सूबे के हालात : पुलिस का इकबाल बुलन्द करने की दरकार

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TIO राघवेंद्र सिंह

कानून व्यवस्था के मामले में सूबे के हालात संगीन होते जा रहे हैं। अपराध करने वालों के मन में पुलिस का डर कम हो रहा है। ऐसा पहली बार नही हो रहा है। लेकिन तब जिले से लेकर पुलिस मुख्यालय और मंत्रालय तक पुलिस का इकबाल बुलन्द करने की कोशिशें शुरू हो जाती थी। जो लोगों को दिखती भी थी। जिलों के पुलिस अफसरों में फेरबदल होता था। योग्य तेजतर्रार ईमानदार अधिकारी-कर्मचारी खोजकर फील्ड में तैनात करने का सिलसिला शुरू हो जाता था। जुआ-सट्टे और अवैध शराब पर कठोरता से रोक लगाने की मुहिम चलाई जाती थी। युद्ध स्तर पर तलाशी अभियान चलाए जाते थे। बड़े बड़े कुख्यात और खूंखार गुंडे बदमाशों को धरपकड़ होती थी। लगता था मानो कानून तोड़ने वालों बचेंगे नही। इससे आमजन में पुलिस व्यवस्था के प्रति विश्वास पैदा होता था और पुलिस का मोरल हाई होता था। प्रतिपक्ष भी सक्रिय होकर सरकार की नाक में दम कर देता था। मगर अब ऐसा होता दिखे इसके लिए भी प्रतीक्षा करनी पड़ती है। प्रतिपक्षी कांग्रेस की हालत भी यह है कि वह सरकार की सहयोगी की भूमिका में ज्यादा है। उसके पीसीसी चीफ प्रदेश के बजाए दिल्ली में और सड़क के बदले चेम्बर पॉलिटिक्स में ज्यादा उस्ताद हैं। फिलहाल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ बीमार हैं और प्रभु उन्हें शीघ्र सेहतमंद करे ताकि सदन से लेकर सड़क तक कांग्रेस जनता के साथ खड़ी नजर आए अभी तो एक अहम बैठक में श्री नाथ का संदेश प्रसारित कर कांग्रेस नेतृत्व ने अपनी महवपूर्ण रस्म जिम्मेदारी के साथ पूरी कर दी है।
पिछले दिनों सूबे में सड़को पर जिस तरह से कानून व्यवस्था टूटी है उसने सब को चिंता में डाल दिया है। मालवा के नीमच से लेकर इंदौर,उज्जैन और विंध्य के रीवा सतना की घटनाओं ने प्रशासन और पुलिस बल बड़े बदलाव की तरफ इशारा किया हैं। चोरी के शक में पुलिस और आम जनता तक कानून हाथ में ले रही है। देवास के कन्नौद थाना क्षेत्र में चोरी के शक में पुलिस ने मनी राम को पकड़ा और इतना पीटा की उसकी मौत हो गयी। पहले इस तरह की घटनाओं में आरोपी पुलिस कर्मियों यहां तक की पुलिस अधीक्षक तक पर कड़ी कार्रवाई की जाती थी। नीमच में एक आदिवासी को वाहन से घसीट कर मार दिया दिया जाता है। सतना में चोरी की शंका में जनता ही संदिग्ध आरोपी की सरेआम पिटाई करती है। ये कुछ घटनाएं हांडी में चावल की तरह हालात को समझने के लिए है। सरकार ने के जिलों के एसपी कलेक्टर बदल दिए है। यह आंकड़ा 65 से ऊपर निकल गया है। आगे और भी तबादले होंगे लेकिन अधिकारी असरदार नही हुए तो सरकार की और किरकिरी होगी।

गृहमंत्री की प्रतिष्ठा दाव पर ….
पुलिस मुख्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि जिलों में जब तक ईमानदार और असरदार अधिकारी नही होंगे कानून व्यवस्था बेहतर करने के प्रयास ज्यादा सफल नही हो पाएंगे। अभी तक जो अधिकारी फील्ड में पदस्थ हैं उनपर जुआ सट्टा शराब और रेत के अपराध में लिप्त लोगो से सांठ गांठ के आरोप है। पूरे मामले में गृहमंत्री नरोत्तम मिश्र की साख भी दाव पर लगी हुई है। कहा जाता है कि उनके हाथ अधिकारियों पर कार्रवाई करने के मामले में शोले फ़िल्म के ठाकुर की तरह कटे भले ही न हो पर बंधे जरूर है। कानून व्यवस्था बिगड़ने के पीछे जिलों में प्रमोटी और अपराधियो से मधुर संबंध बनाने वालो का बोलबाला है।

आदिवासी सड़कों पर …
मध्यप्रदेश में पिछले दिनों आदिवासियों को प्रताड़ित करने के मुद्दे पर नीमच में एक बड़ी सभा हुई जिसमे आदिवासियो ने पुलिस से निराश होकर खुद को तालिबानी बनने की बात कही। इस मुद्दे पर सड़क पर आता उनका आक्रोश भविष्य में राजनीतिक रंग भी ले सकता है। प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ यदि बीमार न होते तो शायद कांग्रेस आदिवासियों को लेकर सड़क पर आंदोलन करने की तैयारी भी कर सकती थी। यदि ऐसा होता तो सरकार को खासतौर से भाजपा को आने वाले उपचुनावों में दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है।