे रहती आयी हैं.
हकीकत ये है कि ऐसे संकटमोचक और थेंक्यू सर्विस देने वाले मिनिस्टर चीफ मिनिस्टरों को मुश्किल से और वो भी नसीब से मिलते हैं .हमारे मामा चीफ मिनिस्टर का नसीब अच्छा है ,इसलिए उन्हें रेडीमेड संकटमोचक कम थेंक्यू मिनिस्टर मिल गए .हम सबको उनके ऊपर नाज है .नाज होना भी चाहिए क्योंकि उन्होंने आज के कलियुग में भी अपनी पोशाक को झक्क सफेद ही रखा ,वरना सफेद कपड़ों पर दाग लगने में कितनी देर लगती है ?
अभी हाल की बात है कि हमारे सकतमोचक मिनिस्टर पर टोक्यो में चल रहे ओलमिपक खेलों का असर जादू जैसा हो गया .साठ साल की लक्ष्मण रेखा पार कर रहे संकटमोचक मिनिस्टर सूबे में अचानक आयी बाढ़ के समय बाढ़ पीड़ितों को संकट से बचाने के लिए अचानक हेलीकाप्टर से लटक गए .उनसे ग्रामीणों का संकट नहीं देखा गया. रेस्क्यू कर्मचारी समझाते रह गए लेकिन वे नहीं माने .मामा चीफ मिनिस्टर भी ग्रामीणों का संकट देखने, समझने हवाई जहाज में बैठे लेकिन वे भी सनकटमोचक मंत्री जैसा दुस्साहस नहीं कर पाए .
जान हथेली पर रखकर हेलीकाप्टर से नीचे जाना और फिर ऊपर आना हंसी-खेल नहीं होता .अपने राम के प्राण तो ऐसे मौके पर कंठगत हो जाते ,लेकिन संकटमोचक मिनिस्टर ने जो स्टंट असली स्टंटमैन नहीं कर सकते थे करके दिखा दिया .अब संकटमोचक मिनिस्टर का नाम थेंक्यू मिनिस्टर से बदलकर रेस्क्यू मिनिस्टर रखने की होड़ चल रही है .मंत्री जी के स्टंट की वीडियो क्लिपिंग टीवी के परदे पर चलवाने के लिए पब्लिक रिलेशन वालों को क्या-क्या पापड़ बेलना पड़े,हम आपको बता नहीं सकते .
कहते हैं कि रेस्क्यू मिनिस्टर का स्टंट आफिस के चौकीदार से लेकर देश के चौकीदार तक ने देखा,सराहा और दूसरों से भी अनुशरण करने को कहा. मार्गदर्शक मंडल के एक सदस्य ने तो यहां तक कह दिया कि अब मंत्री पद के लिए प्रत्याशी का स्टंटमैन होना अनिवार्य कर दिया जाये .भला हो ऊंचा सुनने वालों का जो इस मशविरे पर किसी ने न कान दिए और न ध्यान दिया ,अन्यथा बेचारे मंत्रियों को लेने के देने पड़ जाते .
हमारे कैमरे के सामने आते ही मंत्री जी विनम्रता से गुड़ीमुड़ी हो गए. बोले-‘ इसमें मेरा क्या रोल है भाई ? मै तो पुराना साखा मृग हूँ और साखामृग की के मनुसाई,साखा से साखा पर जाई’.मैंने तो जो शाखाओं में सीखा उस पर अमल भर करने की कोशिश की .बाढ़ पीड़ितों को बचाया तो भगवान और हैलीकाप्टर वालों ने है ,मै तो निमित्त मात्र था’ .’ रेस्क्यू मिनिस्टर’ की विनम्रता देखकर अपना दिल भी द्रवित हो गया ,इससे पहले कि दिल का द्रव्य आँखों में छलकता अपने राम ने कैमरा बंद कर दिया .मंत्री जी ने जैसे ही हमें फारिग देखा ,मुस्कराते हुए मिठाई का डिब्बा आगे बढ़ा दिया .
रेस्क्यू मिनिस्टर रेस्क्यू आपरेशन के बाद सुर्ख़ियों में क्या आये हैं उनका चेहरा संकोच के मारे हर वक्त सुर्ख बना रहता है ,उनके कुछ ख़ास सिपाहसालारों ने भरोसा दिलाया है कि मंत्री जी के इस हैरतंगेज कारनामे को ‘गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड’ में शामिल करने के साथ ही इस पर एक लघु फिल्म भी बनवाई जाएगी .मंत्री जी हैं तो सब मुमकिन है .