बिहार सरकार का कहना है कि अधिकतर मौत का कारण लो ब्लड शुगर है

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मुजफ्फरपुर

बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में इस महीने 43 बच्चों की मौत हो गई है। इन बच्चों की उम्र 10 साल से कम बताई जा रही है। ये मौतें जिले के दो अस्पतालों में हुई हैं। हालांकि राज्य सरकार मौत का कारण दिमागी बुखार नहीं बता रही है। सरकार का कहना है कि अधिकतर मौत का कारण हाईपोग्लाइसीमिया है, यानी लो ब्लड शुगर। वहीं विशेषज्ञों का कहना है कि हाईपोग्लाइसीमिया इस बुखार का ही एक भाग है।

क्या हैं लक्षण?
एईएस (एक्टूड इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम) और जेई (जापानी इंसेफलाइटिस) को उत्तरी बिहार में चमकी बुखार के नाम से जाना जाता है। इससे पीड़ित बच्चों को तेज बुखार आता है और शरीर में ऐंठन होती है। इसके बाद बच्चे बेहोश हो जाते हैं। मरीज को उलटी आने और चिड़चिड़ेपन की शिकायत भी रहती है।

केंद्र सरकार की सात सदस्यीय टीम के जल्द ही अस्पतालों का दौरा करने और दिशानिर्देशों का सुझाव देने की संभावना है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्थिति पर चिंता जताई है और स्वास्थ्य विभाग को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देशित किया है कि प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल केंद्र और अस्पताल मामलों से निपटने के लिए जरूरी मानकों का पालन करें।

जनवरी से लेकर अभी तक जिले के दो अस्पतालों में एईएस से पीड़ित 172 बच्चे भर्ती हुए। जिनमें से 157 एक जून के बाद भर्ती हुए और जो 43 मौत हुईं वो सभी जून महीने में हुई हैं। यहां के श्री कृष्णा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एसकेएमसीएच) में जनवरी से अब तक 117 बच्चे भर्ती हुए, जिनमें से 102 जून में भर्ती हुए थे। इन बच्चों में से 36 की मौत हो गई है।

केजरीवाल मातृ सदन (अस्पताल) में जून के बाद से इस बीमारी के 55 मामले आए, जिनमें से सात बच्चों की मौत हो गई। अभी इस अस्पताल में चार और एसकेएमसीएच अस्पताल में छह बच्चों की हालत गंभीर बनी हुई है। वहीं इलाज के बाद अस्पताल ने 41 बच्चों को छुट्टी दे दी है।