अलग-थलग पड़ चुके पाकिस्तान ने एकाकीपन से पीछा छुड़ाने को करतारपुर कॉरिडोर पर भरी हामी?

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नई दिल्ली। करतारपुर कॉरिडोर के लिए भारत ने 20 साल पहले ही प्रस्ताव दिया था। अब जाकर पाकिस्तान इसके लिए राजी हुआ। आतंकवाद को बढ़ावा देने और टेरर फंडिंग पर लगाम न लगा पाने की वजह से पाकिस्तान आज अलग-थलग पड़ा हुआ है। ऐसा लगता है कि मौजूदा एकाकीपन से छुटकारा पाने की छटपटाहट में उसने करतारपुर कॉरिडोर के लिए हामी भरी है। इसके अलावा, पाकिस्तान को लगता है कि इससे गुरुद्वारा दरबार साहिब का दर्शन करने आने वाले भारतीय सिख श्रद्धालुओं में कट्टरता भरने, उन्हें रैडिकलाइज करने का उसे मौका मिलेगा।
The isolated Pakistan, on the Kartarpur Corridor, to relieve the pursuit of loneliness?
पाकिस्तान ने करतारपुर में एक हाई-प्रोफाइल इवेंट में कॉरिडोर का शिलान्यास किया, लेकिन भारतीय पक्ष इसे कोई ऐसा कदम नहीं मानता जिससे कि दोनों देशों के बीच व्यापाक वार्ता की शुरूआत हो सके। भारतीय विदेश मंत्रालय ने दो टूक कह दिया है कि अगर पाकिस्तान बातचीत चाहता है तो सबसे पहले उसे आतंकवाद पर रोक लगानी होगी।

भारत के लिहाज से देखें तो करतारपुर कॉरिडोर पर काम शुरू होना महज एक लंबे वक्त से चली आ रही सिखों की एक मांग का पूरा होना है। खासकर पंजाब के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले सिख चाहते थे कि गुरु नानक ने जहां जिंदगी का आखिरी लम्हा जिया, उस जगह का वे दर्शन कर सकें। इसके अलावा पाकिस्तान के लिए यह मौका है कि वह लश्कर और जैश जैसे प्रतिबंधित आतंकी संगठनों पर लगाम लगाकर भारत के साथ संबंधों में सुधार के लिए गंभीरता दिखा सके।

माना जा रहा है कि पाकिस्तान की नई सरकार को विरासत में खस्ताहाल अर्थव्यवस्था मिली है और उसे अमेरिका के मजबूत दबावों का सामना करना पड़ रहा है। ट्रंप की अगुआई में अमेरिका और पश्चिमी देश पाकिस्तान पर अपनी सरजमीं पर सक्रिय आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई के लिए दबाव बना रहे हैं।

पाकिस्तानी प्रधानमंत्री की यह टिप्पणी कि ‘कश्मीर ही इकलौता मसला है’ जिसे सुलझाया जाना है, ने भारतीय प्रेक्षकों को हैरान किया है। प्रेक्षणों का कहना है कि इमरान खान इतने भी अनजान नहीं हो सकते कि उन्हें कश्मीर समस्या की जटिलता और गंभीरता का अंदाजा ही न हो। इसके अलावा खान के इस संदर्भ से कि न तो भारत और न ही पाकिस्तान ऐसी स्थिति में है कि परमाणु युद्ध ‘जीत’ सके, प्रेक्षकों की भौंहें तनी हुई हैं।

पाकिस्तान पंजाब में खालिस्तानी आतंकवाद को फिर से हवा देने की फिराक में है। पिछले हफ्ते अमृतसर में निरंकारी भवन में आतंकी हमले के पीछे पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का हाथ सामने आ चुका है। करतारपुर कॉरिडोर के शिलान्यास कार्यक्रम में पाकिस्तान ने भारतीय प्रतिनिधिमंडल की खूब आवाभगत और स्वागत सत्कार किया। इसे देखते हुए यह संभावना भी दिख रही है कि यात्रा और तीर्थयात्रियों के ठहराव से जुड़े मुद्दे तय होने से पहले ही कॉरिडोर आकार ले सकता है।

हालांकि, शुरूआती संकेत अच्छे नहीं हैं। कार्यक्रम में खालिस्तान समर्थक गोपाल चावला का दिखना व पाक आर्मी चीफ से उसका हाथ मिलाना और हाल में दरबार साहिब गुरुद्वारा पहुंचे भारतीय तीर्थयात्रियों का खालिस्तानी पोस्टरों से स्वागत करना शुभ संकेत नहीं दिखता।