नई दिल्ली। सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत का कार्यकाल पूरा होने में अभी एक साल का वक्त और बचा है। इस बीच उनके उत्तराधिकारी के लिए म्यूजिकल चेयर गेम शुरू हो चुका है। अब तक ट्रेनिंग कमांड में भेजकर किनारे लगाए गए अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल मुकुंद नरवाणे को आॅपरेशन के लिहाज से महत्वपूर्ण ईस्टर्न कमांड की जिम्मेदारी दे दी गई है। इसके साथ ही वह अगले साल आर्मी चीफ की दावेदारी में आ गए हैं।
The responsibility of the Eastern Command given to Mukund Narwane, the Chief Contender may be the Chief Contributor
पिछले साल दिसंबर में सेना की ट्रेनिंग कमांड के मुखिया के तौर पर नरवाणे को जिम्मेदारी दी गई थी। अब पिछले साल जब आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत रिटायर होंगे तो वह सेना के सबसे सीनियर अधिकारी होंगे और सेना प्रमुख की जिम्मेदारी के लिए प्रबल दावेदार होंगे। रावत का कार्यकाल दिसंबर, 2019 में समाप्त हो रहा है। सालों से सेना प्रमुख की नियुक्ति में वरिष्ठता क्रम को माना जाता रहा है, लेकिन बीजेपी सरकार ने 2016 में दो अफसरों को बाईपास कर रावत को इस महत्वपूर्ण पद के लिए चुना।
फिर भी पिछले साल नरवाणे को जब ट्रेनिंग कमांड की जिम्मेदारी दी गई, तब उसे आश्चर्य के तौर पर देखा गया। नरवाणे के लिए भी यह एक झटके की तरह था क्योंकि शीर्ष पद के लिए आॅपरेशनल कमांड का अनुभव जरूरी था। हालांकि उनके जूनियर लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह को पिछले साल मई में नॉर्दर्न आर्मी कमांड की जिम्मेदारी दी गई थी। सूत्रों ने इकनॉमिक टाइम्स को बचाया कि रक्षा मंत्रालय ने नरवाणे को ईस्टर्न कमांड में भेजने के आदेश पर साइन कर दिए हैं। अब उनका बेस कोलकाता होगा। ईस्टर्न कमांड के मुखिया के तौर पर उन्हें जरूरी आॅपरेशनल अनुभव भी मिल सकेगा।
हालांकि सरकार जनरल रावत के उत्तराधिकारी को लेकर फैसला उनके रिटायरमेंट से कुछ महीने पहले ही करेगी। मौजूदा ईस्टर्न आर्मी कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल अभय कृष्ण को सेंट्रल कमांड में पोस्ट किया गया है, जिसका मुख्यालय लखनऊ में है। यह कमांड उत्तराखंड से लगती चीन सीमा की निगरानी करती है, जहां बीते कुछ महीनों से चीन का रवैया घुसपैठ वाला रहा है।