TIO NEW DELHI बंगाल के सियासी घमासान में अब किसान आंदोलन की भी एंट्री हो गई है। भारतीय किसान यूनियन (BKU) के नेता राकेश टिकैत आज बंगाल पहुंच रहे हैं। वे शनिवार को कोलकाता के भवानीपोरा और नंदीग्राम में होने जा रही किसान महापंचायत में हिस्सा लेंगे। टिकैत 14 मार्च को सिंगूर और आसनसोल में भी किसान महापंचायत करेंगे। कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों की सरकार संग लड़ाई अभी लंबी चलने वाली है। गर्मी के मौसम को देखते हुए नवंबर महीने से ही दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे किसानों ने अब पक्के आशियाने बनाने शुरू कर दिए हैं। कानून वापसी तक परमानेंट डेरा डालने के इरादे से किसानों के लिए लिए अब बॉर्डर पर ईंट-सीमेंट के पक्के घर भी तैयार हो रहे हैं। इतना ही नहीं, गर्मी के मौसम को देखते हुए पंखे, एसी से लेकर हर तरह की तैयारियां दिख रही हैं। किसानों का कहना है कि जब तक सरकार ये कृषि कानून वापस नहीं लेती, तब तक वे यहां डटे रहे हैं। इसी सिलसिले में टिकरी बॉर्डर पर परमानेंट शेल्टर बनाए गए हैं। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, किसान सोशल आर्मी टिकरी बॉर्डर पर ईंट-सीमेंट से पक्के मकान की तरह अपने आशियाने को बना रहे हैं। उनका मानना है कि क्योंकि किान आंदोलन लंबा चलेगा, इसलिए उन्होंने ईंट-सीमेंट से परमानेंट शेल्टर का निर्माण किया है। किसान सोशल आर्मी के अनिल मलिक ने कहा, ये घरें किसानों की इच्छाशक्ति के जैसे ही मजबूत और परमानेंट हैं। अब तक 25 घर बनाए गए हैं और आने वाले दिनों में ऐसे 1000 से 2000 घरों का निर्माण किया जाएगा। टिकरी बॉर्डर पर जो घर बनाए गए हैं, वह एक आम कमरे की तरह हैं। इसमें कूलर और पंखे के साथ-साथ खिड़की की व्यवस्था भी की गई है। हालांकि, घरों की छत की सीमेंट-बालू से ढलाई नहीं हुई है, बल्कि ऊपर पराली और घास-फूस की छत बिछाई गई है, ताकि गर्मी से राहत मिले। बता दें कि नंबर के अंत से ही नए कृषि कानून का विरोध कर रहे किसान दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं। सर्दी के दिनों में किसानों टेंट डालकर डटे रहे, मगर गर्मी को देखते हुए उनकी तैयारी भी जारी है। बंगाल के सियासी घमासान में अब किसान आंदोलन की भी एंट्री हो गई है। भारतीय किसान यूनियन (BKU) के नेता राकेश टिकैत आज बंगाल पहुंच रहे हैं। वे शनिवार को कोलकाता के भवानीपोरा और नंदीग्राम में होने जा रही किसान महापंचायत में हिस्सा लेंगे। टिकैत 14 मार्च को सिंगूर और आसनसोल में भी किसान महापंचायत करेंगे। इस बीच संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने भी केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। SKM ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि हम बंगाल के किसानों से अपील करते हैं कि वे भाजपा का बहिष्कार करें और उसे वोट न दें। चुनाव में करारी हार के बाद भाजपा सरकार कृषि कानून वापस लेना ही पड़ेगा। हमारा मकसद भाजपा को सबक सिखाना: SKM SKM नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि हम किसी पार्टी का समर्थन नहीं कर रहे हैं और न ही लोगों से किसी पर्टिकुलर पार्टी को वोट देने के लिए कह रहे हैं। हमारा मकसद है कि भाजपा को सबक सिखाया जाए। उन्होंने कहा कि सरकार के कानों तक हमारी बात पहुंचाने के लिए जरूरी है कि आगामी चुनाव में उसका नुकसान किया जाए। कुछ कॉरपोरेट्स के हाथों देश को बेचने की कोशिश : पाटकर भाजपा पर आरोप लगाते हुए सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने कहा कि सरकार कुछ कॉरपोरेट्स के हाथों देश को बेचने की कोशिश कर रही है। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि वे सावधानी से अपने मताधिकार का प्रयोग करें। किसानों का अपमान करने के लिए केंद्र की निंदा करते हुए पाटकर ने कहा कि ब्रिटिश शासकों ने भी इसका सहारा नहीं लिया था, जिसे मौजूदा सरकार कानून का रूप दे रही है। उन्होंने बंगाल विधानसभा में कृषि कानूनों के खिलाफ पास किए गए रिजोल्यूशन का स्वागत किया। तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान कर रहे प्रदर्शन 26 नवंबर 2020 से कई किसान संगठन केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली बॉर्डर पर जमे हुए हैं। किसानों और सरकार के बीच कई दौर की बातचीत भी हो चुकी है, लेकिन इस मसले का कोई हल नहीं निकल सका। जिसके बाद अब किसान मोर्चा ने चुनावों में भाजपा के खिलाफ लोगों से वोट की अपील करने का फैसला किया है। बंगाल में 8 फेज में चुनाव पश्चिम बंगाल की कुल 294 विधानसभा सीटों के लिए इस बार 8 फेज में वोटिंग होगी। 294 सीटों वाली विधानसभा के लिए वोटिंग 27 मार्च (30 सीट), 1 अप्रैल (30 सीट), 6 अप्रैल (31 सीट), 10 अप्रैल (44 सीट), 17 अप्रैल (45 सीट), 22 अप्रैल (43 सीट), 26 अप्रैल (36 सीट), 29 अप्रैल (35 सीट) को होनी है। काउंटिंग 2 मई को की जाएगी।