कहानी ने खुद को दोहराया, 10 साल पहले चिदंबरम थे गृहमंत्री और अमित शाह के पीछे थी सीबीआई

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नई दिल्ली

अक्सर हम ये सुनते हैं कि एक समय पर हो चुकी कहानी कभी ना कभी खुद को दोहराती जरूर है। और जब बात सियासत की हो तो यहां तो समय का चक्र तेजी से घूमता है। जो कुछ आज हो रहा है कि ऐसा ही कुछ आज से 10 साल पहले मौजूदा गृहमंत्री अमित शाह के साथ भी हो चुका है। यूपीए सरकार के समय साल 2008 से 2012 तक पी चिदंबरम देश के गृहमंत्री थे। वहीं सोहराबुद्दीन मामले में उस वक्त अमित शाह को 22 जुलाई, 2010 में गिरफ्तार किया गया था।

अब शाह गृहमंत्री हैं और चिदंबरम गिरफ्तार हैं। वहीं कांग्रेस के आरोप भी कुछ वैसे ही हैं, जैसे उस वक्त भाजपा लगाती थी। हैरानी की बात को ये रही कि चिदंबरम को सीबीआई के उसी मुख्यालय में ले जाया गया, जहां बतौर गृहमंत्री उन्होंने उद्धाटन किया था।

 

आईएनएक्स मीडिया मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने चिदंबरम को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया। जिसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकार वार्ता की और खुद को निर्दोष बताया। लेकिन करीब दो घंटे चले ड्रामे के बाद आखिरकार सीबीआई टीम ने चिदंबरम को गिरफ्तार कर लिया। यहां से चिदंबरम को सीबीआई मुख्यालय ले जाया गया।

करीब 10 साल पहले ऐसे ही एजेंसियां अमित शाह के पीछे थीं। लेकिन अब समय बदल गया है। दस साल पहले अमित शाह को गिरफ्तार कर जेल में रखा गया था। अब वर्तमान में उसका बिल्कुल उल्टा हो रहा है। आज चिदंबरम जेल में हैं और शाह गृहमंत्री हैं। शाह करीब तीन माह तक सलाखों के पीछे थे। उन्हें दो साल तक गुजरात से बाहर रहने का आदेश भी दिया गया था। हालांकि 29 अक्तूबर, 2010 में शाह को गुजरात हाईकोर्ट ने जमानत दे दी थी। तब भाजपा सरकार ने शाह की गिरफ्तारी के लिए यूपीए सरकार पर बदले की कार्रवाई का आरोप लगाया था।

साल 2012 तक शाह गुजरात से बाहर ही रहे। तब सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें गुजरात जाने की इजाजत दे दी थी। हालांकि सीबीआई की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई को गुजरात से मुंबई शिफ्ट कर दिया था। बाद में मुंबई की अदालत में इसपर लंबी सुनवाई चली और 2015 में विशेष सीबीआई अदालत ने शाह को सभी आरोपों से मुक्त कर दिया था।

क्यों गिरफ्तार हैं चिदंबरम?

केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) ने 15 मई, 2017 को एक एफआईआर दर्ज की थी। जिसमें आरोप था कि आईएनएक्स को फायदा पहुंचाने के लिए विदेशी निवेश को स्वीकृति देने वाले विभाग फॉरेन इनवेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड (एफआईपीबी) ने कई तरह की गड़बड़ियां की थीं। जिस वक्त कंपनी को निवेश की स्वीकृति दी गई थी, उस समय पी चिदंबरम वित्त मंत्री हुआ करते थे।