किसानों के हठ के आगे आखिरकार मोदी सरकार को झुकना पड़ा, तीनों कृषि कानून बिल वापस लेने की घोषणा

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TIO NEW DELHI

राष्ट्र के नाम संबोधन में पीएम नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानून बिल वापस लेने की घोषणा कर दी। उन्होंने कहा कि संसद के सत्र में इन कानूनों को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू होगी। मैं देश वासियों के क्षमा मांगते हुए, सच्चे मन से कहना चाहता हूं कि हमारे प्रयास में कमी रही होगी कि हम उन्हें समझा नहीं पाए। आज गुरू नानक जी का पवित्र प्रकाश पर्व है। आज मैं आपको यह बताने आया हूं, कि हमने तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला किया है। इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू कर देंगे। मेरी किसानों से अपील है कि अपने घर लौटें, खेतों में लौटें। मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि हम पूरी विनम्रता से किसानों को समझाते रहे। बातचीत भी होती रही। कानून के जिन प्रावधानों पर उन्हें ऐतराज था उन्हें सरकार बदलने को तैयार हो गई। साथियों आज गुरु नानक देवजी का पवित्र पर्व है यह समय किसी को दोष देने का नही है। मैं आज पूरे देश को यह बताने आया हूं कि हमने तीनों कृषि कानून वापस लेने का फैसला किया है। इसी महीने हम इसे वापस लेने की संवैधानिक प्रक्रिया पूरी कर देंगे।

टिकैत बोले- संसद में कानून वापसी का इंतजार करेंगे
सिंघु और टीकरी समेत दिल्ली के बॉर्डर्स पर किसान तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ बीते 14 महीने से आंदोलन कर रहे थे। अब सरकार के फैसले के बाद किसान संयुक्त मोर्चा के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा है कि हम तुरंत आंदोलन वापस नहीं लेंगे, बल्कि इन्हें संसद में वापस लेने का इंतजार करेंगे।

प्रकाश पर्व की शुभकामनाओं के साथ शुरुआत की
मोदी ने कहा, ‘मेरे प्यारे देशवासियों आज देव दीपावली का पावन पर्व है। आज गुरु नानक देव जी का भी पावन प्रकाश पर्व है। मैं विश्व में सभी लोगों और सभी देशवासियों को बधाई देता हूं। यह भी बेहद सुखद है कि डेढ़ साल बात करतारपुर साहिब कॉरिडोर फिर से खुल गया है।

‘गुरुनानक देव जी ने कहा है कि संसार में सेवा का मार्ग अपनाने से ही जीवन सफल होता है। हमारी सरकार इसी सेवा भावना के साथ देशवासियों का जीवन आसान बनाने में जुटी है। न जाने कितनी पीढ़ियां जिन सपनों को सच होते देखना चाहती थीं, भारत उन्हें साकार करने की कोशिश कर रहा है।’

हम छोटे किसानों के फायदे के लिए तीनों कृषि कानून लाए थे
मोदी ने कहा कि किसानों की ताकत बढ़ाने के लिए दस हजार एफपीओ किसान उद्पादक संगठन बनाने की भी प्लनिंग है, इस पर 7 हजार करोड़ रुपए का फंड खर्च किए जा रहे हैं। हमने क्रॉप लोन बढ़ा दिया। यानी हमारी सरकार किसानों के हित में लगातार एक के बाद एक कदम उठाती जा रही है। पूरी ईमानदारी से काम कर रही है। साथियों किसानों की इसी अभियान में देश में तीन कृषि कानून लाए गए थे। देश के किसानों को खासकर छोटे किसानों को फायदा हो। यह मांग देश में लंबे समय से होती रही थी। पहले भी कई सरकारों ने इस पर मंथन किया था। इस बार भी संसद में चर्चा हुई मंथन हुआ और यह कानून लाए गए। देश में अनेक किसान संगठनों ने इसका संमर्थन किया। मैं आज उन सभी का बहुत-बहुत आभारी हूं। धन्यवाद करता हूं।

मोदी ने कहा- नेक नीयत से कानून लाए, लेकिन समझा नहीं पाए
हमारी सरकार किसानों के लिए खासकर छोटे किसानों के हित में पूरी सत्य निष्ठा से किसानों के प्रति पूर्ण समर्पण भाव से यह कानून लेकर आई थी, लेकिन यह हम अपने प्रयासों के बावजूद कुछ किसानों को समझा नहीं पाए। हम पूरी विनम्रता से किसानों को समझाते रहे। बातचीत भी होती रही। हमने किसानों को समझने में कोई कसर नहीं छोड़ी। कानून के जिन प्रावधानों पर उन्हें ऐतराज था, उन्हें सरकार बदलने को तैयार हो गई। साथियों आज गुरु नानक देवजी का पवित्र पर्व है। यह समय किसी को दोष देने का नहीं है। मैं आज यह पूरे देश को यह बताने आया हूं कि हमने तीनों कृषि कानून वापस लेने का फैसला किया है। इसी महीने हम कानूनों को वापस लेने की प्रक्रिया पूरी कर देंगे।

तीनों कृषि कानून, जिनके खिलाफ आंदोलन कर रहे थे किसान
तीनों नए कृषि कानूनों को 17 सितंबर, 2020 को लोकसभा ने मंजूर किया था। राष्ट्रपति ने तीनों कानूनों के प्रस्ताव पर 27 सिंतबर को दस्तखत किए थे। इसके बाद से ही किसान संगठनों ने कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया था। ये तीनों कानून इस तरह हैं..

1. कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक 2020
इस कानून में एक ऐसा इकोसिस्टम बनाने का प्रावधान है, जहां किसानों और कारोबारियों को मंडी के बाहर फसल बेचने की आजादी होगी। कानून में राज्य के अंदर और दो राज्यों के बीच कारोबार को बढ़ावा देने की बात कही गई है। साथ ही मार्केटिंग और ट्रांसपोर्टेशन का खर्च कम करने की बात भी इस कानून में है।

2. कृषक (सशक्तिकरण-संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020
इस कानून में कृषि करारों (एग्रीकल्चर एग्रीमेंट) पर नेशनल फ्रेमवर्क का प्रावधान किया गया है। ये कृषि उत्पादों की बिक्री, फार्म सेवाओं, कृषि बिजनेस फर्म, प्रॉसेसर्स, थोक और खुदरा विक्रेताओं और निर्यातकों के साथ किसानों को जोड़ता है। इसके साथ किसानों को क्वालिटी वाले बीज की आपूर्ति करना, फसल स्वास्थ्य की निगरानी, कर्ज की सुविधा और फसल बीमा की सुविधा देने की बात इस कानून में है।

3. आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020
इस कानून में अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेल, प्याज और आलू को आवश्यक वस्तुओं की लिस्ट से हटाने का प्रावधान है। सरकार के मुताबिक, इससे किसानों को उनकी फसल की सही कीमत मिल सकेगी, क्योंकि बाजार में कॉम्पिटीशन बढ़ेगा।

नया मोड़ लेगी पंजाब की सियासत: कृषि कानून वापस लेने के फैसले से क्या बढ़ेगा कैप्टन का कद या होगा चन्नी का नाम

गुरु नानक देव जयंती पर कृषि कानून वापस लेने के केंद्र सरकार के फैसले का पंजाब की सियासत पर बड़ा असर होगा। पिछले लगभग एक साल से पंजाब में राजनेताओं के बयानों की धुरी तीन कृषि कानूनों और किसान आंदोलन पर ही टिकी थी। ऐसे में जब विधानसभा चुनाव सिर पर हैं, केंद्र का ये फैसला किस पार्टी को जीवनदान देगा ये बड़ा सवाल बन गया है।

पंजाब में आपसी कलह से जूझ रही कांग्रेस सरकार ने किसान आंदोलन का हमेशा खुलकर समर्थन किया। वहीं शिरोमणि अकाली दल ने तो इस मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी से अपना पुराना गठबंधन तक तोड़ लिया था। अकाली सांसद हरसिमरत कौर बादल ने अपना मंत्रीपद भी छोड़ दिया था। पंजाब भाजपा के नेताओं ने किसानों का पूरा विरोध सहा। वहीं आम आदमी पार्टी हमेशा ही इन कानूनों के खिलाफ दिखी। 

कुछ दिन पहले जब कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया और चरणजीत चन्नी ने सरकार की बागडोर संभाली तो कई ऐसे फैसले लिए गए जिनसे कांग्रेस सरकार की आलोचना हुई। इनमें सबसे बड़ा फैसला था 26 जनवरी की लाल किला हिंसा में गिरफ्तार किसानों के परिवारों को दो-दो लाख का मुआवजा देने का एलान। विधानसभा में कृषि कानून को रद्द करने के बाद सरकार ने 83 किसान समर्थकों को मुआवजा देने का फैसला किया था।  इसके अलावा किसान आंदोलन के दौरान पंजाब में किसानों पर दर्ज सभी केस रद्द करने का फैसला लिया गया था। आंदोलन के दौरान शहीद हुए किसानों व मजदूरों के परिजनों को सरकारी नौकरी व तय मुआवजा देने के लिए पंजाब सरकार संयुक्त किसान मोर्चा से सूची मांग चुकी है। 

वहीं इस्तीफे के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह अपनी नई पार्टी के गठन का एलान कर चुके हैं। इसी के साथ ही उन्होंने कृषि कानूनों के मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से भी मुलाकात कर चुके हैं। पार्टी बनाने के बाद कैप्टन ने भाजपा से गठजोड़ की संभावनाओं पर कहा था कि किसानों का मुद्दा हल होने पर इस पर विचार किया जा सकता है। इसके बाद से लगातार कयास लगाए जा रहे थे कि कैप्टन और केंद्र के बीच कृषि कानूनों पर सहमति बन चुकी है। 

राहुल बोले-देश के अन्नदाता ने सत्याग्रह से अहंकार का सर झुका दिया

पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। केंद्र सरकार के इस फैसले पर सियासी दलों के नेता अपनी-अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर केंद्र सरकार पर तंज कसा। राहुल गांधी ने ट्वीट किया , “देश के अन्नदाता ने सत्याग्रह से अहंकार का सर झुका दिया। अन्याय के खिलाफ ये जीत मुबारक हो!”