राघवेंद्र सिंह
बचपन में एक कहानी थी जिसमें स्कूल में खीर बनाने के लिए बच्चे और उनके परिजनों को कहा था कि सभी लोग एक-एक लोटा दूध लाएंगे। तय समय पर सब लोग हांडी में एक-एक लोटा दूध मिलाने आते हैं। लेकिन उसमें हर आदमी यही सोचता है िक दूसरे लोग तो दूध ला रहे होंगे मैं अगर एक लोटा पानी मिला दूंगा तो कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। अंत में जब खीर के लिए हांडी का दूध चावल में मिलाया जाता है तो पता चलता है कि पूरी हांडी में दूध की जगह पानी ही पानी है। चुनाव का मौसम है और दो दिन बाद मतदान होने वाला है। 26 नवंबर की शाम से चुनाव प्रचार थम जाएगा और फिर सभी पार्टियां अपने कार्यकर्ता और वोटों के मैनेजरों से एक लोटा दूध लाने के लिए दबावपूर्वक कहना शुरू कर देंगी।
The fragrance of kheer but the fear of a light water in place of milk …
चुनाव में जिन पार्टी और उनके प्रत्याशियों को जीत की उम्मीद है उन्हें खीर बनने के पहले चावल की खुशबू आने लगी है। सियासी जुबान में कहें तो अब खंदक की लड़ाई शुरू हो जाएगी। इतिहास में मराठा क्षत्रप शिवाजी महाराज के दौर में गुरेल्ला युद्ध हुआ करता था। इसे छापामार भी कहा जाता है। कह सकते हैं कि चुनावी युद्ध में सभी उम्मीदवार छापामार रणनीति कर काम करेंगे। दो दिन पहले तक जिन सीटों पर भाजपा और कांग्रेस कमजोर थीं, अब उनके खबरी हालात के सुधरने और मजबूत होने की सूचनाएं दे रहे हैं। कांग्रेस कैंप की अगर मानें तो उन्हें प्रचार समाप्ति के बाद भाजपा से कड़ी चुनौती मिलने की आशंका है।
इस दौर में जब मतदाता खामोशी से वोट किसके पक्ष में देगा, इसका फैसला करता है तब पार्टियों की छापामार कार्रवाई जिसमें साम, दाम, दंड, भेद यानी रुपया-पैसा, उपहार, शराब और धौंसधपट सारे हथियार इस्तेमाल किए जाएंगे। कांग्रेस की मानें तो उनके पास इस चुनाव में खोने के लिए कुछ नहीं है। उनका कहना है िक हमारे कार्यकर्ता गुटबाजी से अलग पार्टी को जिताने में लगे हैं। हालत यह है कि इस बार कांग्रेस में कोई नेता भितरघात करना भी चाहे तो कार्यकर्ता इसके लिए तैयार नहीं लगता। कांग्रेस में फीलगुड की एक वजह यह भी है कि इस बार उसके पक्ष में मतदाता खुद आ रहा है।
भाजपा में इस बार संगठन के अलावा उम्मीदवारों ने समानांतर प्रचार और प्रबंधन की व्यवस्था कर रखी है। इसके चलते उसके खांटी कार्यकर्ता उम्मीदवारों और उनकी मैनेजमेंट टीम से उपेक्षित हैं। इस तरह की शिकायतें मिलने पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से लेकर प्रदेश भाजपा संगठन, संघ परिवार और पार्टी हाईकमान की तरफ से गुजरात से आए हुए कार्यकर्ता हर दिन फीडबैक दे रहे हैं। इसके चलते ग्वालियर-चंबल और बुंदेलखंड में भाजपा की हालत में सुधार है।
इस बीच 12वीं पास छात्राओं के िलए दुपहिया वाहन देने की जो घोषणा दृष्टिपत्र में की गई है, ग्रामीण क्षेत्रों में उसका सकारात्मक असर देखने को मिल रहा है। भाजपा के लिहाज से एक बात राहत देने वाली हो सकती है कि महिलाओं के भाई और भांजा-भांजियों के मामा बने शिवराज सिंह चौहान के पक्ष में मातृशक्ति का झुकाव दिख रहा है। आने वाले 2 दिनों में पार्टी की रणनीति है कि नाराज कार्यकर्ताओं को मनाया जाए और जो दावेदार टिकट से वंचित हुए उन्हें फिर काम पर लगाया जाए। 27 नवंबर की सुबह तक इस तरह के प्रयासों को कितनी सफलता मिली है यह काफी कुछ साफ हो जाएगा।
तो मैं कांग्रेस को वोट दे दूंगी…
सोशल मीडिया पर इन दिनों एक लतीफा खूब चल रहा है। इसमें कहा जा रहा है िक हद हो गई डराने की… कल एक मां ने अपने बच्चे से कहा कि तू ज्यादा टीवी देखेगा तो मैं कांग्रेस को वोट दे दूंगा। न बिजली रहेगी न टीवी चलेगा। फिर देखते रहना लालटेन… इसी तरह जिन नेताओं की बातों पर लोग भरोसा नहीं कर रहे हैं उनके लिए एक शेर सटीक है, ‘तूने खो दी है तासीर जुबा की वरना तेरी बातों का तो पत्थर पर असर हो जाता।’
राहुल के तंज पर रंज
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राज्य की शिक्षा और नौकरी के मामले में परीक्षा नीति पर जब यह तंज कसा कि यहां नकल से और चोरों को पैसा देकर ही लोग पास हो सकते हैं। इस पर भाजपा और राज्य के स्वाभिमानियों ने एतराज जताया है। उन्होंने कहा है िक यह तो प्रदेश के इमानदार विद्यार्थयों का अपमान और इसके बदला राहुल गांधी और उनकी पार्टी से लेना चाहिए। देखते हैं कि इस मुद्दे पर चुनाव में कितनों का खून और ईमान खौलता है।