कोर्टयार्ड बाय मैरियट में देसी घी और पहाड़ी मसालों की खुश्बू से सराबोर ट्रेजर्स फ्रॉम हिल्स फूड फेस्टीवल

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TIO भोपाल

कोर्टयार्ड बाय मैरियट, भोपाल के फाइन डायनिंग रेस्टारेंट – बेलीफ – में आज से शुद्ध घी व सरसों के तेल में हींग, मैथी और सरसों के छौंक से बनते गढ़वाली व्यंजनों की महक के साथ दस दिवसीय ट्रेजर्स फ्रॉम हिल्स फूड फेस्टीवल आरंभ हुआ। आगामी 26 जनवरी तक शाम 7 से रात 11 बजे तक चलने वाले इस आयोजन में गढ़वाल के कई सौ साल पुराने खानपान के इतिहास की झलक देखने को मिलेगी जोकि यहां के खाने को इंडो-आर्यन और इंडो-ईरानियन सभ्यता से जोड़ती है। गढ़वाल में पले-बढ़े एवं गढ़वाली व्यंजनों के विशेषज्ञ शेफ आशीष पंवार और शेफ दिनेश नेगी इस दौरान मेहमानों को एक से बढ़कर एक डिशेज सर्व करेंगे।

इस फेस्टीवल के लिए हाल ही में दोनों शेफ ने गढ़वाल का दौरा किया और वे वहां से अपने साथ स्थानीय मसाले, अनाज और अन्य जरूरी सामग्री इस फेस्टीवल के लिए खरीदकर लाए हैं।

विजयन गंगाधरन, जनरल मैनेजर, कोर्टयार्ड बाय मैरियट, भोपाल ने इस फूड फेस्टीवल की जानकारी देते हुए बताया कि हरी-भरी वादियों वाले उत्तराखंड के हिल स्टेशन व दूरदराज में बसे गांव जितने खूबसूरत हैं उतने ही स्वादिष्ट व पौष्टिक वहां के व्यंजन भी हैं। उत्तर भारत में गढ़वाल क्षेत्र के व्यंजन आसपास में मौजूद मसालों, मौसमी सब्जियों व अनाज से पारंपरिक अंदाज में बनाए जाते हैं। इन्हें बनाने में लकड़ी और कोयले के इस्तेमाल की वजह से न सिर्फ ये खाने में सौंधे लगते हैं बल्कि इनमें पहाड़ी और ठंडे क्षेत्र की उर्जा जरूरतों के मुताबिक बेहद पौष्टिक तत्व मौजूद होते हैं।

रवीश मिश्रा, एक्जीकिटिव शेफ, कोर्टयार्ड मैरियट, भोपाल ने कहा कि खानपान के मामले में उत्तराखंड एक बड़े खजाने के समान है। हालांकि प्रचार प्रसार के अभाव में स्वाद में लाजवाब इन डिशेज की लोकप्रियता उतनी नहीं है। हम इस खजाने को भोपाल के फूड लवर्स के लिए लेकर आ रहे हैं। हमने अपने मैन्यू में स्टार्टर्स से लेकर मेन कोर्स और डेजर्ट्स तक मुंह में पानी ला देने वाली डिशेज की ढेरों वैरायटियों को शामिल किया है। इन डिशेज को रागी, झंगोरा, लाल चावल, गहत व चैनसू की दाल, जंगली सरसों जैसे तमाम स्थानीय अनाज व मसालों से तैयार किया जाएगा।

ये डिशेज होंगी खास
सूप: पहाड़ी खरोदे का शोरबा, टमाटर टिमरू का शोरबा तथा सतावर का शोरबा। वेज कवाब: गोथ के कवाब, पनीर पहाड़ी टिक्का, जिमीकंद की टिकिया, पिंडालु के कवाब, अखोद के कवाब, बुरांस के सींख व भे के कवाब। नानवेज कवाब: कुटी मिर्च का मच्छी टिक्का, कुकड़ू पहाड़ी टिक्का, पत्थर के शिकार, मच्छा फ्राई, देसी कुकड़ू फ्राई व टिमरू गोश्त की टिकिया। चटनी: भांग की चटनी, तिल की चटनी व आलू का अचार। वेज मेनकोर्स: सिसुआंग पनीर, पहाड़ी लिंगडा भिंडी, चैनसू, कंदाली का साग, फानू, गोथ की दाल, छेमी की दाल, आलू जकिया की गुटकी तथा भुज्जी की थिनचवनी। नानवेज मेनकोर्स: भेडू का शिकार, पहाड़ी चिकन कढ़ी, गाद की मच्छा व भुन्नी। रोटियां: कीमा परांठा, कोदी की रोटी, छोले की रोटी तथा मुंगरे बाजरा की रोटी। चावल: भात, जकिया टिमरू पुलाव व कुकडू भात। मीठा: सिंगुरी, झंगोरा की खीर, अरसा, बाल मिठाई तथा गुलगुला।