1921 में महात्मा गांधी ने जिस स्कूल की रखी थी नीव, कोष के आभाव में बंद होने की कगार पर

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राजकोट। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 30 सितंबर को उस स्कूल में गांधी म्यूजियम का उद्घाटन करेंगे जहां महात्मा गांधी पढ़ते थे । हालांकि, वहां से कुछ दूर जिस स्कूल की नींव महात्मा गांधी ने 1921 में रखी थी, वह फंड के अभाव में अब बंद होने वाला है। राष्ट्रीय शाला नाम का यह स्कूल म्यूजियम से केवल 2 किलोमीटर दूर है।
The school which Mahatma Gandhi had kept in 1921, on the verge of closure of the foundation, lack of funds
बताया गया है कि 1970 और 2000 के बीच करीब 1000 बच्चों को यहां एनरोल किया गया था। हालांकि, जब राष्ट्रीय शाला ट्रस्ट के पास डोनेशन आने बंद हो गए तब यह संख्या नीचे जाने लगी। साल 2017-2018 में यहां केवल 37 बच्चे रह गए। अब स्कूल के बंद होने के ऐलान से अब ये सब बच्चे कहीं और दाखिला लेंगे।

यह स्कूल महात्मा गांधी ने आजादी की लड़ाई के लिए छात्रों को तैयार करने के उद्देश्य से बनाया था। स्कूल का संविधान गांधीजी ने ही लिखा था। वह यहीं प्रार्थना किया करते थे और 1939 में उन्होंने यहां उपवास भी किया था। दक्षिण अफ्रीका से वापस आने के बाद गांधीजी को लगा कि ब्रिटिश शिक्षा गुलामी की जड़ है और शिक्षा व्यवस्था को बदलने की जरूरत है। राष्ट्रीय शाला इसी विचार का नतीजा थी। यहां स्थानीय भाषाओं में पढ़ाया जाता था।

बुकलेट जारी कर स्कूल बचाने की अपील
हाल ही में आरएसटी ने एक बुकलेट जारी कर लोगों से इस ऐतिहासिक संस्थान को बचाने के लिए सहयोग करने की अपील की। बुकलेट में लिखा था- ‘हमें प्राइमरी स्कूल और म्यूजिक स्कूल के लिए सरकारी नियमों के अनुसार ग्रांट नहीं मिल रही। संस्थान को 25 से 30 लाख रुपये हर साल चाहिए जिससे गांधीवादी विचारों पर गतिविधियां चलती रहें।’

स्कूल के जनरल सेक्रटरी और मैनेजिंग ट्रस्टी जीतू भट्ट ने बताया, ‘हमें हर साल 8.30 लाख रुपये स्कूल चलाने के लिए चाहिए लेकिन हमारे पास फंड नहीं हैं। हमारे पास स्कूल को बंद करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।’ स्कूल के ट्रस्टीज ने इसके लिए मुख्यमंत्री विजय रुपाणी को भी खत लिखा है। भट्ट ने बताया कि उन्होंने सीएम से मिलने के लिए समय लिया था लेकिन पीएम के दौरे के कारण उनकी मुलाकात आगे बढ़ गई है।