कहीं भाजपा का खेल नहीं बिगाड़ दे मैदान में डटे बागी!

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भोपाल। 2019 के चुनावी रण में बीजेपी के बागी फिर मैदान में डट गए हैं। पार्टी ने बागियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए भले उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया हो लेकिन चुनाव मैदान में उनकी मौजूदगी बीजेपी की परेशानी बढ़ा रही है।

बागी होने के बाद बीजेपी अब तक सांसद बोधसिंह भगत और पूर्व विधायक आर डी प्रजापति को बाहर का रास्ता दिखा चुकी है। लेकिन उसके बाद भी पार्टी की मुश्किल कम नहीं हुई है। बागियों की चुनाव मैदान में मौजूदगी पार्टी आलाकमान के माथे पर चिंता की लकीरें खींच रही है। आलम ये है कि प्रदेश प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे और लोकसभा प्रभारी स्वतंत्र देव सिंह खुद चुनावी जमावट करने और बगावत को बेअसर करने के लिए जमीन पर उतरे हैं।
बीजेपी की चिंता की वजह विधानसभा चुनाव के नतीजे भी हैं। नवंबर 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में बगावत का खामियाजा बीजेपी को सत्ता से बाहर होकर भुगतना पड़ा था।

चुनाव मैदान में बागी
-बालाघाट से सांसद बोध सिंह भगत टिकट कटने से नाराज होकर बागी हो गए हैं।
-बोध सिंह भगत ने बालाघाट से निर्दलीय नामांकन दाखिल किया।
-बीजेपी ने इस सीट से ढाल सिंह बिसेन को उम्मीदवार बनाया है।
– बोध सिंह भगत बीजेपी के अधिकृत उम्मीदवार ढाल सिंह बिसेन के लिए मुसीबत बन सकते हैं।
बीजेपी के पूर्व विधायक आर डी प्रजापति भी टीकमगढ़ से मैदान में उतर आए हैं।
-आर डी प्रजापति टिकट न मिलने पर बागी होकर इस बार समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं।
-आर डी प्रजापति बीजेपी उम्मीदवार वीरेंद्र खटीक की राह का रोड़ा बन रहे हैं।
-विधानसभा चुनाव के नतीजों में भी बागियों ने ही बीजेपी की लुटिया डुबायी थी।
-दमोह में रामकृष्ण कुसमारिया की बगावत ने जयंत मलैया को हराया।
-ग्वालियर दक्षिण में समीक्षा गुप्ता की बगावत ने नारायण सिंह कुशवाहा को हराया।
-नरेंद्र कुशवाह की बगावत की वजह से भिंड में राकेश चौधरी हार गए।
-सुदामा सिंह की बगावत से नरेंद्र मरावी हार गए।
-धीरज पटैरिया की बगावत शरद जैन की हार की वजह बनी।

बीजेपी के इस अंदरूनी घमासन पर विरोधियों की नजर
बीजेपी के इस अंदरूनी घमासन पर विरोधियों की नजर है। कांग्रेस कह रही है ये तो बीजेपी में घर का घमासान है। इसका फायदा कांग्रेस को मिलेगा। बोध सिंह भगत और आरडी प्रजापति की चुनाव मैदान में मौजूदगी बीजेपी के वोट काटेगी और यही उसकी हार की वजह बन सकती है।