इंदौर कीर्ति राणा
राजनीति में ना दोस्ती स्थायी होती है न दुश्मनी, मान-सम्मान कब कैसा उलटफेर करा दे यह भी समय समय की बात होती है।कांग्रेस में श्री विहीन करने के षड़यंत्र की छटपटाहट भाजपा के लिए उम्मीद की ज्योति बन जाएगी यह सिंधिया के विषय में किसी ने सोचा था क्या? उसी तरह श्रमिक क्षेत्र वाले विधानसभा क्षेत्र क्रमांक दो में कैलाश विजयवर्गीय और रमेश मेंदोला के खिलाफ वर्षों से दमखम से किला लड़ाने वाले कांग्रेस नेता मोहन सेंगर भी मुझे चढ़ गया भगवा रंग रंग…गीत पर थिरकने लगेंगे यह भी कहां सोचा था।
गुरुवार को जब क्षेत्र क्रमांक 2 के भाजपा कार्यकर्ता दादा दयालु (विधायक रमेश मेंदोला) का नाम संभावित मंत्री की सूची में नहीं होने के कारणों का अपनी समझ मुताबिक मंथन कर रहे थे तभी उनके लिए यह सूचना और बड़े झटके जैसी ही थी कि ज्योतिरादित्य सिंधिया, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा की मौजूदगी में भोपाल में मोहन सेंगर ने भाजपा ज्वाइन कर ली है।सेंगर सहित जिला युवक कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष-पूर्व पार्षद विपिन खुजनेरी संटू, प्रदेश युवक कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष पवन जायसवाल, शहर कांग्रेस उपाध्यक्ष-एमपीसीए की खेल राजनीति में सक्रिय राजू चौहान योगेश गेंदर आदि को बीती रात ही सिंधिया ने फोन पर चर्चा कर भोपाल पहुंचने और भाजपा ज्वाइन करने के निर्देश दे दिए थे।शहर कांग्रेस अध्यक्ष प्रमोद टंडन ने तो इंदौर में ही भाजपा ज्वाइन कर ली थी।उनके इस कदम के बाद शहर कांग्रेस कमेटी ताबड़तोड़ भंग करने का निर्णय लिया ही इसलिए गया था कि कहीं एकसाथ सिंधिया समर्थक पदाधिकारी भाजपा ज्वाइन ना कर लें।10 मार्च को ही कांग्रेस से मोहन सेंगर द्वारा लिखित में इस्तीफा भेजने से भी कमलनाथ और दिग्विजय सिंह समर्थक सक्रिय हो गए थे।
क्षेत्र क्रमांक दो के दबंग नेता और दमदार टीम रखने वाले मोहन सेंगर का अब भाजपा में आना इस क्षेत्र में सिंधिया की पैठ तो मजबूत करेगा ही, क्षेत्र के भाजपा कार्यकर्ताओं को शहीद राजेश जोशी की स्मृति में हर साल आयोजित किए जाने वाले समारोह की भी याद आएगी। निकट भविष्य में जब भी पुण्यतिथि पर समारोह होगा तब वह दृश्य भी अविस्मरणीय होगा जब आयोजकों के साथ मोहन सेंगर भी मंच साझा करते नजर आएंगे।
भाजपा ज्वाइन करके सेंगर ने एक तरह से दिग्विजय सिंह से भी हिसाब बराबर किया है।इस विधानसभा क्षेत्र में रमेश मेंदोला के मुकाबले सिंधिया के हस्तक्षेप पर कांग्रेस ने मोहन सेंगर को टिकट दिया था और नामांकन दाखिल करने के पहले ही दिग्विजय सिंह के दबाव में इस क्षेत्र से सेंगर की जगह छोटू शुक्ला को टिकट देकर रमेश मेंदोला की ऐतिहासिक जीत की राह आसान कर दी गई थी।अगले चुनाव में मेंदोला के सामने फिर सेंगर थे हांलाकि वे 65 हजार मतों से हार गए लेकिन उन्हें मिले 70 हजार मतों से क्षेत्र के कट्टर कांग्रेसियों को यह संतोष हुआ था कि छोटू शुक्ला से तो अधिक वोट लाए।
दो नंबर में अब भाजपा में ही दो पॉवर सेंटर होने के आसार बन गए हैं।अब तक विजयवर्गीय-मेंदोला खेमे की तूती बोलती रही है किंतु सेंगर के भाजपा ज्वाइन करने के बाद जाहिर है सिंधिया सेंगर को मजबूत साबित करने का कोई अवसर नहीं छोड़ेंगे।मंत्रिमंडल के बाद अभी निगम मंडलों में नियुक्ति से लेकर निगम चुनाव भी होना है, सेंगर भी चाहेंगे की उनकी टीम के लोग भी एडजस्ट किए जाएं।वैसे भाजपा का दुपट्टा डालने के बाद से सिंधिया ने अपने प्रभाव वाले मप्र क्रिकेट एसोसिएशन में विजयवर्गीय समर्थकों के लिए उदारता दिखाई है अमिताभ विजयवर्गीय को सिलेक्शन कमेटी के दायित्व के साथ ही देवाशीष निलोसे के मान सम्मान का भी ध्यान रखा है।यही सौहार्दता क्षेत्र क्रमांक दो में भी जारी रहेगी ऐसा माना जा रहा है। भाजपा नेताओं के सम्मान की सिंधिया ने गुरुवार को भाजपा कार्यालय भोपाल में फिर मिसाल पेश की जब सेंगर व अन्य समर्थकों के पार्टी ज्वाइन करने के दौरान पूर्व सांसद और बदनावर विधानसभा प्रभारी कृष्णमुरारी मोघे को उन्होंने सामने की पंक्ति में बैठे देखा, वे मंच से उतरे और मोघे को ससम्मान मंच पर ले गए। ऐसी ही सौजन्यता वे अपनी गत इंदौर यात्रा में टंडन के निवास पर पूर्व सांसद सुमित्रा महाजन के लिए भी दिखा चुके हैं।
