नई दिल्ली
तीन तलाक पर प्रतिबंध के लिए केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने शुक्रवार को हंगामे के बीच नया विधेयक लोकसभा में पेश किया। कांग्रेस, एआईएमआईएम समेत विपक्ष दलों ने बिल पेश करने का विरोध किया, इसके बाद पेपर स्लिप से वोटिंग कराई गई। कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा कि तीन तलाक बिल मुस्लिम परिवारों के खिलाफ है। हम इस बिल का समर्थन नहीं करते। एक समुदाय के बजाय सभी के लिए कानून बनाना चाहिए। सरकार ने कहा है कि कांग्रेस का विरोध दुर्भाग्यपूर्ण है। इस विधेयक पर सोमवार को चर्चा होगी।
- रविशंकर प्रसाद ने कहा, ”पिछले साल दिसंबर में लोकसभा में बिल पास हुआ था। राज्यसभा में बिल पेंडिंग था लेकिन लोकसभा भंग होने के चलते बिल खत्म हो गया। लिहाजा नया बिल लेकर आए। नए बिल में सुधार के लिए बदलाव किया। जनता ने हमें कानून बनाने के लिए चुना है। भारत का अपना एक संविधान है। किसी भी खवातीन (महिला) को तलाक, तलाक, तलाक बोलकर उसके अधिकारों से वंचित किया जा सकता है।”
- उन्होंने कहा कि कांग्रेस के द्वारा बिल का विरोध करना दुखद है। पहले उन्होंने इसका विरोध नहीं किया था और सदन से वॉक आउट कर गए थे। सोनिया गांधी कांग्रेस की शीर्ष नेता हैं, फिर भी उनकी पार्टी लोकसभा में महिला विरोधी हो रही है। बिल पेश करने का विरोध दुर्भाग्यपूर्ण है। हम पहले ही कह चुके हैं कि तीन तलाक बिल किसी धर्म और समुदाय के खिलाफ नहीं है।
- असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, ”तीन तलाक बिल संविधान के खिलाफ है। यह अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन है। हमारे पास पहले ही घरेलू हिंसा के लिए कानून और मुस्लिम मैरिज एक्ट मौजूद है। अगर नया कानून बनाया गया तो यह मुस्लिम महिलाओं के साझ नाइंसाफी होगी। सरकार ने बिल में तीन साल की सजा का प्रावधान किया है। जब किसी आदमी को गिरफ्तार कर लिया जाएगा तो वह जेल से कैसे गुजारा भत्ता देगा? मोदीजी कैसा कानून बनाने जा रहे हैं। सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर भाजपा का क्या मत है?”
लोकसभा में पेपर स्लिप से वोटिंग हुई
स्पीकर ओम बिड़ला ने बिल पेश करने को लेकर विपक्ष की आपत्ति पर पेपर स्लिप से वोटिंग कराई। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि अभी नए सांसदों को डिविजन नंबर आवंटित नहीं हुआ है, इसलिए वे मतविभाजन के लिए वोटिंग मशीन का इस्तेमाल नहीं कर पाए। इससे पहले केरल के कोल्लम से सांसद एनके प्रेमचंद्रन ने सबरीमाला मंदिर विवाद पर लोकसभा में प्राइवेट मेंबर बिल पेश किया। मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार से बच्चों की मौत को लेकर संसद के दोनों सदनों में हंगामा हुआ, राज्यसभा में श्रद्धांजलि दी गई।
सरकार को इस बार राज्यसभा में बिल पास होने की उम्मीद
मोदी सरकार ने पहले कार्यकाल में तीन तलाक विधेयक को लोकसभा से पास करा लिया था, लेकिन राज्यसभा में बहुमत न होने के कारण वहां पारित नहीं हो सका था। 12 जून को कैबिनेट मीटिंग के बाद केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा था कि नया विधेयक फरवरी में पेश हुए अध्यादेश का स्थान लेगा। जावड़ेकर ने उम्मीद जताई कि इस बार यह बिल राज्यसभा से भी पास करा लिया जाएगा। 17वीं लोकसभा के पहले सत्र में केंद्र सरकार तीन तलाक समेत 10 बिल पेश कर सकती है।
तीन तलाक पर नया विधेयक क्यों लाना पड़ा?
संसदीय नियमों के मुताबिक, जो विधेयक सीधे राज्यसभा में पेश किए जाते हैं, वो लोकसभा भंग होने की स्थिति में स्वत: समाप्त नहीं होते। जो विधेयक लोकसभा में पेश किए जाते हैं और राज्यसभा में लंबित रहते हैं, वे निचले सदन यानी लोकसभा भंग होने की स्थिति में अपने आप ही समाप्त हो जाते हैं। तीन तलाक बिल के साथ भी यही हुआ और इसी वजह से सरकार को नया विधेयक लाना पड़ रहा है।
फरवरी में लोकसभा में पास हो गया था बिल
लोकसभा में तीन तलाक पर कानूनी रोक वाला विधेयक फरवरी में पारित हो गया था। राज्यसभा में एनडीए सरकार के पास बहुमत नहीं था, इसलिए बिल वहां अटका रहा। अब सरकार बजट सत्र में इसे पेश करने और दोनों सदनों से पास कराने की उम्मीद कर रही है। अध्यादेश को भी कानून में तभी बदला जा सकता है जबकि संसद सत्र आरंभ होने के 45 दिन के भीतर उसे पास करा लिया जाए। अन्यथा अध्यादेश की अवधि समाप्त हो जाती है।
नए विधेयक में ये हुए थे बदलाव
- अध्यादेश के आधार पर तैयार नए बिल के मुताबिक, आरोपी को पुलिस जमानत नहीं दे सकेगी। मजिस्ट्रेट पीड़ित पत्नी का पक्ष सुनने के बाद वाजिब वजहों के आधार पर जमानत दे सकते हैं। उन्हें पति-पत्नी के बीच सुलह कराकर शादी बरकरार रखने का भी अधिकार होगा।
- बिल के मुताबिक, मुकदमे का फैसला होने तक बच्चा मां के संरक्षण में ही रहेगा। आरोपी को उसका भी गुजारा देना होगा। तीन तलाक का अपराध सिर्फ तभी संज्ञेय होगा जब पीड़ित पत्नी या उसके परिवार (मायके या ससुराल) के सदस्य एफआईआर दर्ज कराएं।