गर्मी आते ही पानी के लिए मचा हाहाकार, जान जोखिम में डाल निकाल रहे पानी

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धार। गर्मी का सितम बढ़ने के साथ ही ट्यूबवेल भी साथ छोड़ने लगे हैं। इसका असर अब ग्रामीण क्षेत्रों में नजर भी आने लगा है। ग्राम बड़वेली में पेयजल के मुख्य स्रोत दो ट्यूबवेल दम तोड़ने लगे हैं। इससे गांव के लोगों की पानी की पूर्ति नहीं हो पा रही है। एकमात्र सहारा 2 किमी दूर एक 25 फीट का कुआं है। इसमें भी पानी पीने योग्य नहीं है। बालिकाएं कुएं में 19 फीट नीचे उतरकर पानी निकालने को मजबूर हैं। उपयोग के लिए ग्रामीण पैदल चलकर पानी ला रहे हैं वहीं पेयजल के लिए खेत स्थित निजी ट्यूबवेलों से पानी भरकर लाना पड़ रहा है।

सरदारपुर तहसील मुख्यालय से मात्र 3 किमी दूर 3 हजार की आबादी वाला ग्राम बड़वेली में जल संकट गहराने से ग्रामीणों की मुसीबतें बढ़ गई हैं। 350 घर के लोग पेयजल के मुख्य स्रोत दो ट्यूबवेल में जलस्तर गिरने से पानी के लिए भटक रहे हैं। दो किमी दूर एकमात्र कुआं है, जिस पर गांव के कई लोग आश्रित हैं। कोई सिर पर घड़े उठाकर पैदल, तो कोई साइकल व अन्य संसाधनों से पानी लेकर आ रहा है। यह पानी भी पीने योग्य नहीं है। ग्रामीण वापरने में इसका उपयोग करते हैं।

पैर फिसला कि गिरे कुएं में-
2 किमी दूर स्थित इस कुएं से भी पानी भरना आसान नहीं है। कई ग्रामीण बालिकाओं को यहां पानी लेने भेज रहे हैं। कुछ बालिकाएं तो रस्सी-बाल्टी के सहारे कुएं से पानी खींचकर निकाल रही हैं, लेकिन कुछ बालिकाएं पानी के लिए अपनी जान खतरे में डाल रही हैं। टेढ़-मेढ़े पत्थरों पर पैर रखकर तीन बालिकाएं कुएं में उतरती हैं। इनमें एक बालिका सबसे नीचे उतर जाती हैं, तो एक बीच में खड़ी रहती है जबकि एक बालिका कुएं से कुछ नीचे उतरकर खड़ी हो जाती है।

फिर अपने घड़े व अन्य साधनों में कुएं का पानी भरकर एक-दूसरे के हाथों से ऊपर पहुंचाती हैं। यह दृश्य देखने भर से डर लग रहा है, लेकिन बालिकाएं पानी के लिए इस खतरे को रोजाना उठाती हैं। इनमें सबसे नीचे खड़ी बालिका का गिरने का डर ज्यादा रहता है, क्योंकि नीचे के तल पर कंजी जमी हुई है, जिस पर पैर फिसलता है। यदि पैर फिसला तो बालिका के कुएं में डूबने का डर बना रहता है।

फ्लोराइड योजना का भी नहीं मिल रहा फायदा-
ग्राम के कालू, बलराम और रमेश ने बताया कि ग्राम में दोनों ट्यूबवेल के माध्यम से पीने का पानी उपलब्ध होता है। इस साल गर्मी शुरू होती ही ट्यूबवेल ने साथ छोड़ दिया। ऐसे में महिलाओं को 2 किमी पैदल चलकर एकमात्र कुएं से पानी लाना पड़ रहा है।

ग्राम में फ्लोराइड योजनांतर्गत टंकी के माध्यम से पाइप लाइन भी डली हुई है, लेकिन पाइप लाइन सही नहीं होने से 25 से 30 परिवारों को ही पानी मिल पाता है। वह भी चार दिन में एक बार कुछ समय के लिए मिलता है। पाइप लाइन को दुरुस्त करवाकर एक दिन छोड़कर पानी दिया जाता है, तो जल समस्या हल हो सकती है।

सरपंच की पत्नी भी अछूती नहीं-
सरपंच नरसिंह वसुनिया की पत्नी व पूर्व सरपंच लीलाबाई भी इसी कुएं से पानी भरकर ला रही हैं। सिर पर घड़ा रख वह भी 2 किमी दूर पैदल आना-जाना करती हैं। ग्राम में पीने के पानी के लिए अन्य कोई स्रोत नहीं है। ग्राम में चौकीदार बा का एक कुआं जरूर है, जहां पानी पीने योग्य नहीं है। महिलाएं उस कुएं से पानी भरकर तो लाती हैं। पानी को स्नान आदि कार्यों के उपयोग में ले रहे हैं। भर गर्मी में दूर का सफर तय कर निजी ट्यूबवेलों से पीने के पानी ग्रामीणों को लाना पड़ रहा है।