बिहार में खैनी पर प्रतिबंध लगाने की नहीं है कोई योजना: स्वास्थ्य मंत्री

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पटना। बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा है कि प्रदेश में खैनी पर प्रतिबंध लगाए जाने का कोई प्रस्ताव नहीं है। गौरतलब है कि दो दिन पहले ही यह रिपोर्ट आई थी, जिसके अनुसार बिहार सरकार, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को चिट्ठी लिखकर खैनी को खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम (एफएसएसए), 2006 के अंतर्गत लाने के लिए कहने की योजना बना रही है। ऐसा कहा जा रहा था कि यह कदम तंबाकू के शुद्ध रूप, खैनी की खपत पर प्रतिबंध लगाने के लिए उठाया जाएगा।
There is no plan to ban khane in Bihar: health minister
मंत्री पांडेय ने कहा, ‘खैनी को एफएसएसए के अंतर्गत लाने की बिहार सरकार की कोई योजना नहीं है और इसके लिए केंद्र सरकार को किसी तरह का पत्र भी नहीं लिखा गया है। प्रदेश के लोग धीरे-धीरे तंबाकू उत्पादों और खैनी के घातक असर को लेकर जागरुक हो रहे हैं। मुझे विश्वास है कि आने वाले वर्षों में इसके उपयोग में कमी आएगी।’

उन्होंने कहा, ‘मुंह के कैंसर से बचने के लिए खैनी और अन्य तंबाकू के उत्पादों का उपयोग नहीं करना चाहिए। कैंसर के 40 फीसदी मामले तंबाकू और खैनी से जुड़े हुए हैं। लेकिन पिछले 6 सालों में खैनी सहित अन्य तंबाकू उत्पादों में 54 फीसदी की कमी आई है।’

21 मई को, स्वास्थ्य विभाग ने एक वर्ष के लिए गुटखा और पान मसाला (तंबाकू और निकोटीन के साथ) के निर्माण, बिक्री और वितरण पर प्रतिबंध लगा दिया था। स्वास्थ्य सचिव संजय कुमार ने कहा, ‘कानून कहता है कि तम्बाकू या निकोटीन से जुड़े किन्हीं खाद्य पदार्थों के उत्पादन की अनुमति नहीं दी जा सकती। खैनी शुद्ध तम्बाकू है। अगर केंद्र सिफारिश स्वीकार करता है, तो खैनी को एफएसएसए के तहत विनियमित किया जाएगा।’

राज्य सरकार के सहयोग के साथ तंबाकू की खपत पर लगाम लगाने के लिए बनाए गए संगठन सीड्स ने खैनी को एफएसएसए के अंतर्गत आने वाले खाद्य पदार्थों में शामिल करने को कहा। सीड्स के कार्यकारी निदेशक दीपक मिश्रा ने कहा, ‘2016-17 के ग्लोबल अडल्ट टोबैको सर्वे के अनुसार राज्य की आबादी का 25.9 प्रतिशत हिस्सा विभिन्न रूपों में तंबाकू का प्रयोग करता है और उनमें से 20.4 प्रतिशत खैनी के आदी हैं।’ उन्होंने कहा, ‘हमने बैठक में खैनी के खिलाफ एक प्रस्ताव रखा है। एफएसएसए अधिकारी इसे फूड प्रॉडक्ट के रूप में वगीर्कृत करने की संभावना तलाशेंगे।’