हर मुश्किलों को जीतने वाली जायरा गंभीर बीमारी की चपेट में, कई खुराक लेनी पड़ती हैं गोलियां

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मुंबई। दंगल और सीक्रेट सुपरस्टार जैसी फिल्मों में हर मुश्किल को जीतने वाली जायरा वसीम ने सोशल मीडिया के जरिए एक बड़ा खुलासा किया है। जायरा पिछले कई सालों से डिप्रेशन यानि अवसाद की शिकार हैं। उन्होंने इंस्टाग्राम पर एक लंबा नोट लिखकर अपनी दर्दभरी कहानी बयां की है, जिसे पढ़ने के बाद लगता है कि पिछले कुछ सालों से उनकी जिदगी कितने खतरनाक दौर से गुजरी है। जायरा ने पूरी तरह ठीक होने के लिए सोशल मीडिया और सोशल लाइफ से ब्रेक लेने की बात कही है।
The joys that win every problem are in the grip of serious illness, many doses have to be taken
जायरा ने इस नोट की शुरूआत करते हुए लिखा है- मैं आखिरकार यह स्वीकार कर रही हूं कि लंबे समय से मैं गंभीर मानसिक बेचैनी और अवसाद की शिकार हूं। लगभग 4 साल से इसलिए स्वीकार नहीं कर पा रही थी क्योंकि अवसाद शब्द को सोशल स्टिग्मा माना जाता है और अक्सर कहा जाता है, अवसाद के लिए तुम बहुत छोटी है या ये महज एक दौर है जो गुजर जाएगा।

बता दें कि जायरा वसीम अभी 17 साल की हैं और इसी साल अक्टूबर में वो 18 साल पूरा करेंगी। जायरा ने आमिर खान की फिल्म दंगल में गीता फोगाट के बचपन का किरदार निभाया था, जबकि सीक्रेट सुपरस्टार में उन्होंने एक मुस्लिम लड़की का रोल प्ले किया था, जो सिंगर बनने का सपना पूरा करने के लिए दकियानूसी सोच रखने वाले पिता से लड़ जाती है। बेस्ट चाइल्ड आर्टिस्ट का नेशनल अवॉर्ड भी वो जीत चुकी हैं।

इन फिल्मों में जायरा के काम की काफी तारीफ हुई थी। जायरा अपनी फिल्मों के अलावा कुछ ऐसी बातों के लिए भी खबरों में रह चुकी हैं, जो उनकी निजी जिदगी से जुड़ी हैं। पिछले साल सोशल मीडिया में उनकी एक फोटो वायरल हुई थी, जिसमें वो जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के साथ नजर आ रही थीं। इस तस्वीर को लेकर जायरा की काफी ट्रोलिंग हुई थी। बाद में जायरा ने इस मुलाकात के लिए माफी भी मांगी थी। इसके बाद वो तब सुर्खियों में आयीं, जब हवाई यात्रा के दौरान उन्होंने एक सह यात्री पर मोलेस्टेशन का गंभीर इल्जाम लगाया था। उस व्यक्ति को गिरफ़्तार कर लिया गया था।

बहरहाल, जायरा के नोट से ऐसा लगता है कि पिछले कुछ सालों में उन्होंने जो प्रसिद्धि हासिल की है, उसकी कीमत भी चुकाई है। जायरा आगे लिखती हैं- शायद ये महज एक दौर हो सकता था, लेकिन इस भयावह दौर ने मुझे ऐसी परिस्थिति में डाल दिया, जिसकी मैंने कभी चाहत नहीं की थी। हर रोज 5 एंटीडिप्रेसेंट गोलियां लेना, एंजाइटी अटैक्स, रातों को अस्पताल के लिए भागना, खालीपन महसूस करते रहना, बेचैनी, हेलुसिनेशंस, अधिक सोने पर शरीर में जख़्म होने से लेकर कई हफ़्तों तक नींद ना आने तक, ओवर रिएक्टिंग से लेकर भूखा रहने तक, बेतहाशा थकान, शरीर में दर्द, आत्महत्या के खयाल, सब इस दौर में हुआ।