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उषा को पराक्रम का पुरस्कार तो पहली बार विधायक के बाद केबिनेट मंत्री बने यादव का युवा होना बना मददगार
•••• जैन समाज की नाराजी की क्षतिपूर्ति हो गई सकलेचा को शामिल कर के
करीब सौ दिनों बाद हुए शिवराज सिंह के मंत्रिमंडल विस्तार में एक तरह से इंदौर शहर फिर टूंगता रह गया है।जिले के सांवेर विधानसभा क्षेत्र में भी होने वाले उपचुनाव के चलते तुलसी सिलावट को तो पहली खेप में ही जल संसाधन मंत्री बना दिया था।आज बनाए गए मंत्रियों में महू विधानसभा से विधायक ऊषा ठाकुर को एक तरह से उनके पराक्रम का पुरस्कार मिला है।इंदौर शहर से कभी प्रभावी मंत्री कैलाश विजयवर्गीय रहे उनके बाद अब ऊषा ठाकुर को केबिनेट मंत्री बनाकर इंदौर और धार दो जिलों को संतुष्ट करने का रास्ता खोजा गया है।इंदौर की ही तरह उज्जैन दक्षिण से विधायक मोहन यादव को डेढ़दशक से केबिनेट मंत्री रहे पारस जैन से अधिक उपयुक्त समझा गया है।जैन समाज के प्रतिनिधि के रूप में नाम तो रतलाम विधायक चौतन काश्यप का भी चला लेकिन इस समाज का मान बढ़ा है केबिनेट मंत्री के रूप में ओमप्रकाश सकलेचा को शामिल करने से।
कभी उमा भारती और फिर कैलाश विजयवर्गीय के नजदीक रहे विधायक मोहन यादव को मंत्रिमंडल में स्थान संघ के वरिष्ठ सुरेश सोनी, मप्र प्रभारी-केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से नजदीकी होने के साथ भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा से संघर्ष के दिनों के साथी के रूप में मिला है।पहली बार विधायक के रूप में जीते यादव का मंत्री बन जाना इसलिए भी चौंकाने वाला है कि महिदपुर से चार बार विधायक रहे बहादुर सिंह चौहान की उम्मीदों पर पानी फिर गया है।जब से यह सुगबुगाहट शुरु हुई थी कि पारस जैन का नाम कट सकता है, यादव ने तो अपने लिए जोड़तोड़ शुरु कर ही दी थी उधर सतत केबिनेट मंत्री के रूप में शिक्षा, खाद्य, वन और ऊर्जा विभाग का दायित्व संभाल चुके पारस जैन ने भी जैन समाज का दबाव बनाना शुरु कर दिया था।संगठन ने जैन समाज की नाराजी को ध्यान में रखते हुए पूर्व सीएम स्व. वीरेंद्र कुमार सकलेचा के पुत्र जावद विधायक ओम प्रकाश सकलेचा को मंत्रिमंडल में सम्मान दिया।जबकि कोरोना पीड़ित होने के बाद उपचाररत सकलेचा के समर्थक तक आशा छोड़ चुके थे कि भागदौड़ के वक्त उनका बीमार होना मंत्रिमंडल की सूची में नाम जुड़ने में अपशकुन ना बन जाए। हालांकि इसी समाज से सुरेंद्र पटवा भी दौड़ में थे लेकिन उनके आड़े कर्ज वाले मामले आ गए।
जहां तक ऊषा ठाकुर को मिले सम्मान की बात है तो इंदौर के चुनौतीपूर्ण क्षेत्र क्रमांक एक और अगले चुनाव में क्षेत्र क्रमांक तीन और गत चुनाव में टिकट मिलने ना मिलने के हालात के बाद महू से चुनाव लड़ने के निर्देश पर उस सीट से जीत कर आने जैसे पराक्रम की वजह से आरएसएस को उनकी पैरवी मजबूती से की, ठाकुर लॉबी के प्रतिनिधि केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी उनका अपने तरीके से समर्थन किया था। भाजपा आलाकमान ने मंत्रिमंडल के लिए उनका नाम ही इसी तरह याद किया कि उस महिला विधायक को लेना चाहिए जो हर बार नए क्षेत्र से लड़ी और जीती हैं।केबिनेट मंत्री के दर्जे में उनकी संघ निष्ठ-हिंदूवादी छवि भी मददगार साबित रही है।