मध्यप्रदेश में बढ़ रही है उमा भारती की सक्रियता, दिग्गज सतर्क

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TIO भोपाल

कई वर्षों से मध्यप्रदेश की राजनीति से निर्वासित पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती की अचानक प्रदेश के सियासी गलियारों में सक्रियता बढ़ रही है। वे पिछले छह साल से उत्तरप्रदेश की राजनीति में सक्रिय थीं। उन्होंने वहां से विधानसभा चुनाव लड़ा, फिर झांसी लोकसभा चुनाव जीतकर मोदी कैबिनेट में पांच साल केंद्रीय मंत्री भी रहीं। लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने के फैसले के बाद अब वे पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं और इन दिनों लगातार मध्यप्रदेश की राजनीति में सक्रिय हो रही हैं।

चाहे गांधी संकल्प यात्रा हो या भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, पार्टी कार्यालय से लेकर मैदान तक उमा भारती की मौजूदगी संकेत दे रही है कि आने वाले समय में वे मध्य प्रदेश में अपना स्थान बनाना चाहती हैं। उमा की सियासी सक्रियता देख प्रदेश के कई दिग्गज भाजपा नेताओं के चेहरों पर चिंता की लकीरें आ गई हैं।

निगाहें मप्र पर तो नहीं

कुछ ही दिनों में संगठन चुनाव के बाद तय होना है कि प्रदेश में भाजपा का अगला चेहरा यानी नया खेवनहार कौन होगा। विधानसभा चुनाव में पराजय के बाद से ही मप्र में नेतृत्व को लेकर असमंजस बरकरार है। तभी से भाजपा की राजनीति में अटकलों का दौर चल रहा है। इस बीच पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती की मप्र में सक्रियता से चर्चा चल पड़ी कि वे यहां अपनी जमीन तलाश रही हैं। इससे दिग्गज नेताओं की भी बेचैनी बढ़ गई कि उमा की एक बार फिर निगाहें मप्र पर हैं।

दरअसल हुआ यूं कि पिछले कुछ दिनों में उमा भारती ने यहां तीन-चार पार्टी कार्यक्रमों में शिरकत की। दो अक्टूबर को गांधी जयंती पर आयोजित संकल्प पदयात्रा में भी पहुंची। इससे पहले वे पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में शामिल होने प्रदेश कार्यालय आईं थीं। पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की श्रद्धांजलि सभा में भी पार्टी कार्यालय आईं थीं।

आरएसएस में गहरी पैठ

सियासी पंडितों का मानना है कि उमा भारती को पता है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में उनका महत्व अब भी कायम है। राम मंदिर मामले में वह आरोपी भी हैं, इस कारण आरएसएस भी उन्हें हमेशा सुरक्षित बनाए रखता है। इस गहरी पैठ के कारण ही उमा पार्टी छोड़ने के बाद भाजपा में वापस आईं और केंद्र में मंत्री भी बनाई गईं। संघ को मालूम है कि उमा की लोकप्रियता अब भी बरकरार है। यही कारण है कि मप्र में नेतृत्व को लेकर अटकलों का दौर चल रहा है, उमा के मन में उस विकल्प की भरपाई करने की इच्छा हो सकती है।

सहजता से देखें सहभागिता

उमा भारती भाजपा की वरिष्ठ नेता हैं। मप्र उनका गृह राज्य है। स्वाभाविक तौर पर जब वे यहां होती हैं और पार्टी का कोई कार्यक्रम होता है तो वे उसमें शामिल हो जाती हैं, इसलिए उनकी सहभागिता को सहजता से देखा जाना चाहिए। जब वे उप्र से सांसद थीं तो भी मप्र में उनका आना जाना लगा रहता था, उस वक्त भी वे मप्र में सभी से मिलती रहती थीं। लिहाजा अगर वे पार्टी कार्यक्रमों में शामिल होती हैं। नेताओं कार्यकर्ताओं से मिलती हैं तो इसे अन्य नजरिए से देखा जाना ठीक नहीं है। – डॉ. दीपक विजयवर्गीय, मुख्य प्रवक्ता, भाजपा मप्र