रेपो रेट लगातार दूसरी बार 5.15% पर स्थिर; 2020-21 में 6% जीडीपी ग्रोथ का अनुमान

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नई दिल्ली

मुंबई. आरबीआई ने इस बार भी रेपो रेट में बदलाव नहीं किया। इसे 5.15% पर बरकरार रखा है। मौद्रिक नीति समिति की तीन दिन की बैठक के बाद आरबीआई ने गुरुवार को फैसलों का ऐलान किया। रेपो रेट के अलावा अन्य दरें भी स्थिर रखी हैं। रिवर्स रेपो रेट 4.90% पर बरकरार रखा है। दिसंबर की बैठक में भी ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया था। इससे पहले लगातार 5 बार कटौती करते हुए रेपो रेट में 1.35% कमी की थी। आरबीआई ने अगले वित्त वर्ष (2020-21) में जीडीपी ग्रोथ 6% रहने का अनुमान जारी किया है।

अगले वित्त वर्ष की पहली छमाही में खुदरा महंगाई दर 5% से 5.4% रहने का अनुमान

जनवरी-मार्च 2020 6.5%
अप्रैल-सितंबर 2020 5%-5.4%
अक्टूबर-दिसंबर 2020 3.2%

अकोमोडेटिव आउटलुक बरकरार

कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव को देखते हुए दूध और दाल जैसी वस्तुओं के रेट बढ़ सकते हैं। इसे ध्यान में रखकर आरबीआई ने महंगाई दर का अनुमान बढ़ाया। हालांकि, दिसंबर के उच्च स्तर (7.35%) से नीचे आने की उम्मीद जताई है। आरबीआई ने कहा कि चालू तिमाही में नई फसल आने से प्याज की कीमतें घटने के आसार हैं।आरबीआई नीतियां बनाते समय खुदरा महंगाई दर को ध्यान में रखता है। मध्यम अवधि में आरबीआई का लक्ष्य रहता है कि खुदरा महंगाई दर 4% पर रहे। इसमें 2% की कमी या बढ़ोतरी हो सकती है। लेकिन, दिसंबर में यह 6% की अधिकतम रेंज से भी ऊपर पहुंच गई। आरबीआई ने मौद्रिक नीति को लेकर इस बार भी अकोमोडेटिव नजरिया बरकरार रखा है। इसका मतलब है कि रेपो रेट में आगे कटौती संभव है।

ग्रोथ बढ़ाने के लिए ब्याज दरों के अलावा दूसरे उपाय भी हैं: आरबीआई गवर्नर
जीडीपी ग्रोथ में कमी को देखते हुए यह उम्मीद की जाती है कि आरबीआई प्रमुख ब्याज दर रेपो रेट में कटौती करे। ताकि कर्ज सस्ते हों तो मांग बढ़े और आर्थिक विकास दर में तेजी आए। आरबीआई ने पिछले साल लगातार 5 बार रेपो रेट घटाया भी था, लेकिन खुदरा महंगाई दर में इजाफे को देखते हुए लगातार दूसरी बार रेपो रेट स्थिर रखा है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि इकोनॉमिक ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए ब्याज दरों के अलावा दूसरे तरीके भी हैं।