नई दिल्ली: ओडिशा के पुरी में स्थित विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार (कोष) की चाबियां नहीं मिलने पर सियासत तेज हो गई है. रत्न भंडार की चाबी खोने के बाद मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं. सीएम नवीन पटनायक के इस आदेश पर केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने हमला बोला है और कहा है कि जांच कमीशन ओडिशा की जनता को मुर्ख बनाने के लिए बनाया गया है. बता दें कि इससे पहले पुरी गजपति दिव्यासिंघा देव ने ‘रत्न भंडार’ के लापता चाबियों के लिए जगन्नाथ मंदिर प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है.
The keys of the gems reserves of the Jagannath temple disappear, the Prime Minister said the attack on CM Patnaik
केंद्रीय धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि मुख्यमंत्री ने रत्न भंडार की खोई चाबी ढूंढने के लिए जांच आयोग गठित करने के आदेश दिये हैं. मगर मैं सीएम नवीन बाबू से पूछना चाहता हूं कि आयोग के पास क्या जादू की छड़ी है? आयोग सिर्फ ओडिशा के लोगों को मुर्ख बनाने के लिए है. बता दें कि मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने सोमवार को न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं. जांच तीन महीने में पूरी होगी. इस मुद्दे पर राज्य सचिवालय पर कानून मंत्री प्रताप जेना और मुख्यमंत्री के बीच चर्चा होने के बाद यह निर्णय लिया गया.
मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा जारी एक आदेश के अनुसार इसकी जांच ओडिशा उच्च न्यायालय के सेवानिवृत न्यायाधीश करेंगे और उन्हें इसकी जांच तीन महीने के अंदर पूरी करनी होगी. गोवर्धन पीठ के पुरी शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती द्वारा रत्न भंडार की चाबियां नहीं मिलने की जांच की मांग करने पर इस मामले ने सबका ध्यान खींचा.
चार अप्रैल को श्री जगन्नाथ मंदिर प्रबंधन कमेटी की बैठक में पता चला कि कोष के अंदरूनी कक्षों की चाबियां गायब थीं. नियमों के अनुसार, ताला लगाने के बाद मंदिर के कोष की चाबियां जिला अधिकारी को दे दी जाती हैं, जिसके पास ये चाबियां जिला कोष में जमा कर दी जाती हैं। सूत्रों के अनुसार, चाबियों की प्राप्ति न तो सरकारी कोष में है और न ही जिला अधिकारी के पास.
ओडिशा उच्च न्यायालय के आदेश के बाद, चार अप्रैल को 16 सदस्यीय एक दल ने रत्न भंडार की स्थिति जानने के लिए इसके दरवाजे 34 साल बाद खोले थे. हालांकि अंदरूनी कक्षों की चाबियां नहीं होने के कारण वे अंदर नहीं जा सके. इसके बाद वे बाहरी कक्षों का ही निरीक्षण करने के बाद लौट आए.