ये बंधन तो प्यार का बंधन है रक्षाबंधन

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1992

भारत में त्योहार सिर्फ खाने-पीने और मौज-मस्ती का नाम नहीं हैं, बल्कि यह एक दूसरे के प्रति प्यार, समर्पण और त्याग को भी दशार्ते हैं. ऐसा ही एक त्योहार है रक्षाबंधन जो भाई-बहन के असीम प्यार का प्रतीक है. भाई-बहन साल भर इस त्योहार का इंतजार करते हैं. रक्षाबंधन के दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र या राखी बांधती हैं.
This bond is the bond of love, Rakshabandhan

श्वेता नंदा ने बताया: अभिषेक बच्चन को चाहीए था एक छोटा भाई
आज रक्षाबंधन का त्योहार है इस मौके अमिताभ बच्चन की बेटी श्वेता नंदा ने अपने भाई अभिषेक बच्चन को लेकर कई दिलचस्प बाते बतायी रक्षाबंधन के मौके पर श्वेता ने खुलासा किया है कि कैसे दोनों आपस में झगड़ते थे और अभिषेक बचपन में कौन सी चीज दिल से मांगा करते थे.

श्वेता के अनुसार अभिषेक दोनों में ज्यादा शरारती थे और श्वेता को खूब तंग किया करते थे. हालांकि इस मामले में अभिषेक आज भी नहीं सुधरे हैं और फैमिली के व्हाट्सग्रुप में वे श्वेता की तस्वीरों के साथ छेड़खानी कर उन्हें खूब चिढ़ाते हैं. श्वेता ने बताया है कि छोटे होते हुए अभिषेक की यह तमन्ना थी कि उनका एक छोटा भाई जरुर हो. जब भी उनका कोई पलक टूटता था तो वे आंखें मूंदकर के उसे फूंक से उड़ाकर यही विश किया करते थे कि उनका एक छोटा भाई इस दुनियां में आ जाये. श्वेता ने बताया है यूं तो वे अपने भाई से दो साल बड़ी हैं और अभिषेक की तुलना में रिजर्व नजर की हैं.

मिलिए राजनीति के दिग्गज भाई-बहन से
रक्षाबंधन के पावन पर्व पर आज हम आपको मिलवाते हैं राजनीति के दिग्गज भाई-बहनों से, जिन्होंने सत्ता की दहलीज में भले ही अलग पहचान बनायी हो लेकिन आत्मिक रिश्तों में भी ये किसी से कम नहीं है। कहीं ये रिश्ता खून का है और कहीं दिल का। राहुल गांधी-प्रियंका गांधी बात भाई-बहनों की हो और कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी और प्रियंका गांधी का जिक्र ना हो, भला ये कैसे हो सकता है। अपने बड़े भाई राहुल के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने वाली प्रियंका गांधी हर मोर्चे और हर मुद्दे पर अपने भाई के लिए ढाल बनकर खड़ी रहती हैं।

दीप्ती चौरसिया ने बताया भाई दीपक के साथ बचपन की जुड़ी बातें
दीप्ती चौरसिया ने बताया कि बचपन से ही भाई (दीपक चौरसिया) के साथ बहुत वक्त गुजारा है। साथ में क्रिकेट खेला है, टेबल टेनिस भाई ने ही सिखाया है। पांच बहनें बड़ी थी, मैं सबसे छोटी थी, तो भाई के साथ वक्त ज्यादा गुजरा, स्कूल में भाई डिवेट में जाया करते थे, मैं भी देखकर जाने लगी मेरा हमेशा उत्साह बढ़ाते थे।

लेकिन साथ में एक चीज कहते थे कि जिंदगी का संघर्ष अलग-अलग ही करना पड़ेगा, जो दोनों ने किया, दोनों ने इस देश में मुकाम हासिल किया, दीपक चौरसिया हिन्दी टीवी पत्रकारिता के महानायक के रूप में पहचाने गए। दीप्ती चौरसिया वर्मा मध्यप्रदेश में एक सितारे की तरह उभरीं और एक अलग पहचान बनाई, इस ऊंचाई में पहुंचने के बाद भी राखी का त्योहार पूरे परिवार के लिए बहुत ही उत्साह पूर्ण त्योहार रहता है जिसे बड़ी चाह के साथ मनाते हैं। परिवार कोई भी खुशी का मौका नहीं छोड़ता जिस पर एकत्रित न हों। हाल ही में दीपक चौरसिया की किताब के विमोचन में पूरा परिवार एकत्रित था, भाई और बहनों का अटूट प्रेम अलग नजर आ रहा था।

हर पल तेरे स्रेह से गुनगुनाने का कुछ रूठने, कुछ मनाने का, मां के प्रेम से भी बढ़कर पिताजी की डांट से हटकर मेरी बहन का प्यार मिलता मुझे सारे जमाने का, एक त्योहार है रक्षाबंधन जो भाई-बहन के असीम प्यार का प्रतीक है. भाई-बहन साल भर इस त्योहार का इंतजार करते हैं. रक्षाबंधन के दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र या राखी बांधती हैं.
परवेश विजयवर्गीय

भाई की कलाई और बहन की राखी
वर्ष 1991 हम तीनों बहनों के जीवन में खुशियाँ लेकर आया, 16 अगस्त 1991 की दोपहर,जब हम बहने स्कूल से लौट रहीं थीं रास्ते में हमारे मौसेरे भाई को देख पूछा किधर से आ रहे हो? वह बोला बधाई हो तुम्हारा भैया आया है, अस्पताल से ही आरहा हूँ, बस क्या था हम बहने खुशी से उछल पड़ी, भागते हुए घर पहुंची, हमारी खुशी का ठिकाना न था हमारे पाँव जमीन पर नहीं थे। हम जल्द से जल्द अपने भाई को देखने के लिए उसे गोद में उठाने के लिये आतुर थीं। अगले दिन स्कूल जाकर भाई के आने की खुशी में टॉफी बाँटी। अगले हफ्ते ही राखी थी और आखिर हमने अपने छोटे से भाई टुक टुक को तिलक लगाया और उसकी छोटी सी कलाई पर चाँदी की राखी बाँधी। समय बीतता गया अब टुक टुक बड़ा हो गया है, आज वो मुंबई में अक्षत नाम से सीरीयल्ज डायरेक्ट करता है। भाई बहन का रिश्ता कोई समझ ही नहीं सकता, वो नोक झोंक, लड़ाई झगड़े और उसमें छिपा ढेर सारा प्यार ।
कविता जैमिनी

We are raised in an environment where we should respect females, maintain their dignity and should never hurt them.. On the contrary a girl used to tease me now and then for no reason  in my school since long.Being a 12 yr old male teenager I was in a dilema as I was not able to raise voice against a girl.. My sis Divya came to know about the same.. She directly slapped the girl and threatened her entire group and uttered..

“दूर रहना मेरे भाई से
 नही तो मुझसे बुरा कोई नही होगा”
 I saw her in that furious form for the very first time in my life.. From that day onwards not only girls even boys were scared from me..
-Mayank Bhawsar