नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में बीजेपी के सरकार से समर्थन वापस लेने की टाइमिंग को लेकर भी काफी चर्चा हो रही है। दरअसल, बीजेपी ने यह सुनिश्चित करते हुए सरकार से समर्थन वापस लिया कि जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव लोकसभा चुनाव से पहले नहीं होंगे। जम्मू-कश्मीर में 6 महीने राज्यपाल शासन का प्रावधान है।
The BJP’s withdrawal of support from the TDP is a matter of discussion, with Joe
बीजेपी नेतृत्व चाहता है कि ये 6 महीने ऐसे ही निकाले जाएं। इसके पीछे रणनीति यह है कि ये 6 महीने दिसंबर तक पूरे होंगे। इसके बाद लोकसभा चुनाव के लिए मंच सज जाएगा, ऐसे में जम्मू-कश्मीर के चुनाव भी लोकसभा के साथ ही हो सकते हैं। लोकसभा चुनाव की तैयारी 2019 के मार्च में शुरू होने की संभावना है।
जम्मू और लद्दाख को आगे लाने की कोशिश
फिलहाल बीजेपी को राज्यपाल शासन में किसी ऐसे चमत्कार की उम्मीद है कि जिससे जम्मू और लद्दाख क्षेत्र में विकास को आगे बढ़ाया जा सके, वहां के लोग जिस कमी को महसूस कर रहे हैं उसे पूरा किया जा सके। इसके साथ ही आतंकवाद और अलगाववाद के खिलाफ सरकार एक सख्त मुद्रा में नजर आ सके। पार्टी सूत्रों ने भी इस बात की हामी भरी है कि जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन के बाद राष्ट्रपति शासन लागू हो सकता है। जिससे चुनाव कराने में और भी देरी हो सकती है।
लेकिन राज्यपाल शासन से राष्ट्रपति शासन को बदलने के लिए संसद द्वारा संशोधन की जरूरत होगी। जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन का कार्यकाल 20 दिसंबर तक पूरा होगा। इस समय तक संसद का शीतकालीन सत्र खत्म होने की कगार पर होगा। बीजेपी को उम्मीद है कि फिलहाल विधानसभा में किसी तरह की संभावना नहीं है, क्योंकि पीडीपी और कांग्रेस के पास पर्याप्त संख्या नहीं है। इसके अलावा, अभी तक कांग्रेस भी सरकार बनाने की बात से इनकार कर चुकी है। वहीं नैशनल कॉन्फ्रेंस भी सह बात कह चुकी है वह राज्यपाल शासन का समर्थन करती है।