वाशिंगटन। ईरान पर लगने वाले अमेरिकी प्रतिबंधों का असर भारत द्वारा संचालित चाबहार बंदरगाह परियोजना पर नहीं होगा। सोमवार को ट्रंप प्रशासन ने भारत, चीन समेत 8 देशों को ईरान से तेल खरीदने की छूट को खत्म करने का ऐलान किया था। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने कहा कि ईरान पर प्रतिबंधों का चाबहार बंदरगाह परियोजना पर कोई असर नहीं होगा। इस बंदरगाह को भारत और ईरान ने मिलकर विकसित किया है।
ट्रंप प्रशासन का यह फैसला दिखाता है कि ओमान की खाड़ी में विकसित किए जा रहे इस बंदरगाह में भारत की भूमिका को अमेरिका मान्यता देता है। इसे इस तरह समझा जा सकता है कि ट्रंप प्रशासन ने ईरान पर अब तक के सबसे कड़े प्रतिबंध लगाए हैं और छूट देने में उसका रुख बेहद सख्त है। यह बंदरगाह युद्ध ग्रस्त अफगानिस्तान के विकास के लिए सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, ‘प्रतिबंधों में छूट इसलिए दी गई है ताकि चाबहार बंदरगाह का विकास हो सके। साथ ही रेलवे का निर्माण हो सके, जिससे सामान अफगानिस्तान तक पहुंचाया जा सके। अफगानिस्तान के ईरानी पेट्रोलियम उत्पादों के आयात को भी प्रतिबंधों से मुक्त किया जा रहा था’
पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट को मात देने के लिए भारत द्वारा ईरान के चाबहार को तैयार किए जाने का असर अब साफ दिखने लगा है। इससे न केवल पाक की अर्थव्यवस्था को तगड़ा झटका लगा है बल्कि पाक ने अपने उत्पादों के लिए बड़े बाजार को भी खो दिया है।
भारत द्वारा किए गए आर्थिक मदद से तैयार ईरान का चाबहार पोर्ट अब पूरी तरह से काम करने लगा है। इसके निर्माण में 34 करोड़ डॉलर का खर्च आया था। चाबहार का विकास और पुनर्निमाण रेवॉल्यूशनरी गार्ड से संबद्ध कंपनी खातम अलअनबिया ने किया है। हालांकि इसके निर्माण में कई भारतीय सरकारी कंपनियां भी शामिल थीं।