नई दिल्ली। विभिन्न मुद्दों पर जारी मतभेदों के बीच मोदी सरकार ने रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया (आरबीआई) के खिलाफ ‘ब्रह्मास्त्र’ का इस्तेमाल कर दिया है। आरबीआई ऐक्ट, 1934 के तहत केंद्र सरकार को मिले इस अधिकार का इस्तेमाल इतिहास में पहली बार किया गया है। आरबीआई ऐक्ट के सेक्शन 7 के तहत सरकार को यह अधिकार प्राप्त है कि वह सार्वजनिक हित के मुद्दे पर आरबीआई को सीधे-सीधे निर्देश दे सकती है, जिसे आरबीआई मानने से इनकार नहीं कर सकता।
Urjit Patel: The government can resign, use of BrahMastra against RBI
इस्तीफा दे सकते हैं उर्जित पटेल: सूत्र
इस बीच, आशंका जताई जाने लगी है कि सरकार और आरबीआई के बीच खटास बढ़ सकती है। आशंका यह भी जताई जाने लगी है कि आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल इस्तीफा दे सकते हैं। न्यूज चैनल्स सीएनबीसी टीवी-18 और ईटी नाव ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि पटेल अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं।
सरकार ने रखा अपना पक्ष
वहीं, केंद्र सरकार ने सेक्शन 7 के इस्तेमाल पर अपना पक्ष रखा है। वित्त मंत्रालय ने एक प्रेस नोट जारी करते हुए कहा है कि आरबीआई ऐक्ट की परिधि में रिजर्व बैंक की स्वायत्ता निहायत ही जरूरी है और वह इसका सम्मान करती है। सरकार का पूरा वक्तव्य यहां पढ़ें।
दो पत्र के जरिए आरबीआई को निर्देश
इकनॉमिक टाइम्स को पता चला है कि रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया ऐक्ट, 1934 के सेक्शन 7 के तहत सरकार को मिले अधिकार के तहत बीते एक-दो सप्ताह में आरबीआई गवर्नर को दो अलग-अलग पत्र भेजे जा चुके हैं। सरकार ने केंद्रीय बैंक को पत्र भेजकर नॉन-बैंकिंग फाइनैंशल कंपनियों के लिए लिक्विडिटी, कमजोर बैंकों को पूंजी और लघु एवं मध्यम उद्योगों को कर्ज प्रदान करने का निर्देश दिया है। अनुमान लगाया जा रहा है कि सरकार के इसी प्रत्याशित कदम से आरबीआई के डेप्युटी-गवर्नर विरल आचार्य को आगबबूला हो गए थे और केंद्र सरकार को आरबीआई की स्वतंत्रता पर कुठाराघात करने के घातक परिणामों की चेतावनी + दे डाली। बहरहाल, आरबीआई के प्रवक्ता को ईमेल से भेजे गए सवाल पर कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।
कैसे उठी सेक्शन 7 की बात?
रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया ऐक्ट, 1934 की धारा 7 कहती है, ‘केंद्र सरकार सार्वजनिक हित के लिए अनिवार्य मानते हुए बैंक के गवर्नर से मशविरे के बाद समय-समय पर इस तरह के निर्देश दे सकती है।’ सेक्शन 7 के तहत आरबीआई को निर्देश दिए जाने का मामला पहली बार तब आया जब कुछ बिजली उत्पादक कंपनियों ने आरबीआई के 12 फरवरी को जारी सर्कुलर को इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी। इस सर्कुलर में डिफॉल्ट हो चुके लोन को रीस्ट्रक्चरिंग स्कीम में डालने से रोका गया है। आरबीआई के सलहाकार ने जब बताया कि कानूनी तौर पर सरकार सेंट्रल बैंक को आदेश दे सकती है, तो कोर्ट ने अगस्त महीने में जारी अपने आदेश में कहा कि सरकार ऐसा निर्देश देने पर विचार कर सकती है।