इंदौर। प्रदेश में नई सरकार के रूप में कांग्रेस के मुख्यमंत्री ने भले ही अभी जिम्मेदारी नहीं संभाली हो, लेकिन सरकार का पहला एजेंडा पहले ही तय हो चुका है। इसीलिए पूरी अफसरशाही किसान कर्जमाफी के लिए हिसाब-किताब बनाने में जुट गई है कि इस घोषणा को पूरा करने में कितना खर्च आएगा।
The new agenda of the new government is the farmer’s debt waiver, the bureaucracy engaged in accounting
देश के हर जिले से किसानों के कर्ज से संबंधित आंकड़े भोपाल बुलवाए गए हैं। इसके लिए सभी जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों और सहकारिता अफसरों को रविवार दोपहर दो बजे तक का समय दिया गया है। सहकारिता आयुक्त केदार शर्मा ने शनिवार को प्रदेश के सभी सहकारिता अफसरों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये बात की। उन्होंने सभी जिलों की प्रगति रिपोर्ट पर चर्चा की।
तीन तारीखों के कर्जदार मांगे
शासन फिलहाल तीन अलग-अलग तारीखों पर कर्जदार किसानों की जानकारी जुटा रहा है। एक तो वित्तीय वर्ष 31 मार्च 2018 की समाप्ति पर कितने किसान कर्जदार हैं। उन्होंने कितना-कितना कर्ज ले रखा है और उनके पास कितनी कृषि भूमि है। इसी तरह 30 जून 2018 पर कितने किसान कितनी राशि के कर्जदार हैं।
फिर 30 सितंबर 2018 की तारीख पर क्या स्थिति है इस तरह तीन अलग-अलग कटआॅफ डेट तक की अलग-अलग जानकारी तैयार की जा रही है। जानकारी तैयार होने पर इसका अध्ययन किया जाएगा, फिर तय होगा कि सरकार कर्जमाफी का कौन-सा फॉमूर्ला अपनाएगी इसमें सरकार की आर्थिक स्थिति और कर्ज माफी से बढ़ने वाले आर्थिक बोझ का आकलन भी किया जाएगा।
इंदौर में 84 हजार किसानों पर 360 करोड़ से अधिक का कर्ज
इंदौर जिले में इंदौर प्रीमियर को-आॅपरेटिव (आईपीसी) बैंक से जुड़ी प्राथमिक कृषि सहकारी संस्थाओं से 31 मार्च तक की स्थिति में लिया गया कर्ज 300 करोड़ रुपए से अधिक है। यह कर्ज 80 हजार किसानों को बांटा गया है। दूसरी तरफ परिसमापन में जा चुकी भूमि विकास बैंक से कर्ज लेने वाले लगभग 4 हजार किसान डिफॉल्टर हैं। इन्होंने करीब 60 करोड़ रुपए कर्ज ले रखा है। आईपीसी बैंक के 31 मार्च 2018 के बाद के कर्जदार किसान इसमें शामिल नहीं हैं।