सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल विस्टा परियोजना को दी हरी झंडी

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TIO NEW DELHI

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में संसद की नई बिल्डिंग बनने का रास्ता साफ हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के खिलाफ दायर याचिकाएं खारिज कर दी हैं। इसी सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट की आधारशिला बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रखी थी। पर्यावरण का हवाले देते हुए इस प्रोजेक्ट के खिलाफ याचिकाएं दायर की गई थीं, जो अब खारिज हो गई हैं। सुनवाई जस्टिस एएम खानविल्कर की अध्यक्षता वाली पीठ ने की। हालांकि तीन जजों की पीठ ने यह जरूर कहा कि निर्माणकार्य से पर्यावरण को नुकसान न पहुंचे इसके लिए स्मोग टॉवर्स जरूर लगाए जाएं। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 7 दिसंबर 2020 को नए संसद भवन के लिए 10 दिसंबर को आधारशिला की अनुमति दी थी, लेकिन इसके साथ में यह भी निर्देश दिया था कि कोई निर्माण नहीं होगा।

फैसला सुनाते हुए उच्चतम न्यायालय ने कहा कि डीडीए एक्ट के तहत शक्ति का प्रयोग न्यायोचित और वैध है। पर्यावरण मंत्रालय द्वारा पर्यावरण मंजूरी की सिफारिशें उचित और सही हैं और हम इसे बरकरार रखते हैं। अदालत ने कहा कि निर्माण कार्य शुरू करने के लिए धरोहर संरक्षण समिति की मंजूरी आवश्यक है। अदालत ने परियोजना समर्थकों को समिति से अनुमोदन प्राप्त करने का निर्देश दिया है।

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में नए संसद की आधारशिला रखी थी। पिछली सुनवाई के दौरान सरकार ने अदालत को आश्वासन दिया था कि जब तक अदालत इसपर कोई निर्णय नहीं देता तब तक कोई निर्माण कार्य नहीं किया जाएगा। परियोजना का शिलान्यास कार्यक्रम 10 दिसंबर को आयोजित हुआ था।

इस परियोजना की घोषणा पिछले साल सितंबर में हुई थी, जिसमें एक नए त्रिभुजाकार संसद भवन का निर्माण किया जाना है। इसमें 900 से 1200 सांसदों के बैठने की क्षमता होगी। इसके निर्माण का लक्ष्य अगस्त 2022 तक है, जब देश स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ मनाएगा। इस परियोजना के तहत साझा केंद्रीय सचिवालय 2024 तक बनने का अनुमान है। यह परियोजना लुटियंस दिल्ली में राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक तीन किलोमीटर लंबे दायरे में फैली हुई है।