कैंसर एक्सप्रेस का अगला स्टेशन मालवा…!

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पुष्पेन्द्र वैद्य

दोपहर करीब 2 बजे मैं अपने खेत पर आम के पेड के नीचे बैठा आसमान में उडते पंछियों की तरफ टकटकी लगाए देख रहा था। स्वच्छंद वातावरण में उडते इन पंछियों की तरह खुद को शहर की चिल्लपौ से दूर पा कर सुकून मिल रहा था। यहां पत्तों की सरसराहट और पंछियों के कलरव के अलावा कोई शोर नहीं था। अचानक मेरे नथूनों में हवा के झोंके के साथ अजीब सी कडवाहट घूली और मैं झटपटाहट महसूस करने लगा। थोडी ही देर में ताजी हवा का झौंका आया और फ्लाइट के आॅक्सीजन मॉस्क की तरह मुझे राहत दे गया। दरअसल हवा में घुला ये जहर खेतों में छिडका जा रहा कीटनाशक था।
The next station of the Cancer Express Malwa …!
मालवा की माटी के खेतों में फसलें नहीं इन दिनों जहर बोया जा रहा है। विश्व खाद्य एवं कृषि संगठन की नवीनतम रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि रासायनिक खादों और कीटनाशकों से विश्व भर में मिट्टी में पैदा होने वाले प्रदूषण से कृषि उत्पादकता, खाद्य सुरक्षा और मानव स्वास्थ्य के लिए जबरदस्त खतरा पैदा हो गया है। यहां तक कि मां का दूध भी इससे अछूता नहीं रहा।

रासायनिक खाद और कीटनाशकों के जबर्दस्त प्रयोग से देश में कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी खतरनाक हो चुकी है। देश में कैंसर के मरीजों की संख्या 15 लाख 17 हजार पंहुच चुकी है। मध्यप्रदेश में यह संख्या 93 हजार 754 पार हो चुकी है। मध्यप्रदेश देश का पांचवा ऐसा राज्य है जहां कैंसर के मरीजों की तादात ज्यादा है।

आपको ये जानकार हैरानी होगी कि पंजाब के बठिंडा से बीकानेर जाने वाली डेली ट्रेन कैंसर ट्रेन के नाम से मशहूर हो चुकी है। हर दिन रात साढे 9 बजे बठिंडा स्टेशन से छूटने वाली इस ट्रेन के बारे में इनक्वायरी विंडो पर भी कैंसर ट्रेन के नाम से ही पूछताछ की जाती है। रेल्वे के कर्मचारी भी अब इसी नाम के आदी हो चुके हैं। बठिंडा से हर दिन इस ट्रेन में 200 से ज्यादा कैंसर मरीज इस ट्रेन में सवार होते हैं।

यह ट्रेन 20 स्टेशनों से गुजरते हुए 325 किलोमीटर का सफर तय कर सुबह बीकानेर पंहुचती है। सभी कैंसर के मरीजों की मंजिल होती है बीकानेर का आचार्य तुलसी रीजनल कैंसर ट्रीटमेंट और रिसर्च सेंटर। पंजाब में कैंसर की बीमारी तेजी से फैल रही है। इसकी वजह है खेतों में अँधाधुंध कीटनाशक का इस्तेमाल। तो क्या कैंसर ट्रेन का अगला स्टेशन मध्यप्रदेश का मालवा होगा?