वर्ल्ड डेस्क
अमेरिका के न्यूयॉर्क में इस समय संयुक्त राष्ट्र की धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर चर्चा चल रही है। जिसमें अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा ने चीन और पाकिस्तान को धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ होने वाले भेदभाव को लेकर उनकी काफी आलोचना की।
बैठक में ह्यूमन राइट्स फोकस पाकिस्तान के अध्यक्ष नवीद वाल्टर ने कहा कि आज एक बड़ी संख्या में लोग अपने समाजों में हाशिए पर हैं। पक्षपाती व्यवहार अन्य देशों में भी देखने को मिलता है। पाकिस्तान में धार्मिक संबद्धता के आधार पर अहमदियों की जो स्थिति है ठीक उसी तरह चीन में भी हो रहा है। ऐसे देशों की संख्या बढ़ रही है जो राष्ट्रीय सुरक्षा के बहाने सार्वजनिक तौर पर धर्म की अभिव्यक्ति पर प्रतिबंध लगा रहे हैं।
इसके बाद ब्रिटेन में संयुक्त राष्ट्र में धर्म या विश्वास की स्वतंत्रता पर प्रधानमंत्री के विशेष दूत लॉर्ड अहमन ने कहा, ‘ब्रिटेन ने दुनिया भर में धार्मिक समुदायों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों के लिए बात की है। चीन में रहने वाले उइगर से लेकर पाकिस्तान में रहने वाले ईसाई और अहमदियों तक जिसके बारे में हम अप्रत्यक्ष रूप से सुनते हैं।’
उन्होंने आगे कहा, ‘ब्रिटेन ने दुनिया भर में धार्मिक समुदायों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों के लिए बात की है। जिसमें चीन में रहने वाले उइगर से लेकर पाकिस्तान में रहने वाले ईसाई और अहमदी तक शामिल हैं।’
ब्रिटेन के बाद अमेरिका के राजदूत सैम ब्राउनहैक ने बैठक में अपने देश का पक्ष रखते हुए कहा कि पाकिस्तान में, धार्मिक अल्पसंख्यक या तो गैर-राज्य तत्वों के हाथों या भेदभावपूर्ण कानूनों और प्रथाओं के जरिए पीड़ित होते रहते हैं। चीन को आड़े हाथ लेते हुए ब्राउनहैक ने कहा, ‘हम चीन में धार्मिक स्वतंत्रता पर व्यापक और अनुचित प्रतिबंधों को बढ़ाने के चीन सरकार के फैसले को लेकर काफी चिंतित हैं।’
चीन को सलाह देते हुए अमेरिकी राजदूत ने कहा कि हम चीनी सरकार से आग्रह करते हैं कि वह उस राष्ट्र में सभी लोगों के मानवाधिकारों और मौलिक स्वतंत्रता का सम्मान करे। वहीं संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने सी देशों से आग्रह किया कि वह यहूदी और मुस्लिम विरोधी भावना, ईसाइयों और अन्य धार्मिक समूहों के उत्पीड़न को बंद करें। उन्होंने कहा कि धार्मिक अल्पसंख्यक पीड़ितों को हमारे साथ की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हमें धर्म के नाम पर नफरत और घृणा फैलाने वाले लोगों को हमें खारिज कर देना चाहिए।