भोपाल/ गुवाहाटी। चुनाव करीब आने के साथ ही सियासी दल वोटरों को ध्यान में रखते हुए अपनी-अपनी प्राथमिकताओं में जुट गए हैं। केंद्र और राज्य की तरफ से लोकलुभावन घोषणाओं का दौर चल रहा है। इसमें खेतिहर वर्ग से लेकर बेरोजगारों को कर्जमाफी, कैश आमदनी और यहां तक कि सोने जैसी कीमती वस्तुएं अंशदान के रूप में देने का ऐलान किया गया है। बीजेपी शासित असम से लेकर कांग्रेस राज वाले मध्य प्रदेश में ऐसा ही कुछ देखने को मिल रहा है।
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असम में लड़की की शादी पर 1 तोला सोना
असम में पेश किए गए बजट में गरीबों को एक रुपये किलो चावल और 5 लाख रुपये से कम आमदनी वाले परिवार में लड़की की शादी पर एक तोला सोने की सरकारी मदद का ऐलान हुआ है। इसके साथ ही हाई स्कूल परीक्षा में प्रथम श्रेणी हासिल करने वाली लड़कियों को ई-बाइक का भी वादा किया गया है। राज्य के वित्त मंत्री हेमंत बिस्व सरमा ने कहा, ‘मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी है कि हम अपने प्रदेश में सभी समुदायों की दुल्हनों को एक तोला सोना, जिसकी लागत आज 38,000 रुपये है, शादी के अवसर पर प्रदान करेंगे।’ इसके साथ ही वर्तमान वित्तीय वर्ष में सभी एजुकेशन लोन पर एक बार के लिए 50,000 रुपये की सब्सिडी की भी घोषणा की गई है।
एमपी में बेरोजगारी भत्ता और 100 दिन का काम
मध्य प्रदेश में कमलनाथ की अगुआई वाली कांग्रेस सरकार गुरुवार को 4,000 रुपये मासिक के बेरोजगारी भत्ते का ऐलान कर सकती है। राजस्थान में भी कांग्रेस ने 3,000-3,500 के बेरोजगारी भत्ते का वादा किया था। इसके साथ ही कमलनाथ सरकार बेरोजगार युवकों के लिए न्यूनतम 100 दिन का काम सुनिश्चित करने के लिए स्कीम लाने की तैयारी में है। गणतंत्र दिवस पर सीएम ने यह वादा किया था। हमारे सहयोगी टाइम्स आॅफ इंडिया को एक हफ्ते पहले दिए गए इंटरव्यू में उन्होंने यह बात दोहराई थी। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस सरकार सोशल सिक्यॉरिटी पेंशन के तहत बुजुर्गों को मिलने वाली पेंशन को 300 से बढ़ाकर 600 रुपये मासिक किया जाएगा। मंगलवार को सीएम और वित्त विभाग ने इन फैसलों पर मुहर लगा दी है।
बजट में मिडल क्लास को मिली थी सौगात
चुनावी मौसम के दौरान टैक्स ऐसी चीज होती है जिसे केंद्र और राज्य दोनों नहीं बढ़ाना चाहते। बीते शुक्रवार को केंद्र सरकार ने 5 लाख तक की सालाना आय वाले लोगों को 100 प्रतिशत इनकम टैक्स छूट का बड़ा ऐलान किया था। बुधवार को लेफ्ट शासित केरल में जीएसटी पर फूड सेस की अपनी योजना पर ब्रेक लगा दिया। इसमें दलील थी कि टैक्स से अर्जित होने वाली आय का इस्तेमाल प्राकृतिक आपदा से हुए नुकसान से उबरने में किया जाएगा। विश्लेषकों का मानना है कि इस बार के चुनाव में लड़ाई कांटे की है और इन तोहफों को प्री पोल गिफ्ट के रूप में देखा जा रहा है।