लखनऊ के होटल में लगी आग से जान बचाने लोग छत से कूदे, किसी का फटा सिर तो किसी का टूटा पैर

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लखनऊ। यूपी की राजधानी लखनऊ के होटेल एसएसजे इंटरनैशनल और होटेल विराट में मंगलवार को आग लगने से छह लोग जिंदा जल गए। होटेल में ठहरे लोग जान बचाने के लिए तीसरी मंजिल से बगल के होटल की छत पर कूद गए। भागने का रास्ता नहीं मिला तो लोग छत पर चढ़ गए और जान बचाने के लिए पिछले हिस्से से बगल के होटेल गगन की छत पर कूद गए। इस जद्दोजहद में किसी का सिर फट गया था तो किसी के पैर में चोट लगी।
The people from the ceiling jumped from the fire in Lucknow’s hotel, the broken head of someone and the broken legs
दरअसल, दोनों होटलों में सेट बैक नहीं छोड़ा गया है। लिहाजा, आग लगने के बाद होटलों का अगला हिस्सा लपटों से घिर गया। होटेल गगन के वेटर अंबर ने बताया कि होटेल एसएसजे इंटरनैशनल और होटेल विराट से 18 लोग धड़ाधड़ कूदे तो उनके होटेल में भी भगदड़ मच गई। चेक किया गया तो सब ठीक था। तब तक छत से चीख-पुकार सुनाई देने लगी।

नाम तक बता नहीं पा रहे थे डरे लोग
होटेल का स्टाफ और वहां ठहरे लोग भी भागकर छत पर पहुंचे तो देखा कि जान बचाने के लिए कूदने वाले घायल पड़े हैं। लोग इस कदर दहशत में थे कि अपना नाम और पता तक बता नहीं पा रहे थे। उन्हें वहां से उतारकर नीचे लाया गया। कुछ देर बाद वे लोग चले गए। हादसे में एसएसजे इंटरनैशनल में ठहरे प्रियांश शर्मा की मौत हो गई।

अलीगढ़ के अतरौली निवासी प्रियांश नेक्स्ट एजुकेशन नोएडा में रीजनल मैनेजर थे। कैंट में भी उनकी कंपनी का कार्यालय है। वह सोमवार को आॅफिस के काम से लखनऊ आए थे और होटेल में ही थे। सहकर्मी यशवेंद्र ने बताया कि होटेल में आग की जानकारी पर आॅफिस के सभी लोग पहुंच गए। तब तक प्रियांश की पत्नी सुरक्षा ने उनके रिश्तेदार शिवम को बताया। शिवम होटेल पहुंचे और प्रियांश की पहचान की।

हर तरफ चीख पुकार थी
बरेली के शांति विहार निवासी इंद्र शुक्ला सोमवार को होटेल एसएसजे इंटरनैशनल के कमरा नंबर 203 में रुके थे। वह मिनिस्ट्री आॅफ आईटी में असिस्टेंट मैनेजर हैं। उन्होंने बताया कि वह योग दिवस के सिलसिले में लखनऊ आए थे। बकौल इंद्र, मंगलवार सुबह आंख खुली तो बचाओ-बचाओ का शोर सुनाई दे रहा था। दरवाजा खोलकर बाहर निकले तो हर तरफ चीख पुकार थी।

गैलरी में धुआं था। कुछ दिख नहीं रहा था। किसी तरह गैलरी में लेटकर आगे बढ़े और एक कमरे में घुसे। उसकी खिड़की का कांच तोड़ा और सांस लेने के बाद भागकर छत पर पहुंचे। तब तक वहां फायर ब्रिगेड के जवान आ गए थे।