शशी कुमार केसवानी
एक जमाने में मप्र के सीएम शिवराज सिंह चौहान पांव-पांव वाले भैय्या के नाम से जाने जाते थे, लेकिन जब से पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने नर्मदा यात्रा की ओर उसके बाद से कांग्रेस की सरकार बनी तो यात्राओं पर नेताओं का भरोसा बढ़ गया। जहां अपना खोया हुआ जनाधार वापस पाने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा निकाल रहे है तो मप्र में भी कांग्रेस नेताओं की उपयात्राएं शुरू हो गई है और होने वाली है जो राहुल गांधी की भारत जोड़ों यात्रा में समाहित होगी। समय-समय की बात है जहां एसी कमरों में बैठकर पार्टी की रणनीति बनाने वाले नेता अब खुद पैदल चलकर जनता से समर्थन मांग रहे है।
मध्य प्रदेश में भी यात्राओं को लेकर चर्चाओं के दौर गर्म हैं। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि अगले साल विधानसभा के चुनाव हैं। लिहाजा विधायकों को टिकट का संकट सताने लगा है। बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टी सर्वे के आधार पर टिकट देने की तैयारी में हैं। ये माना जा रहा है कि नॉन परफॉर्मर और जनता पर पकड़ कमजोर कर चुके विधायकों का टिकट कटना तय है। टिकट कटने से घबराए विधायक अभी से अपनी जमीन मजबूत करने की तैयारी में जुट गए हैं। मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव अभी एक साल दूर हैं, लेकिन विधायक सियासी धार्मिक यात्राओं के जरिए अपनी जमीन बचाने की कवायद में जुट गए हैं। खास बात ये है कि यात्राओं की होड़ में बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियों के विधायक शामिल हैं। यात्राओं का मकसद वैसे तो धार्मिक और समाजिक सौहार्द्र बताया जा रहा है लेकिन इनका मकसद सियासी है। जहां तक बात बीजेपी के विधायकों की है तो बीजेपी में चुरहट से विधायक शरदेंदु तिवारी और मैहर से विधायक नारायण त्रिपाठी यात्रा पर निकल चुके हैं। शरदेंदु तिवारी शिव शक्ति सेवा संकल्प यात्रा निकाल रहे हैं। इस यात्रा में उनकी पत्नी भी साथ हैं। यात्रा उनके विधानसभा क्षेत्र चुरहट में ही निकल रही है।
बीजेपी विधायक नारायण त्रिपाठी भी पद यात्रा निकाल रहे हैं। त्रिपाठी चित्रकूट के कामदगिर से पद यात्रा पर निकले हैं। दोनों यात्राओं को धार्मिक स्वरूप दिया गया है। लेकिन इनका मकसद आगामी चुनाव के लिए अपनी जमीन तैयार करना है। जबकि कांग्रेस नेता अजय सिंह रीवा से लेकर चुरहट तक काफी बड़े क्षेत्रफल में लंबे समय से अपनी जमीन बड़ी मजबूती के साथ तैयार कर रहे है। बस उसका प्रचार-प्रसार इतने बड़े स्तर पर नहीं हो रहा जितनी जमीनी तैयारी चल रही है। यहीं कारण है कि कमलनाथ भी उनकी इस तैयारी से कई बार बेचैन नजर आते है। हालांकि स्थानीय चुनाव में जिसका नतीजा स्पष्ट दिखाई दिया था। कांग्रेस विधायक जयवर्र्धन सिंह और पांचीलाल मेड़ा पदयात्रा पर हैं। आरिफ मसूद भोपाल से बुरहानपुर तक करीब 350 किमी यात्रा निकालेंगे पर उनके समर्थक रोज टूटते जा रहे है, जिसका कारण है स्थानीय चुनाव में काफी लोगों का टिकट कटवाने से लेकर केवल आश्वासनों पर उम्मीद बंधाए रखी। अब उनके साथी ही उनकी जमीन उखाड़ने में लगे है। जयवर्धन सिंह ग्वालियर चंबल में 425 किमी यात्रा निकालेंगे। जयवर्धन एक युवा वर्ग को अपने साथ चुपचाप से जोड़े चले जा रहे है, जो आने वाले समय में उनका एक बड़ा शक्तिशाली गु्रप नजर आएगा। वहीं कांग्रेस के आदिवासी विधायक पांचीलाल मेड़ा पदयात्रा निकाल रहे थे जिसे पुलिस ने भोपाल में लालघाटी पर रोक लिया था।
इधर राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि वीडी शर्मा को अप्रैल-मई 2024 तक के लिए एक्सटेंशन मिल सकता है। यानी विधानसभा चुनाव तक वीडी शर्मा ही मप्र में पार्टी के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभालेंगे। अभी फिलहाल प्रदेश भाजपा के नए अध्यक्ष के लिए चुनाव नहीं होगा। वहीं लोकसभा चुनाव और कुछ महत्वपूर्ण राज्यों के विधानसभा चुनावों के मद्देनजर फैसला लिया गया है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष का भी चुनाव नहीं होगा। भाजपा के संविधान के अनुसार, पार्टी अध्यक्ष को तीन-तीन साल के लगातार दो कार्यकाल मिल सकते हैं। इसी तरह ये भी प्रावधान है कि कम से कम 50 प्रतिशत राज्य इकाइयों में संगठन चुनाव होने के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो सकती है। राज्यों में चुनाव की प्रक्रिया अगस्त से शुरू हो जानी चाहिए थी, लेकिन अभी तक नहीं हो सकी। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष शर्मा के कार्यकाल को करीब पौने तीन साल हो रहे हैं। उन्होंने फरवरी 2020 में पद संभाला था, उस समय भाजपा सत्ता में नहीं थी। करीब डेढ़ महीने बाद प्रदेश में सियासी उथल-पुथल के बाद भाजपा सत्तासीन हो गई। भाजपा विधानसभा चुनाव 2023 में भी जीत सुनिश्चित करने संगठन ऐप तैयार कर 65 हजार बूथों का डिजिटलाइजेशन किया है। इसके अलावा हर बूथ पर 10 फीसदी वोट शेयर बढ़ाने के जतन भी शुरू किए गए हैं। पर पिछले कुछ दिनों से वीडी शर्मा के सीएम के साथ व कुछ अन्य लोगों के साथ रिश्तों की खटास की खबरें बराबर आ रही है। जिसके चलते उनकी छवि पर भी असर पड़ा है। जबकि उन्हें अलग प्रदेश का मुख्यमंत्री भी देखा जा रहा था। पिछले दिनों भाजपा की एक महिला नेत्री को सरकार में पद दिलवाने के लिए भी कोशिश की गई लेकिन सफलता नहीं मिली उलटा उनके कुछ विरोधियों ने नई कहानियां बनाना बनने लगी है। अब मध्यप्रदेश में भाजपा के पहले से ही कई गु्रप बन चुके है, लेकिन वीडी शर्मा का भी एक अलग गु्रप तैयार हो गया है, जो एक तरह से अपने राजनैतिक समीकरण बैठाने में लगा रहता है। गृहमंत्री अमित शाह के दौरे के दौरान यह चीज स्पष्ट नजर आ रही थी। बाकी सब बातें तो वक्त के गर्भ में छुपी हुई है। फिलहाल जय हो…