इस अदालत में तारीख पर तारीख नहीं होती, एक ही सुनवाई में होता हैै फैसला

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शशी कुमार केसवानी

स्टार रेटिंग: 4
रूमी जाफरी का हिंदी सिनेमा में बतौर लेखक बड़ा नाम रहा है। पिछले तीन दशक में वह तमाम सुपरहिट फिल्मों का हिस्सा रहे हैं। इनमें से तमाम हिट फिल्में दक्षिण की सुपरहिट फिल्मों की रीमेक रही हैं। संवाद लेखन उनकी खासियत जगजाहिर है। इस बार भोपाल के रहने वाले रूमी जाफरी ने असल में चेहरे फिल्म में जो स्तर लेकर आए है वो वॉलीबुड से बहुत ऊपर का नजर आता है। जावेद अखतर तो कह रहे है रूमी जाफरी ने वो कमाल का काम किया है, जिसकी मिसाल हॉलीवुड में भी दी जाएगी। कोरोना खतरे के बीच जो भी थिएटर्स खुले हैं, उनमें रिलीज होने वाली दूसरी फिल्म है चेहरे। इससे पहले अक्षय कुमार की बेल बॉटम रिलीज हुई थी जिसको अपेक्षित रिस्पॉन्स नहीं मिला है। मगर चेहरे लोगों को सिनेमा घरों तक खींचने में सफल होने वाली फिल्म है।
क्या है कहानी चेहरे की
चेहरे एक थ्रिलर है जिसमें कोर्ट रूम ड्रामा दिखाया गया है। दिल्ली की एक एड एजेंसी का हेड समीर मेहरा यानी इमरान हाशमी खराब मौसम के चलते एक घर में पनाह लेता है। जहां उसकी मुलाकात 4 बुजुर्गों – पब्लकि प्रोसीक्यूटर अमिताभ बच्चन, डिफेंस लॉयर अन्नू कपूर, धृतमान चटर्जी जज और रघुबीर यादव प्रॉसिक्यूटर हरिया जाटव की भूमिका में हैं। ये सभी इमरान को एक मॉक ड्रिल में शामिल करते हैं और उस पर अपने बॉस की हत्या कर एजेंसी हथियाने का आरोप लगाते हैं। तो क्या इमरान सच में कातिल निकलते हैं? इसलिए आपको सिनेमा घर में जाकर फिल्म देखनी पड़ेगी। निर्देशन रूमी जाफरी ने चेहरे में अच्छे कलाकारों को चुना है । सुशांत सिंह राजपूत के निधन के बाद विवाद में फंसी रिया चक्रवर्ती ने चेहरे के साथ पर्दे पर वापसी की है। बतौर निर्देशक रूमी जाफरी बार बार अलग तरह का सिनेमा बनाने की कोशिश करते रहे हैं। इसके लिए उनको दाद भी मिलनी चाहिए लेकिन वह शायद बदलते दौर में दर्शकों की बदलती रुचियों से वाकिफ हो रहे है। फिल्म चेहरे के बाकी कलाकारों में अन्नू कपूर का अभिनय कमाल का है। वह बचाव पक्ष के वकील के तौर पर बहुत ही सहजता से अपने किरदार में उतर जाते हैं। उनके बोलने का अंदाज उनके किरदार को मजूबत बनाने में काफी मदद करता है। अभिनय यहां इमरान हाशमी ने भी अच्छा किया है। हां, क्रिस्टल डिसूजा जरूर अपनी मादक और मोहक अभिनय का असर छोड़ने में सफल रहीं। अमिताभ बच्चन का अभिनय जबरजस्त है। उनका अभिनय बदला हुआ व असरदार अलग ही नजर आ रहा था।
डरावना है अमिताभ का अंदाज
ये केस जिस तरह से उलझता जाता है और समीर अपने आप को अपराधी साबित ना होने से कैसे बच पाएगा या नहीं बचेगा ये सब तो आप फिल्म देखने पर जानेगें लेकिन इसी सब के बीच जो दृश्य सामने आते हैं वह दिल दहलाने के लिए काफी हैं. अमिताभ बच्चन का अंदाज काफी डरा देने वाला है. फिल्म पर ओवरआॅल बात की जाए तो हर तरह से फिल्म में अमिताभ बच्चन और इमरान हाशमी के साथ सभी कलाकारों ने दिल जीतने वाला काम किया है. अन्नू कपूर, रघुवीर यादव, धृतिमान चटर्जी के रोल भी इतने दमदार हैं कि उनके बिना फिल्म का रस कम हो जाएगा. रिया चक्रवर्ती की वापसी छोटे रोल के बाद भी दमदार है. वहीं क्रिस्टल डिसूजा, समीर सोनी और सिद्धांत कपूर ने अपनी भूमिकाएं बढ़िया अंदाज में निभाई हैं. फिल्म देखने योग्य है। तो सिनेमा घर में फिल्म का देखने का मजा अलग ही आएगा।

निदा फाजली का एक प्रसिद्ध शेर है
हर आदमी में होते है दस बीस आदमी
जिसको भी देखना हो कई बार देखना

फिल्म: चेहरे
कास्ट: अमिताभ बच्चन , रिया चक्रवर्ती , रघुवीर यादव , इमरान हाशमी और अन्नू कपूर
लेखक: रंजीत कपूर और रूमी जाफरी
निर्देशक: रूमी जाफरी
निमार्ता: रूमी जाफरी